Followers



Search This Blog

Tuesday, February 01, 2011

क्या यही है तुम्हारा बसंत ----साप्ताहिक काव्य मंच – 34 , चर्चा मंच – 416 .

नमस्कार , इस साल का एक माह समाप्त हुआ ..फरवरी की पहली तारीख …सर्दी जाने को है ..पर जाने का नाम अभी नहीं ले रही ….ऋतुराज बसंत ने दरवाज़े पर दस्तक दे दी है …रंग बिरंगे फूलों से उपवन की शोभा निराली हो गयी है …और ऐसे में ज़िंदगी के उपवन को भी सुंदरता प्रदान कर रहे हैं डा० रूप चन्द्र शास्त्री जी ,जो बच्चों के लिए पुस्तक ला रहे हैं हँसता गाता बचपन ….आज की चर्चा यहीं से प्रारंभ करते हैं ..
मेरा परिचय यहाँ भी है!डा० रूपचन्द्र शास्त्री जी अपनी अगली पुस्तक की सूचना देते हुए एक सुन्दर कविता भी लाये हैं
हँसता गाता बचपन
हँसता खिलता जैसा ,
इन प्यारे सुमनों का मन है
गुब्बारों स नाज़ुक ,
सारे बच्चों का जीवन है |
Veena Srivastavaवीना जी की रचना पढ़िए  -युवा द्वंद
आज है द्वंद्व  /  युवा मानस में   /  सत्य का, संघर्ष का  /  कर्त्तव्य का   /  अनभिज्ञ चाहत का|
 My Photoअमृता तन्मय दे रही हैं विजिगीषा का सन्देश विजिगीषा ( विजय पाने की इच्छा )
घनघोर बियाबान
घुप्प अँधेरा
घातक जीव-जन्तुयें
घड़ी-घड़ी घुटन से  
घिघियाती हुई......
 मेरा फोटोआशाजी मंथन कर रही हैं कि क्या सुंदरता अभिशाप है ? --स्वार्थी दुनिया
होता नहीं विश्वास
कभी विष कन्याएं भी होती थीं
होता था इतना आकर्षण
कोई भी बंध जाता था
मोह पाश में उनके |
साधना वैद जी की मर्मस्पर्शी रचना पढ़िए चूक ..
 मेरा फोटोकहीं तो चूक हुई है
वरना वर्षों से अंतरतम के निर्जन कोने में
संकलित, संग्रहित निश्च्छल प्रार्थनाएं
सुने बिना ही देवता यूँ रूठ न जाते
और वे पल भर में ही निष्फल ना हो जातीं !
मेरा फोटोशारदा अरोरा लायी हैं एक गज़ल --मिट्टी हूँ , ख़्वाबों में महक जाउंगी
कच्ची मिट्टी हूँ , तराश लो
प्याला-ए-मीना या सागरो-सुराही की तरह
 रवि शंकर लाये हैं
जुड़वां मुन्तज़िर आँखें
ज़िन्दगी की सड़क पर
ख्वाबों ने, रफ़्तार जो पकड़ी
न जाने हमकदम कितने
मैं पीछे छोड़ आया हूँ
मनोज ब्लॉग पर श्री श्याम नारायण मिश्र का एक नवगीत पढ़िए ---प्रणयगंधी  याद में


