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मंगलवार, फ़रवरी 15, 2011

"हाट में बिकते दिल देखो..." (चर्चा मंच-428)



कबिरा खड़ा बजार में, माँगे सबकी खैर।
ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर।।
मित्रों जैसा कि आप जानते हैं कि मंगलवार का चर्चा मंच बहन संगीता स्वरूप जी साप्ताहिक काव्य मंच के रूप में सजाती रहीं हैं। आज वो बहुत व्यस्त है इसलिए मंगलवार का मंच मैं ही प्रस्तुत कर रहा हूँ। संगीता स्वरूप जी की व्यस्तताएँ शायद अगले सप्ताह कुछ कम हो जाएँगी और वो फिर से आपके सामने मनभावन काव्य मंच लेकर उपस्थित हो जाएँगी!
आइए आज का चर्चा मंच काब्य की सुन्दर कृतियों से सजाता हूँ।
मगर मेरी मजबूरी है कि लिंक किसी को भी नहीं भेज पाऊँगा।
मेरा फोटो
My Photo
थाम लेते हैं सनम जब भी कलाई मेरी 
कब याद में तेरा साथ नहीं- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ -
My Photoकब याद में तेरा साथ नहीं 
कब हाथ में तेरा हाथ नहीं 
सद शुक्र के अपनी रातों में 
अब हिज्र की कोई रात नहीं ...

मैं चाहता न था बंधना 
किसी भी बंधन में 
पर न जाने कहाँ से आई तू मेरे जीवन में | 
सिर्फ आती तब भी ठीक था 
क्यूँ तूने जगह बनाई मेरे बेरंग जीवन में  ... 
 My Photo
आन कs लागे सोन चिरैया........... .......................................... *वैलेनटाइन* बिसरल बंसत अब तs राजा आयल वैलेनटाइन । 
राह चलत के हाथ पकड़ के बोला यू आर माइन । 
फागुन कs का बात करी...
 मेरा फोटो
हवा जब भी गुज़रती है 
सरसों के खेत से होकर 
दो चार पीले फूल टंग जाते हैं उसकी कमीज़ के बटन में 
और पीठ पर गूंजती दिखती है 
एक भीनी भीनी सी थाप इन रंगों ...


फैज : जगह-जगह पे थे नासेह तो कू-ब-कू दिलबर



जन्मशती पर फ़ैज अहमद फ़ैज (१९११- १९८४) को याद करते हुए ..क्या लिखा जाय उस पर जिस पर इतना लिखा गया है लिखा जाएगा कि उम्र छोटी पड़ जाय। इस बड़े रचनाकार के बड़प्पन की अपनी पसंदीदा बानगी के रूप में आज उनकी दो रचनायें ; पहली महाकवि ग़ालिब को समर्पित और दूसरी मख़दूम मोहिउद्दीन (१९०८-१९६९) की स्मृति में जिसे स्वर दिया है आबिदा परवीन ने। साथ में एक साझा तस्वीर शताब्दी के महान कवि पाब्लो नेरुदा (१९०४-१९७३) के साथ। तो लीजिए जन्मशती पर फै़ज को याद करते हुए प्रस्तुत है यह एक कोलाज : 

* नज़्रे ग़ालिब :
किसी गुमाँ पे तवक़्क़ो ज़ियादा रखते हैं।
फिर आज कू-ए-बुताँ का इरादा रखते हैं।
बहार आयेगी जब आयेगी, यह शर्त नहीं
कि
 तश्‍नाकम रहें गर्चा बादा रखते हैं।
तेरी नज़र का गिला क्या जो है गिला दिल को
तो हमसे है कि तमन्ना ज़ियादा रखते हैं।
नहीं शराब से रंगी तो ग़र्क़े-ख़ूं हैं के हम
ख़याले-वज्ए-क़मीसो-लबादा रखते हैं।
ग़मे-जहाँ हो, ग़मे-यार हो कि तीरे-सितम
जो आये, आये कि हम दिल कुशादा रखते हैं।
जवाबे-वाइज़े-चाबुक-ज़बाँ में 'फ़ैज़' हमें
यही बहुत है जो दो हर्फ़े-सादा रखते हैं। 

फैज़ अहमद "फैज़" को नमन
 

बगुला भगत बना है कैसा।
लगता एक तपस्‍वी जैसा।

अपनी धुन में अड़ा हुआ है। 
एक टांग पर खड़ा हुआ है।  

My Photo




हरी नाम की जप ले माला - कटुक वचन मत बोल - 

बीत रहा है पल-पल तेरा - क्षणभंगुर जीवन अनमोल ...!! 
दिवस गवांया खाए के - फिर रैना गंवाई सोए .....  



