नमस्कार , एक ब्रेक के बाद हाज़िर है मंगलवार की साप्ताहिक चर्चा … प्रयास रहा है काफी कुछ बटोरने का ..पर फिर भी आप लोगों के लिए ज्यादा लिंक्स नहीं संजो पायी …वक्त की तलाश थी और आज कल वक्त मुझे कम मिलता है …आप कहेंगे कि होते तो चौबीस घंटे ही हैं फिर ? …अब इन घंटों में मेरे कुछ और काम शामिल हो गए हैं ..इस लिए कम समय में मेरे द्वारा कुछ चुनी हुई रचनाओं का आनंद लीजिए ….आज की चर्चा हम तलाश से ही प्रारंभ करते हैं …. |
![]() यह कविता बाबा नागार्जुन जी को भेंट की थी और इस पर उन्होंने स्वयं हस्ताक्षर कर अरुण जी को शुभकामनायें दीं थीं … बाबा अपनी दिव्य दृष्टि मेरी ओर भी डाल मैं तुम्हारा हूँ 'जय किशुन |
घाटियों में, लाल-पीली माटियों में, ढल रहे हैं नील-निर्झर-गीत पर्वत के | ![]() आँखों को कमल ,ज़ुल्फ़ को नागिन या लता लिख दूं ? लिखना तो बहुत कुछ है , क्या बात बता लिख दूं ? |
![]() आज दिखाता है जो बौना , कल बड़ा हो जायेगा क्या खबर है ज़िंदगी में कल को क्या हो जायेगा जिनसे है नफ़रत उन्हीं से प्यार-सा हो जायेगा |
![]() आये थे तेरे शहर में मेहमान की तरह, लौटे हैं तेरे शहर से गुमनाम की तरह ! |
![]() | ![]() |
![]() |
![]() उस एक रास्ते पर चलते हुये मुझे हरपल लगता था कि हम एकदूसरे के लिये ही बने है |
![]() इक ज़ुनून, / कुछ यादें, / थोड़ा प्यार, / छोड़ जाऊँगी, / इन हवाओं में मैं / इंतज़ार, / छोड़ जाऊँगी |
![]() |
![]() मेरी आँखों की भाषा / कभी पढ़ न सका वो, / क्योंकि......... / उसे दूसरों की / आँखों में झांकने से / फुर्सत न मिली ! |
कैसे मालूम हो कि हवा हवा है आज वो चल रही बेसदा बेनवा है | ![]() |
भारत के लखनऊ शहर में जन्मी रचना श्रीवास्तव की लेखन, अभिनय, और संगीत में गहरी रूचि है। उन्होंने विज्ञान में स्नातक शिक्षा प्राप्त करने के बाद कानपुर विश्वविद्यालय से हिन्दी में परा स्नातक शिक्षा प्राप्त की है। झांकते हैं सपने जिस्म की दरारों से झांकते हैं सपने जैसे फटे मोंजे से झांकता है अंगूठा |
![]() | ![]() |
आगमन सुन प्राणधन का भर गया उल्लास मन में मिट गया सब क्लेश तन का ! आगमन सुन प्राणधन का ! |
![]() |
![]() |
![]() -संवेदना मर जायेगी |
![]() प्यार है जीवित, / हठ की तरह, / जैसे मचलना बच्चे का, |
![]() | आतंक के साये में चश्मा उतारता हूं धुंधली हो जाती है दुनिया |
![]() वक्त की सलीब पर लटकी एक अधूरी ख्वाहिश है माँ बच्चे के सुख की चाह में पिघली एक जलती शमा है माँ |
वंदना जी की इस पोस्ट को पढने के बाद कुछ देर चिंतन भी कीजियेगा …लिंक पर पहुँचने के लिए चित्र पर भी क्लिक कर सकते हैं …आपकी प्रतिक्रियाएं हमेशा हमारा मनोबल बढ़ाती हैं …आपके सुझाव प्रेरणा देते हैं …मेरे पास एक सुझाव आया था कि ऐसी रचनाएँ चुना कीजिये जिसमें वर्तनी शुद्ध हो …इस बार मेरा प्रयास रहा है कि रचनाओं में अशुद्धियाँ कम से कम हों ….मेरा विनम्र निवेदन है कि रचनाकार अपनी रचनाएँ पोस्ट करने से पहले एक बार देख लें कि अशुद्धि तो नहीं है …इससे हिंदी की हम सच्ची सेवा कर सकेंगे …. तो फिर मिलते हैं अगले मंगलवार को …. आभार … नमस्कार |
साप्ताहिक काव्य मंच पर आकार कई लिंक्स मिलीं |आप इतनी लिंक्स् कैसे खोज लेती हैं |यह पोस्ट पढ़ कर उत्सुकता बढ़ गयी है जल्दी से लिंक्स देखने की |बधाई
ReplyDeleteआशा
बेहतरीन !
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक और खूबसूरत चर्चा है । आभार संगीता दी !
ReplyDelete" सितारा कहूँ क्यूँ ? चाँद है तू मेरा "
बहुत ही सार्थक और खूबसूरत चर्चा है । आभार संगीता दी !
ReplyDelete" सितारा कहूँ क्यूँ ? चाँद है तू मेरा........गजल "
priya maidam
ReplyDeletepranam ,
aaj ke kavy punj jhakrit kar gaye man ke taron ko .sundar sanklan .
achha prayas .badhayiyan.
संगीता स्वरूप जी के मंगलवार के साप्ताहिक काव्य मंच की बहुत दिनों से प्रतीक्षा थी!