चू रहा मकरंद फूलों से,
उठ रही है गंध कूलों से।
घाटियों में
दूर तक फैली हुई है चांदनी
बस तुम नहीं हो।
मेरा फोटोफिरदौस खान की डायरी का नया पन्ना पढ़िए -मेरी रूह महकती रही है , तुम्हारी मुहब्बत से
मेरे महबूब...
मुहब्बत के शहर की
ज़मीं का वो टुकड़ा
आज भी यादों की ख़ुशबू से महक रहा है
My Photoसुनीता शर्मा जी दोस्ती के बीच भी किस बात का ध्यान रखना चाहिए यह बताते हुए कह रही हैं कि -गैरों ने तो फिर भी गले लगाया है .
आस्तीन में है कुछ सांप 
डसने को है हर दम तैयार 
इनको सर उठाने न दो 
एक बार जो उठ गये 
इनका डसना जरूर है।
My Photoडा० टी० एस०  दराल लाये हैं मजबूरी .....यहाँ हैल्थ की  . वहाँ वैल्थ  की
सूखी रोटी ये भी खाते हैं , वे भी खाते हैं।
डाइटिंग ये भी करते हैं , वे भी करते हैं।
जो डाइटिंग अमीरों का शौक है ,
वही गरीबों के जीवन का खौफ है।
My Photoनवनीत पांडे जी कोमल से एहसास लाये हैं प्रेम की प्रथम अभिव्यक्ति
मुस्कान
अर्थात
एक प्यारा सा गान
प्रेम का
जो गालों की सरगम और
My Photoनंदलाल बिहारी जी बहुत संजीदगी से बता रहे हैं -पेड़  का दर्द
मै एक पेड़ हूँ कोई अपराधी नहीं
मैंने तो कोइ अपराध नहीं किया है
आदमी की आज़ादी में
कोइ खलल भी तो नहीं डालता हूँ
 My Photoकुँवर कुसुमेश जी छटा बिखेर रहे हैं ऋतुराज की ---  खुशबू बसंत की
चारो तरफ़ से आयेगी खुशबू बसंत की,
बादे-सबा भी लायेगी खुशबू बसंत की.
रंगीनिये-हयात की खुशबू संभल ज़रा,
तुझको भी आज़मायेगी खुशबू बसंत की.
मेरा फोटोस्वप्निल “ आतिश “ की पढ़िए
घुंघराले बालों वाली शाम
वो एक घुंघराले बालों वाली शाम थी
और मुझे नहीं पसंद सीधे सादे बाल
मायने ये कि वो शाम मुझे पसंद थी,
बालियों के खूबसूरत गुच्छे की तरह
My Photoसांझ की एक प्यारी सी नज़्म  मेरी जाँ और किसी नाम से पुकार मुझे
बर्फ़ से लगते हैं यादों के आब’शार मुझे
मेरी जाँ और किसी नाम से पुकार मुझे
अपने होठों पे मेरा नाम आ जाने न देना
My Photoवंदना सिंह जी बता रही हैं कि सब तय होता है …खुदा की रजाएं ....तय होती हैं
वफायें  ..जफ़ाएं   तय होती है   /  इश्क में सजाएं  तय होती हैं
पाना खोना हैं जीवन के पहलू   /  खुदा की  रजाएं.. तय होती हैं |
मेरा फोटोअनुप्रिया  सोच रही हैं ---
काश ऐसा होता
काश ऐसा होता !
मेरा ख्वाब हकीकत बन जाता,
और वक़्त का पहिया चलते-चलते
इन लम्हों में थम जाता...
My Photoदीपशिखा के पढ़िए
समंदर खोलो पैरों से,
साहिल की आड़ में बैठो
ज़रा सी धूप मिल जाए
नम-सर्द ख्वाबो को !
My Photoकैलाश  सी० शर्मा जी देश की हालत से हताश होते हुए कह रहे हैं --फिर एक बार आओ बापू..
