दोस्तों ,
स्वागत है आपका आज ३ फरवरी की चर्चा में .............ज्यादा बात नहीं कर सकती आजकल मरने की भी फुरसत नहीं मिल रही इसलिए चलिए सीधे चर्चा मंच की ओर
महिमा बड़ी प्यारी
जिसको माने नर नारी
और फिर सृजन
नयी कविता का होना
समय नया सोच वही
फिर कैसे कहो मानसिकता बदली
जब दिल में दर्द होता है
तब ही ग़ज़ल होती है
जब शब्द खामोश हो जाएँ
तब मौन ही मुखर हो जाये
गर जलाई जातीं तो
ये नौबत कभी ना आती
उजड़े हुए दयारों को कौन देखता है
बिन पर की परवाजों को कौन देखता है
एक बार देखना आकर
कैसे जीती हैं अमर सुहागिन
एक अनुभव आस का
एक अनुभव विश्वास का
संपूर्ण होते हुए भी अपूर्ण
और फिर अंजाम के लिए तैयार रहें
प्रेम को किसने जाना है
प्रेम को किसने पहचाना है
फिर प्रेम का गीत गाते हैं
ये प्रेम के ही नाते हैं
पता नहीं जी आप ही बता दीजिये ना
और एक हँसी बिखेर गया
करो मनुष्यता का सम्मान
खुद-ब-खुद मिल जायेगा मान
संबंधों की डाली पर
खिलती जीवन की क्यारी
जब लगे हो पहरे
फिर कैसे बहार आएगी
नए पुराने को छोड़ो
दिल से नाता जोड़ो
कब किसने जाने
कब किसने माने
शायद तभी मोहब्बत आज नचाती है
अपने इन्द्रधनुषी रंग दिखाती है
कब तक लगाओगे
फिर उसके बाद
प्रेम को फिर साकार करूँ
अहसास के साथ
अहसास के लिए
तुम यही तो हो
या बात करूँ
कैसे मौन को
ध्यान दीजिये
अपना भी
कल्याण कीजिये
सरकारे तो यहाँ सोती हैं
जनता ही मरती है तो फिर
गलती जनता की ही होती है
कुतर्कियों के सिर पर चढा प्रोटीन का भूत ( माँसाहारियों द्वारा फैलाया जा रहा अन्धविश्वास)कोई झाड़ फूंक करवाएं
किसी बाबा को बुलवाएँ
प्रोटीन के इस भूत
कहो फिर कैसे दूर करें ?
किसी बाबा को बुलवाएँ
प्रोटीन के इस भूत
कहो फिर कैसे दूर करें ?
चलिए दोस्तों .........अब इजाजत चाहती हूँ .............आपके विचारों के प्रतीक्षा में .
चर्चा सुन्दर है पर यहाँ एक बात कहना चाहूँगा ...
जवाब देंहटाएंचुनते वक्त चोर उच्चकों को चुनती है
जनता अपनी गलती से ही मरती है
सरकार सोयेगी क्यूंकि हम नहीं जागेंगे
सोते रहोगे तो चोर नहीं भागेंगे
सुन्दर चर्चा.
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह बेहतरीन ...
जवाब देंहटाएंचर्चा में शामिल किये जाने का बहुत आभार !
vandana ji thanks a lot . aapne apni wyastataa ke baawjood , bahut achchhi charchaa ki hai . aabhaar .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंको से सजी हुई बेहतरीन चर्चा!
जवाब देंहटाएंअब तो यह लिंक पढ़ने के लिए
फुर्सत निकालनी ही पड़ेगी!
वन्दना जी, हमेशा की तरह आपके माथे के पसीने की बूंदे चर्चा मंच की पोस्ट बगिया के फूलों पर ओस की बूंदों की तरह चमक रही हैं .आपकी मेहनत को सलाम.
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया.
इस बार बहुत पोस्टें पढ़ी हुयी मिलीं।
जवाब देंहटाएंवंदना जी ,
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर लाने के लिए बहुच बहुत धन्यवाद
सुंदर चर्चा वंदना जी ..... शामिल करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंvicha ki prateeksha aap kyon karen vichar hi aapki prastuti ka intzar karen.hamesha ki hi tarah bahut achhi prastuti.achchhe links thode dekhen hain thode abhi dekhoongi.bahut bahut aabhar....
