आज की सीधी और सरल चर्चा में
आपका स्वागत है
बस जवाब देते जाइये
किसकी?
इसमें क्या शक है ?
तुझे याद रखूँगा ?
क्या हो जायेगा?
ये तो पक्का है मुझे नहीं मिलेगा
उसने क्या देखना है ?
जैसा करेंगे वैसा भरेंगे
क्यूँ सारे अधिकार क्या बच्चों ने ही ले लिए?
आज पता चला?
क्यों .........दर्द बढ़ जायेगा क्या?
वरना क्या होता जी ?
यही है ज़माने का दस्तूर
अभी बाहर आये या नहीं ?
कुछ नहीं लगना
जो लगना है दूसरों को ही लगेगा
तो हो गयी जूतम पैजार ?
अब क्या करेंगे ?
काश ऐसा सब सोचते ?
इनकी भाषा किसने जानी ?
और फिर जलता ही रहता ?
फिर क्या होता जी?
वरना क्या होगा?
पता चला क्या?
तुम्हें आज पता चला?
फिर सही है
बधाई हो जी
और क्या ........क्या फायदा?
कथादेश के मीडिया अंक के लिए लेख आमंत्रित
तुम्हारे बिना
क्या होगा ?
"ग़ज़ल-आशा शैली हिमाचली" (प्रस्तोता-डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
स्वागत है
आप उस ऊपर वाले के बारे में विश्वास क्यों नहीं रखते ?
क्या होगा विश्वास रख के?
भारत के टुकड़े...
किये जाओ ........आखिर है किसलिए?
क्या आपके पास वक़्त है ? क्या आपके पास खुशियाँ हैं ? ( सोचिये ) ..... >>>> संजय कुमार
अगर नहीं होंगी तो क्या आप दिला देंगे?
कथादेश के मीडिया अंक के लिए लेख आमंत्रित
भेजते हैं जी ........अब मर्जी आपकी
छापें या नहीं ?
अनसुलझी वो .......... शिव शंकर
कौन?
............धनक निसार किया
फिर क्या किया?
मेरी गुईयां
कौन है ?
धूप के आईने में
किसे देखा ?
मधुर बयार बहाने लगी
संजय राय की कविताएंअपनी पहचान आप हैं
कौन?
............धनक निसार किया
फिर क्या किया?
मेरी गुईयां
कौन है ?
धूप के आईने में
किसे देखा ?
"प्रकृति भी प्रेम रस बहाने लगी"
मधुर बयार बहाने लगी
चलिए दोस्तों आज के लिए इतना ही काफी समझिये
आपके विचारों की प्रतीक्षारत
सार्थक चर्चा,आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंकों का समावेश किया है आपने आज की चर्चा में!
जवाब देंहटाएंमहत्वपूर्ण और अच्छे लिंक्स दिए गए हैं. रचनाओं को दिल से और बहुत गंभीरता से पढ़ कर आज के चर्चा मंच को सजाया और संवारा है आपने . आभार.
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा के लिए आभार ... ! शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंअच्छी सार्थक चर्चा वंदनाजी...... बेहतरीन लिक्स ...धन्यवाद
जवाब देंहटाएंsabhi link ek se badkar ek
जवाब देंहटाएंbahu bahut dhnyvaad
बहुत ही सुंदर लिंक्स सहेजे आपने । बहुत सारी अनदेखी अनपढी पोस्टें हैं बांकी पढने के लिए अब पढते हैं उनको
जवाब देंहटाएंधन्यवाद वंदना जी ,
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को चर्चा मंच में स्थान देने के लिये भी और इतने सारे अच्छे लिंक्स के लिये भी,
इतनी रचनाएं पढ़ना और उस में से चुन कर मंच सजाना .......बहुत कठिन काम है ,इस कार्य को सफलतापूर्वक निभाने के लिये बधाई
बेहतरीन चर्चा!!!
जवाब देंहटाएंसीधी और सरल चर्चा कुछ ज़्यादा ही सीधी और सरल नहीं हो गई :)
जवाब देंहटाएंlajawab charcha .aabhar .
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंकों का समावेश किया है आपने आज की चर्चा में!
जवाब देंहटाएंVandana! Links to sab badhiya hote hee hain....tumharee commentary padhne me bahut maza aata hai!
जवाब देंहटाएंसार्थक चर्चा,आभार!
जवाब देंहटाएंकई सारे सुंदर सुंदर लिंक्स देने के लिए आभार वंदना जी
जवाब देंहटाएंhttp://vaataayan.blogspot.com
http://samasyapoorti.blogspot.com
http://thalebaithe.blogspot.com
बेहतरीन चर्चा के लिए आभार ... ! शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा के लिए आभार
जवाब देंहटाएंआज पढ़े हुये(रेड लिंक)की संख्या बहुत अधिक थी।
जवाब देंहटाएंkafee padhe hue link mile aaj ..abhaar.