बापू !  /  फिर एक बार आओ   /  अपने सपनों का महल को देखने,  /  जिसे आपके ही  वारिसों ने  /  खँडहर कर दिया है.
My Photoमुदिता गर्ग की एक प्रेम-मयी रचना -प्राण प्रतिष्ठा
प्राण-प्रतिष्ठा कर दी तुमने
मूरत थी पत्थर की भारी
छुआ भावः भीनी दृष्टि से
अंतस को बन प्रेम पुजारी
My Photoअशोक व्यास जीवन के यथार्थ को लिख रहे हैं मेरे होने का सत्य  में
अब ये भी बोध है
कि सीमित तो है ही
देहयुक्त उपस्थिति का
यह काल,
मेरा फोटो
सुरेश यादव जी अपनी बात में लाये हैं दो कविताएँ ….
आग जिनके पेट में होती है
चूल्हे जिनके ठंडे होते हैं
छतें जो डालते हैं सारे दिन
खुले आसमान के नीचे सोते हैं
आओ मिल कर बैठें
सोचें - भुला सभी मतभेद
अपनी गलती करें कबूल
हुई कहाँ पर भूल !
जोया  चाँद की सहेली पर पूछ रही हैं एक प्रश्न ---मेरे तुम्हारे सिवा !
तुम क्यूँ चले गये
क्यूँ नहीं लड़े मुझसे
क्यूँ नहीं झगड़े  मुझसे
क्यूँ आंसू पी गये सारे
अनुष्का के ब्लॉग पर खेल खेल में गीत पढ़िए रेलगाड़ी
नदियाँ के पार चली
चढ़ के पहाड़ चली
दरिया के पीछे
जंगल के अन्दर
नाचे मोर, झूमे बन्दर
My Photoयशवंत माथुर कोमल से एहसास ले कर पूछ रहे हैं एक प्रश्न
बिन आहट आकर के क्यों
मेरी तन्हाईयाँ छीन लीं तुमने 
मैं अकेलेपन में जीता था
मेरी परछाईयाँ छीन लीं तुमने
 My Photoमिताली पुनेठा जी अपनी बात कह रही हैं
तुम्हें शामिल करके "
मर के इक दिन मिट्टी में मिल जाना है मुझे,   /  उसी मिट्टी में बनके फूल, खिल जाना है मुझे...
चुपके से तुम्हारे सपने में आ जाना है मुझे,  /   उसी सपने में तुम्हें चुरा के, पा जाना है मुझे...
My Photoइमरान अंसारी गहन विचार करते हुए कह रहे हैं ..आओ , अपने संबंधों पर पुनर्विचार करें
आओ, अपने संबंधो पर पुनर्विचार करें,
थोड़ी सी कलह, थोड़ा प्यार करें,
मेरा फोटोधीरेन्द्र सिंह जी के खूबसूरत एहसास भोर आज छू गयी मुझे
भोर आज छू गई हौले से
मुस्कराई दूब पर फैली नमी
चहचहाती चिड़ियों का वृंद गान
खिल गई है छटामयी ज़मीं
 रचनाकार पर पढ़िए संजय दानी जी की एक गज़ल .. मेरा सफर
रात उम्मीद से भारी है, सुबह होने नहीं वाली है। /  मुश्किलों से भरा है सफ़र, आज ज़ख्मों की दीवाली है।  /  मैं चरागों का दरबान हूं, वो हवाओं की घरवाली है।  /क़ातिलों को ज़मानत मिली, न्याय मक़तूल ने पा ली है
My Photoवटवृक्ष पर त्रिपुरारि कुमार शर्मा की रचना ..बेबस ज़िंदगी
ज़मीन और जिस्म के बीच सुगबुगाता आदमी
जैसे फूट रही हो बाँस की कोपलें
छू ली मैंने बहती हुई रात
कितनी सर्द, कितनी बेदर्द
My Photoहरीश भट्ट  राष्ट्रपिता की पुण्यतिथि  मना रहे हैं उदघोष  पर -