ReplyDeleteमुझे खुशी है कि अब यह चर्चा मंच के पाठकों को हर मंगलवार को सुलभ होगा!
सुन्दर चर्चा करने के लिए आभार!
बेहतरीन चर्चा...
ReplyDeleteइतने सारे अच्छे लिंक एक साथ मिल गये ,आभार
ReplyDeleteसाप्ताहिक काव्य मंच की अधीरता से प्रतीक्षा रहती है ! बहुत खूबसूरत लिंक्स से सजा है आज का मंच ! मेरी रचना को इसमें सम्मिलित किया आपने आभारी हूँ ! धन्यवाद एवं शुभकामनायें !
ReplyDeleteबेहतरीन चर्चा....संगीता जी
ReplyDeleteआभार
संगीता जी ,
ReplyDeleteइतने बढ़िया लिंक्स के लिये आभार
बहुत सुन्दर चर्चा
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति, बेहतरीन लिंक्स. आभार...
ReplyDeleteआदरणीया संगीता जी,
ReplyDeleteसारे लिंक्स बहुत ही अछे हैं ...सभी पर जाने की कोशिश कर रहा हूँ.
मेरी क्षणिकाओं को स्थान देने के लिए तहे दिल से शुक्रिया.
सादर
आपकी चर्चा का इंतज़ार रहता है ...सुन्दर
ReplyDeleteदी,
ReplyDeleteसबसे पहले तो मेरे लेख को प्रमुखता देने के लिये आपकी हार्दिक आभारी हूँ ………यही इच्छा थी कि ये संदेश जन जन तक पहुँचे कि माँ हमारे लिये किस हद तक जा सकती है और हम उसके क्षणांश तक भी नही पहुंच पाते………काश हम सब उसे भी उसी तरह सहेज सकें तो शायद जीना सार्थक कर सकें……………बाकी आज जितने भी लिंक्स लगाये है एक से बढकर एक हैं……………ज्यादातर लिंक्स पर हो आई हूँ…………बाकी बाद मे……………आभार्।
बहुत ही खूबसूरत चर्चा है ... मुझे शामिल करने का बहुत शुक्रिया ...
ReplyDeleteबहुत ही सुंदरता से आपने चर्चा मंच सजाया है,एक से बढ़कर एक लिंक्स है..बहुत सा ज्ञान अर्जन हो गया,धन्यवाद और आभार।
ReplyDeleteकाफी समय के बाद आपकी चर्चा आई ..पर मन को भाई
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिंक्स से सजाई है चर्चा आपने .
संगीता जी,
ReplyDeleteनमस्कार
आज के चर्चामंच के गुलदस्ते में अनेक रंगों के फूल महक रहे हैं।
आपके परिश्रम को नमन।
मेरी रचना सम्मिलित करने के लिए आभार।
बहुत ही सार्थक और खूबसूरत चर्चा है, बेहतरीन ! आभार संगीता दी !
ReplyDeleteसंगीताजी....
ReplyDelete"चर्चामंच" पर मेरा "मौन" शामिल किया आपने !!
धन्यवाद !!
"चर्चामंच" में एक साथ इतनी अच्छी रचनाएं पढ़ने के लिए मिल जाती हैं !!
इसलिए भी आपका धन्यवाद !!
आपके लिए हाज़िर है.....
"फूल ही फूल बिखरा दिए हैं आपने....
जिधर भी देखिये !
माला बनाऊं या फिर
गूंथ लूं जुड़े में
समझ नहीं पा रही हूँ मैं......"
shukriyaa !!
संगीता जी का चर्चा मंच बहुत ही जोरदार वसंत की तरह सजा अत्यन्त रोचक लगा। आभार।
ReplyDeletecharcha manch dwara
ReplyDeleteabhivyakti sumano kee sundar mala
banaane ke is pawan karya ke liye
dhanywaad aur naman.
Anand wardhak dharaon ke saath sampark karva kar charcha manch ne mujhe aur samraddha kiya.
shubhkaamnayen
बहुत सुन्दर चर्चा..सुन्दर लिंक्स..आभार
ReplyDeleteaap ki mehnat ko naman.
ReplyDeleteitne sare achchhe logon ko padhne ka mouka mila aap ka dhnyavad .meri kavitayen isme shamil karne ke liye aap ka bahut bahut dhnyavad.
rachana
sarthak v sundar charcha aabhar..
ReplyDeleteआदरणीया संगीता जी,
ReplyDeleteसार्थक और खूबसूरत चर्चा की बहुत दिनों से प्रतीक्षा थी,आभार
बहुत अच्छे लिंक दिए हैं संगीता जी
ReplyDeleteमेरी रचना को शामिल करने, और सुर्खियों में रखने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया.
बढ़िया लिंक्स देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
ReplyDeletesangeeta ji dhanyavaad
ReplyDeleteमहत्वपूर्ण लिंक्स के साथ पेश की गयी चर्चा के liye सादर नमन आदरणीया संगीता जी
ReplyDeleteसंगीता जी .... आपने बहुत सुन्दर चर्चा पेश की .,.. नवागंतुक शिशु की देखबाल के साथ साथ चर्चा की जिम्मेदारी भी बखूबी संभाली.. आपका आभार ..सुन्दर लिंक्स के लिए..
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteनमस्कार संगीता जी....बहुत दिनों से आपके चर्चा की प्रतीक्षा थी,जो आज पूरी हो गयी....कल व्यस्तता के कारण मै यहाँ ना आ सका.....बहुत ही सुंदरता से सजाया है आपने चर्चा मंच....आभार।
ReplyDeletebehad rachnatmak charcha lagi ..aabhaar
ReplyDelete