जवाब देंहटाएंवंदना जी ....चर्चा मंच पर लाने का शुक्रिया .....सुन्दर चर्चा ....
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएंचर्चाकार वन्दना जी,
फुरसत नहीं है आपको
कितने महीनों से.
वास्ता फिर भी पड़े
इतने नगीनों से.
.
bahut achchhi charcha .meri kavita ''amar suhagan'v meri laghu katha ''samay naya -soch vahi ' ko charcha me sthan dene ke liye hardik dhanywad .
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंवंदना जी !! बहुत सार्थक और सरल चर्चा .
जवाब देंहटाएंएक जरूरी सूचना
हमने पोस्ट बनाते समय अपने दिमाग का कंप्यूटर ओन नहीं किया था ! सो गलती होना लाज़मी था|
मेरी चर्चा शुक्रवार को होती है और मैंने ब्रहस्पतवार को ही चर्चा शुक्रवार समझ पोस्ट कर दी ... अतः अब वही पोस्ट कल पुनः प्रस्तुत करुँगी |
जिनकी पोस्ट मैंने ली थी और आज के लिए सूचित किया था ..वो पोस्ट कल होगी| आप कल भी आयें | गलती के लिए माफ़ी मांगूंगी .. और वंदना जी से भी कि मैंने उनकी चर्चा की जगह अपनी चर्चा प्रसारित कर दी थी|
हमेशा की तरह बेहतरीन चर्चा ।
जवाब देंहटाएंवंदना जी सदा की भांति इसबार भी आपका साहित्यिक गुलदस्ता लाजवाब है.सारा नहीं पढ़ पाया हूँ.आराम से पढूंगा.
जवाब देंहटाएं"पर चुनते वक्त चोर उच्चकों को चुनती है
जनता अपनी गलती से ही मरती है" जैसी रचनाएँ हमारी "inrtia" पर सटीक प्रहार करती हैं.मेरी रचना को चर्चामंच पर स्थान देने के लिए आभार.
आपके पसंदीदा लिंक अच्छे हैं !
जवाब देंहटाएंआज तो इतना ही .......इतने सारे लिंक हम तक चर्चा मंच के माध्यम से पहुचने के लिए आपका शुक्रिया
जवाब देंहटाएंbehtareen charcha !
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा। बेहतरीन लिंक्स। गुणवत्तापूर्ण ब्लॉग्स का संकलन।
जवाब देंहटाएंहमें स्थान देने का शुक्रिया।
चुनिन्दा लिंक्स तक पहुंचाने के लिये आभार...
जवाब देंहटाएंवंदना जी सुंदर लिंक्स के लिए धन्यवाद्, व्यस्त समय में, आपने चर्चा में बुला ही लिया. सामयिक एवं उद्देलित करने वाली रचनाये पढने को मिली.. शेष फिर किसी अन्य चर्चा में
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स मिले ..सुन्दर चर्चा.
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंको से सजी हुई बेहतरीन चर्चा!
जवाब देंहटाएंआभार !
सुन्दर लिंक्स सी सजी बेहतरीन चर्चा..आभार
जवाब देंहटाएंवंदना जी ,
जवाब देंहटाएंआपने व्यापक विषय चुने हैं कविता से ज्योतिष तक प्रयास बहुत सराहनीय है और आप इतना समय निकाल पाती हैं उसके लिए बधाई की पात्र हैं
bahut sundar charcha
जवाब देंहटाएंbahut achchi-achchi cheezen padhne ko mili.dhanywad.
जवाब देंहटाएंVandana Jee,
जवाब देंहटाएंApne mere dwara ek gambheer samajik vishay "Bal Sex Bill" par likha gaya akrosh lekh ko apne Charcha manch par sthaan dekar ise deshhit me samaj me laane kaa kary kiyaa.. mera post aapke Charcha manch par post hone ke karan uski feeds dekhiye ? abhi tak 500 log use padh chuke hai aur 30 ke aaspas commnents bhi prapt huye.. is gambheer mudde par log sakriya ho rahe hai aapke sahayog ke karan .. aapko dhanyawad to nahi kahunga waran badhaayee dunga....