गाँधी...
गाँधी नाम का विचार 
६२ वर्ष पहले नहीं
ओर न ही किसी गोडसे ने
न ही किसी धर्मान्धता ने
न ही किसी सामाजिकता ने 
न अस्त्र ने न शस्त्र  ने
My Photoएस०  एम० हबीब  पढ़ा रहे हैं हम सबको ---वर्तमान की पाती
राष्ट्र के गगन तुम्हें है मेरा सदनमन।
पर देख कैसे सूख रहा तेरा ये चमन।।
राष्ट्र अस्मिता के तुम उत्थान हो गए।
याद कर तुम्हें सजल हैं मेरे दो नयन॥
स्वतंत्र विचार पर मीनाक्षी
पन्त की रचना
सफर
घर से चले थे घर का पता साथ लेके हम !
चल पड़े थे काफिले संग  दूर तलख हम !
मिलते भी रहें राही बदल बदल के राह मै ,
रुकते भी गये अपने काफिले के संग हम !

ज़खीरा ब्लॉग पर बशीर बद्र की गज़ल ..उसकी आँखों को गौर से देखो-

बेवफा रास्ते बदलते है
हमसफ़र साथ चलते है
किसके आसू छिपे है फूलो में
चूमता हू तो होठ जलते है
साहित्य शिल्पी पर अनिल कान्त जी की कविता अनुगमन
यह महज इत्तेफाक नहीं /कि / हम शोषित और अव्यवस्थित है । /व्यवस्थित सोच से उत्पन्न समाज में / श्रंखलित व्यवस्था के पायदान पर खड़े हो / शोर भर मचाना / हमारी फितरत है, बस / और कुछ नही ।
अनुभूतियों के आकाश पर कुश्वंश कह रहे हैं …जागने का वक्त है
जागो,
जागने का वक्त है,
देश को बचाना है तुम्हे,
जिनके सहारे छोड़ा था,
वो खा गए, भूखे जो थे,
भूखे तो तुम भी हो,
लेकिन भूख से बचो,
भूख हमें कही का नहीं रहने देती,
 My Photoज्योति डांग कह रही हैं ..अपना एक मुकाम बनायेंगे
बोलता हर कोई
क्या मुझे मिला
देश ने क्या दिया
नेताओं ने देश का
बेडा गर्क किया
सोचा कभी हमने
क्या देश के लिए
किया
श्रीमती ज्ञानवती सक्सेना \श्रीमती ज्ञानवती सक्सेना जी “ किरण “  वसंत के आगमन पर अपने हृदय की पीड़ा को उजागर करती हुई पूछ रही हैं कि -
तुम कहते यह फूली सरसों पृथ्वी पर नवयौवन लाई ,
पर मुझे दीखता रुग्ण धरा है पाण्डु रंग से सकुचाई !
तुमको फूले पलाश लगते प्रियतमा प्रकृति के आभूषण,
पर मुझे दग्ध अरमानों के लगते ये चमक रहे हैं कण !
My Photoमृदुला प्रधान जी की यह रचना विसंगतियों की ओर इंगित कर रही है नींद थी एक रोज जल्दी खुल गयी
खुल गयी  / औ' दृश्य बाहर था  /दिखा जो,
कुसुम कलियों से  / अलग था,  /पुलिन-पंकज से
परे था. 
कुंवर बेचैन की गज़ल पढ़िए --नींद के पांव पे पत्थर बन कर आते है ख्वाब
नींद के पाँव पे पत्थर बन के आते है ख्वाब
जख्म देते है उन्हें और टूटते जाते है ख्वाब
 सप्तरंगी पर  पढ़िए आशीष जी की रचना मन के कोमल भावों से सजी सुन्दर अभिव्यक्ति -
कमनीय स्वप्न
कौन थी वो प्रेममयी , जो हवा के झोके संग आई
जिसकी खुशबू फ़ैल रही है , जैसे नव अमराई
क्षीण कटि, बसंत वसना, चंचला सी अंगड़ाई
राजभाषा ब्लॉग पर  एक संवेदनशील रचना ---ज़िम्मेदारी

अक्सर मैं सोचती हूँ कि
दुनिया में कितने रंग हैं
अपने गम से बाहर निकलो तो
दुनिया में कितने गम हैं ।
कुछ नए लिंक्स ---
My Photo

१-    धूप – चाँद – रंग – खुशबू !  ( इन्द्रनील भट्टाचार्जी )
मेरा फोटो
२-   अपने जन्मदिन पर  ( अरुण सी० राय )

३--  मिस्र से आ रही तस्वीरों को देख कर ग़ज़ल ( तहसीन मुन्नवर  )
मेरा फोटो

४--  हँसना मना है ( अनीता )

५--   ‘‘तू अपना मैं पराया  ( के० आर० भास्कर )

My Photo
६-   आँखों में व्यर्थ सा पानी  
(
रश्मि रविजा )
इसीके साथ आज की चर्चा यहीं समाप्त करती हूँ …अब चर्चा की उपयोगिता आपके हाथ में है …..आपके सुझाव और प्रतिक्रियाएं हमेशा उत्साहित करती हैं …आभार ……नमस्कार ---संगीता स्वरुप

51 comments:

  1. चहकते हुए रंगों से सजी चर्चा को देखकर लगता है कि बसन्त आज की चर्चा में सिमट आया है!

    ReplyDelete
  2. कवितायें आपका पैशन हैं -ढेर सारी मिलीं पढने को ..बसंत चल पड़ा है !

    ReplyDelete
  3. आज की बहुरंगी चर्चा बड़ी लुभावनी लग रही है संगीता जी ! मुझे इसमें स्थान देने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद ! पूरा प्रयास रहेगा मेरा कि आज हर लिंक पर जाऊँ ! आपकी लगन और मेहनत की जितनी प्रशंसा की जाए शब्द कम पड़ जायेंगे ! बधाई एवं शुभकामनायें !