जवाब देंहटाएंमेरी कविता ' माँ तू ऐसी न थी' ( प्यारी माँ) अपनी चर्चा में लेकर मेरा मान बडाने के लिए वन्दना जी धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंsaral aur saras bhi...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर लिंक दिए आपने...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार...
बहुत ही खुबसुरत और बेहतरीन लिंक्सों से सजी प्रशंसनीय चर्चा.....
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा रही. अच्छे लिंक्स का संकलन.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद वंदना जी!
जवाब देंहटाएं"वृक्षारोपण : एक कदम प्रकृति की ओर(श्रीमती कुसुम जी ने पुत्री के जन्म के उपलक्ष्य में आम का पौधा लगाया )" को चर्चा मंच में स्थान देने के लिये।
इसके साथ ही अन्य अच्छे ब्लॉग, रचनाकारों व रचानाओं से परिचय करवाने के लिये। चर्चामञ्च एक महत्त्वपूर्ण सेतु का कार्य कर रहा है।
रचनायें पढ़ना, रसात्मकता का आनन्द लेना, सराहना करना, ये कार्य तो सभी कर सकते हैं, परन्तु अनेक अच्छी रचनाओं में से रचना का चयन बहुत ही कठिन है। और ये कार्य आपने किया है।
पुनश्च धन्यवाद!
वंदना जी,
जवाब देंहटाएंचर्चा मञ्च के इस अंक में इतनी अच्छी-अच्छी पोस्ट पढ़ाने के लिये धन्यवाद!
आपने सभी पोस्ट का अच्छा उत्तर भी दिया है। संक्षिप्त और सार्थक।
बहुत अच्छा लगा पढ़कर।
सबसे अच्छी बात लगी आपके द्वारा एक नवागन्तुक ब्लॉग "वृक्षारोपण : एक कदम प्रकृति की ओर" को शामिल किया जाना।
यह पृथ्वी एवम् मानवजाति के हित में किया गया एक कार्य है। आपके इस चर्चा मंच के माध्यम से इसके संदेश का प्रसार हुआ। इस ब्लॉग का प्रयास हमें अच्छा लगा।
दर्शन कौर धनोये ‘माँ तू ऐसी न थी’ बहुत सुन्दर प्रस्तुति है।
"ग़ज़ल-आशा शैली हिमाचली" गज़ल भी प्रभावपूर्ण है। शास्त्री जी को इसके प्रस्तुति के लिये धन्यवाद।
बहुत मेहनत से संजोयी गई चर्चा पोस्ट । आभार ।
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा में मेरी रचना को शामिल करने के लिये मैं आभारी हूँ...
जवाब देंहटाएंआगे भी ऐसी रचनाएं लिखते रहने की कोशिश जारी रखूंगा.. धन्यवाद.!!
bahut achhi charcha hamesha ki tarah....
जवाब देंहटाएंफटाफट चर्चा हेतु फटाफट धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंvandana
जवाब देंहटाएंbahut khushi ki baat .
ek saath kai kavitayen padhne ka aanand aur apni kavita ko sabke saath paker ...achha lagaa ....aapka ye bhagarathi prayaas hindi kavita ko shashakt manch pradan kerne mein shksham saabit ho reha hai ....ABHINADAN
RAKESH MUTHA
12 से ज्यादा बज रहे हैं । आपका निमंत्रण था सो आया लेकिन किसी भी लिंक को देख नहीं सकता । इसके बावजूद आपने एकत्र किए हैं और सभी लोग उन्हें अच्छा बता रहे हैं तो जरूर ही अच्छे होंगे । उन्हें अब कल देखा जाएगा । मेरे लेख को चर्चा में शामिल करने के लिए धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंवंदनाजी,
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, एक बार फ़िर. कुछेक लिंक पढ़े. हमेशा की तरह अच्छे हैं. आई टी वाला तो विशेष कर भाया. समय की विरूपताओं को लेकर क्षोभ मैं भी व्यक्त करता हूँ और दूसरे भी करतें हैं, जबकि समस्या की जड़ें हमारे ही अंदर मौजूद हैं. परिवर्तन की शुरुआत जैसा की गांधीजी भी कहते थे स्वयं से होनी चाहिए.
सादर,
नीरज कुमार झा
Vandana ji, achchi charcha thi aur meri kavita ko bhi shaamil karne ke liye bahut shukriya... kabhi kabhi lagta hai ki protsahan hi sabse badi prerna hai... saadar
जवाब देंहटाएं