    ReplyDelete
  4. बहुत सुन्दर लिंक्स हैं आज के चर्चा मंच पर.
    मेरा नाम वहां पर सही कर दें तो कृपा होगी.
    कृपया "कुँवर कुसुमेश" लिखें.
    मुझे स्थान दिया, कृतज्ञ हूँ.

    ReplyDelete
  5. आभार ....

    @ कुँवर कुसुमेश जी

    नाम ठीक कर दिया है ...त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने के लिये आभार ..

    ReplyDelete
  6. साधना जी जैसे ही भाव मेरे भी हैं ...
    चर्चा करना भी आपके लिए एक साधना ही है ...
    आभार !

    ReplyDelete
  7. आदरणीया संगीता स्वरूप (गीत जी) का सर्वप्रथम आभार मेरी गज़ल को "चर्चा मंच " में स्थान देने के लिये। हमेशा की तरह आज भी आपकी चर्चा का स्वरूप बेहतरीन है।

    ReplyDelete
  8. बहुत सुन्दर लिंक्स हैं आज के चर्चा मंच पर.

    ReplyDelete
  9. आपकी चर्चा के लिंक पढ़ रहा हूँ ...अच्छी रचनाओं से परिचय करवाने के लिए आभार आपका !!

    ReplyDelete
  10. bahut sundar charcha ... post shamil karne ke liye shukriya.
    bahut saare acche link mile.

    ReplyDelete
  11. बहुत सुंदर चर्चा संगीताजी ...आभार

    ReplyDelete
  12. kya kahoon shabd hi nahi mil rahe hain aapki mehnat ki tareef ke liye,bahut sunder ,sarthak charcha.achchhe links aabhar...

    ReplyDelete
  13. संगीता जी मै आपकी बहुत बहुत शुक्रगुजार हूँ की आपने मेरी रचना को चर्चा मंच की शोभा बनने का मोका दिया और मुझे कई अच्छे अच्छे ब्लोगेर्स से मिलने का सोभाग्य प्राप्त हुआ !

    शुक्रिया !

    ReplyDelete
  14. आदरणीय संगीता जी , मैंने सोचा भी नहीं था की आप चर्चा मंच में मुझे भी जगह देंगी, धन्यवाद् अभिवादन. साहित्य जगत में आपकी उपस्थिति काव्य को नए आयाम दे रही है पुनः धन्यवाद्. मंच पर बेहतर से बेहतरीन संकलन कर हमारी साहितिक भूंख मिटने के लिए बधाई.

    ReplyDelete
  15. संगीता जी,

    सारे लिंक्स बहुत ही अच्छे हैं......मेरे ब्लॉग की पोस्ट शामिल करने के लिए आपका आभार.....वक़्त मिलते ही सब पड़ने की कोशिश करूँगा......एक बार फिर धन्यवाद|

    ReplyDelete
  16. सुन्दर काव्य चर्चा , बहुत सारी मनमोहक रचनाओ को पढने का सौभाग्य मिल जाता है आपकी चर्चा से . आभार .

    ReplyDelete
  17. इतने सारे लिंक्स लिए इतनी प्यारी चर्चा ....और ये क्या मेरी रेलगाड़ी चलते चलते यहाँ भी आगई :)
    इस सुन्दर चर्चा में मुझे स्थान देने के लिए थैंक यू मौसीजी .

    ReplyDelete
  18. विभिन्न रंगों, उमंगों और तरंगो की रचनाओं को पढ़ने के बाद अंत में हृदय आपके प्रति आभार प्रकट कर रहा है।

    ReplyDelete
  19. har moti nayab hai.aapki aabharee hoon is sunder uphaar ke liye.....

    ReplyDelete
  20. संगीता जी आपको बहुत-बहुत बधाई इस बेहतरीन चर्चा के लिये ।

    ReplyDelete
  21. वासंतिक रंगो से सजी सुन्दर और सुव्यवस्थित चर्चा के लिये आभार्।

    ReplyDelete
  22. कई पहलुओं को छूती सारगर्भित चर्चा के लिए हार्दिक बधाई |आप इतनी सारी लिंक्स पढ़ने के लिए दे देतीं हैं कि कब दोपहर कट जाती है पता ही नहीं चलता |अच्छी चर्चा के लिए बधाई और आभार मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए |
    आशा

    ReplyDelete
  23. संगीता जी..बहुत सुन्दर चर्चा करती हैं आप... चर्चामंच सुन्दर लिंक्स और मनभावन तरीके से किये गए रंग संयोजन से सुवासित कर देती है आप... एक बेहतरीन रोचक अंदाज,,, सादर

    ReplyDelete
  24. कई लिंकस पर पठनीय सामग्री मिली ...बहुत अच्छी चर्चा ..... ,एरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ... :)

    ReplyDelete
  25. संगीता दी ...जानती हैं..आपकी चर्चा में मुझे...सबसे अच्छी बात क्या लाती है.....आपके दिए लिनक्स तो देखने का दिल करता ही है...परन्तु..आपने जो मन से उनपे अपने कमेंट्स दिए होते या बात लिखी होती है..वो पड़ने में बहुत मज़ा आता है ....

    बहुत अच्छे लिंके हैं...बसंत आपकी चर्चा में लहराता हुआ दिख रहा है
    मेरी रचना को भी अपने गुलदस्ते में जोड़ने के लिए शुर्किया

    Take care

    ReplyDelete
  26. mujhe shamil karne ke liye bohot bohot shukriya dadi....aur aaj to bohot kuch padhne ko mila hai....bohot khoob jama hai manch aaj....

    ReplyDelete
  27. संगीता जी नमस्कार..बहुत ही सुंदरता से सजाती है आप चर्चा मंच,बड़ा अच्छा लगता है...बहुत सारे लिंक्स मिल जाते है....धन्यवाद।

    ReplyDelete
  28. दीदी,हमेशा की तरह बहुत सुन्दर चर्चा मंच....बहुत अच्छे लिंक्स.. मेरी प्राण प्रतिष्ठा को शामिल करने के लिए शुक्रिया :)

    ReplyDelete
  29. संगीता जी धन्यवाद, आपने मेरे ब्लॉग को अपनी चर्चा में स्थान दिया |और भी कई लिंक पढ़ने को मिले |

    ReplyDelete
  30. आदरणीया संगीता जी,
    बहुत ही अच्छे लिंक्स पढने को मिले आज.
    मेरी पंक्तियों को स्थान देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया.

    सादर

    ReplyDelete
  31. सुन्दर लिंक्स से सजी बहुत सुन्दर चर्चा..मेरी रचना को चर्चा में शामिल करने के लिए धन्यवाद...आभार

    ReplyDelete
  32. आहा , सारा काव्य यहाँ संग्रह में सिमट आया है ...धन्यवाद संगीता जी , जब से ब्लॉगवाणी बंद हुई है , तब से मेरी रचनाओं के विजिटर्स भी कम हो गए हैं , आज आपकी बदौलत एक साथ कुछ लोगों ने दस्तक दी है ...

    ReplyDelete
  33. उत्तम चयन, पठनीय लिंक. आभार...

    ReplyDelete
  34. बहुत सुन्दर लिंक्स हैं आज के चर्चा मंच पर.
    आभार

    ReplyDelete
  35. आज तो पूरा हिंदी ब्लॉगजगत समेट लिया ..आभार.

    ReplyDelete
  36. सभी पाठकों का आभार

    @@ वीनस --- जोया ,

    आपकी बात ने हौसला बढ़ाया ...मुझे लगता था की मेरा लिखा शायद लोग पढते नहीं हैं ..इसीलिए कमेंट्स साथ में लिखना कम कर दिया था ...शुक्रिया एहसास दिलाने का ..

    ReplyDelete
  37. "वस्त-ए-गमार-ए-खुशबु-ओ-गुल आ गया हूँ.
    लगता है, अदबीयत की स्कूल आ गया हूँ.
    सच कहूं तो, आकर यहाँ वक्फा-ए-चंद में
    सारे जहां से गोया, मिल जुल आ गया हूँ."

    संगीता दी, इस महफ़िल-ए-दानां में नादाँ हबीब को शामिल कर इज्ज़त बख्शने के लिए बहुत शुक्रिया,
    एक से बढ़कर एक हैं सभी लिंक्स, काफी देर से हूँ यहाँ, पर पूरा नहीं पढ़ पाया... फिर आना होगा इस अधूरे आनंद को पूरा प्राप्त करने के लिए... इस मंच को सजाने में आपकी मेहनत को नमन.. फिर से शुक्रिया.. सादर....

    ReplyDelete
  38. संगीताजी
    समर्पण और संवेदना से
    साहित्यिक अभिव्यक्ति की इतनी
    सुन्दर, सारगर्भित अभिव्यक्ति सरिताओं को
    निष्ठां से एक मंच पर प्रस्तुत करने की
    मधुर सेवा के लिए साधुवाद
    मुझे भी इस 'ब्लॉग समाज' के साथ
    आत्मीयता का यह स्वाद चखाने के लिए
    ह्रदय से आभार
    शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  39. aapane hamari rachana ko charcha -manch me shamil kiya ,Ham aapake aabhari hai.charchamanch ki upsthiti sahitya-jagat me sadaiv bani rahe. Hardik shubhkaamanaayen..Nand Lal Bharati

    ReplyDelete
  40. सारगर्भित चर्चा

    ReplyDelete
  41. संगीता जी , सर्वप्रथम सुन्दर चर्चा के लिए आपको धन्यवाद .....अगर आप मुझे माफ़ करेंगी तो मैं कहना चाहती हूँ ....कि आप मेहनत से अच्छे लिनक्स देती हैं ...अगर इसकी संख्या कुछ कम हो तो चर्चा और सुन्दर होगी...आशा है कि आप अवश्य ध्यान देंगी .

    ReplyDelete
  42. संगीता जी , सर्वप्रथम मेरी रचना को शामिल करने के लिए व सुन्दर चर्चा के लिए आपको धन्यवाद ..... कहना चाहती हूँ कि आप कितनी मेहनत से अच्छे लिनक्स देती हैं .आगे भी आपकी तीक्ष्ण नजरे चर्चा मंच को और उंचाईयों तक ले जाएगी ....आप सबों का आभार . .

    ReplyDelete
  43. मेरे चार ख्यालों को मंच देने के लिए शुक्रिया :)

    बाकी क्या कहूँ, यहाँ आके तो सब तरह के मसाले मिल जाते .. तीखे मीठे .. बढ़िया !

    ReplyDelete
  44. aaj kayi dino baad charcha-manch ki dahleez par kadam rakha...sabki rachnaon se dil prasann ho gaya...meri rachna shamil karne ke liye aur mera hausla badhane ke liye aapka bahut-bahut dhanyawaad...

    ReplyDelete
  45. चर्चा मँच पर रचनाओँ का बहुत ही सुन्दर गुलदस्ता प्रस्तुत किया है संगीता दी आपने । आभार !

    " कुछ फूल पत्थर के भी हुआ करते हैँ..........गजल "

    ReplyDelete
  46. सभी पाठकों का आभार ...

    @@ वर्ज्य नारी स्वर ...

    आपका कथन सही है ...लेकिन आज कल चिट्ठा जगत और ब्लॉग वाणी बंद हो जाने के कारण चर्चा मंच का एक उद्देश्य यह भी हो गया है की अधिक से अधिक लिंक पाठकों तक पहुंचाए जा सकें ...आपकी बात पर अवश्य विचार किया जायेगा ...आभार

    ReplyDelete
  47. संगीता जी आपने मेरी रचना "गैरों ने तो फिर भी
    गले लगाया है।" को इस मंच पर लिया आपका आभार कुछ व्यस्तताओ के कारण समय पर नही देखा इसका मुझे खेद है।

    ReplyDelete
  48. संगीता जी ,चर्चा मंच पर विलम्ब से पहुंचा हूँ लेकिन आनंद आया .मेरी कवितायेँ देने के लिए आप का ह्रदय से आभारी हूँ .आप के द्वारा किया गया रचनाओं का चयन महत्व का है साथ ही प्रस्तुति भी नयापन लिए हुए है .बधाई.

    ReplyDelete
  49. dhaniyawaad aapka aapne meri rachna ko shamil kiya tahe dil se shukria ji

    ReplyDelete

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।