चंचल-चंचल, मन के सच्चे। 
सबको अच्छे लगते बच्चे।। 
कितने प्यारे रंग रंगीले। 
उपवन के हैं सुमन सजीले।। 
भोलेपन से भरमाते हैं। 
ये खुलकर हँसते-गाते हैं।।.....  
 मेरा फोटो

बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं…....... 
इस अवसर पर मेरी एक पुरानी कविता डाल रही हूँ ।
आशा करती हूँ आप सबको पसन्द आयेगी..... 
शाम ढल आई मेघ की गहराई 
 My Photo

कविता रच डाली

आसमान में बादल छाया

छुप गया सूरज शीतल छाया

मेरे इस उद्वेलित मन ने 

कविता रच डाली......... 

H P SHARMA 
आओ ना मितवा अभी मन है प्यासा
रुको जब तक हलचल है जीवित है आशा

यमुना का तट था औ कदम्बो की डाली
बिन राधा थे बैठे जहा श्याम खाली
बरनिया के कुंजो मे झूल्र थे हम तुम
उन सखियों से छिपकर मिले भी थे आली......


मेरा फोटो

*मन ऑन लाइन था, और दिन वैलेन्टाइन था।* 
*दिल में उमड़ा प्यार था, हाथ में उपहार था॥* 
*खूबसूरत नज़ारा था, बजा रात के ग्यारा था।* 
My Photo 

जब बसेरा थी गुफा

(पेश हैं निहायत सीधी सच्ची बातें इस सीधी सादी गैर मुरद्दफ़ ग़ज़ल में)
देश के हालात बदतर हैं, सभी ने ये कहा
पर नहीं बतला सका, कोई भी अपनी भूमिका

बस गया शहरों में इंसां, फर्क लेकिन क्या पड़ा
आदतें अब भी हैं वैसी, जब बसेरा थी गुफा.........
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हर दिन हो प्रेम-दिवस !

                                                                                              
                                                                - स्वराज्य करुण  
                                         
                                              आंसुओं का ज़हर पीने  क्यों कोई हो विवश ,
                                               हर दिन हो प्रेम-दिवस,  हर दिन हो प्रेम दिवस !

                                                          धरती से अम्बर का ,
                                                          नदियों से सागर का ,
                                                          झीलों से झरनों का ,
                                                          पनघट से गागर  का !
                           
                                            प्यार ही प्यार हो बस,   कोई न करे बहस   !
                                            हर दिन हो प्रेम-दिवस , हर दिन हो प्रेम-दिवस !....

बसंत क्या आया .....



बसंत क्या आया ...
बागों में फूल खिले
भौरों ने कर ली उनसे दोस्ती
जी भरकर मधु बनाने लगे //



मेरा फोटो 

ऐसे भी प्यार... वेलण्टाईन डे विशेष

प्यार के वर्तमान सच...

चेटिंग माध्यम में-

कृपया इसमें अश्लीलता न देखें

मेरा फोटो
sagebob





(कृपया काव्य रस की कमी को नज़र अंदाज़ करें,प्रेम रस भरपूर है जी)



ज सुबह सवेरे उठ कर 
आँगन में उगी गुलाब की क्यारी में ब्रश  किया,
फिर पडोसिओं के साथ लगती
कंटीली झाडी को जस का तस किया
मेरा फोटो 
ख्वाब पुराने मत देखा कर 
धुंधली यादें मत देखा कर
 मेरा फोटो

बहुत कठिन है मोहब्बत की राहें



प्यार की इस हसीन वादियों मैं 

एक बार तुम आके तो देखो | 

हो न जाये इससे महोब्बत जरा 

इसे आजमा  के तो देखो |.....

जिंदगी है छोटी हर पल मे खुश हूँ!


दोस्तों आज की पोस्ट आपके लिए खाश है क्युकि आज वैलेंटाइन डे है आज मैं आपको कुछ ऐसी साईट पर लेकर चलूँगा जहाँ आपके लिए 100 लव सोंग होंगे और एक ऍसी साईट पर लेकर चलूँगा जहाँ आपको आपके प्यार के बारे में पता चलेगा कि उसके दिल में आपके लिए कितना प्यार है और अगर आपका दिल टूट चूका है और आप मुस्कुराना भूल गये हो तो आपके लिए एक ऍसी साईट भी है जो आपके मुरझा ...
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नवगीत :: जब होंगे फिर मन पलाश

भटक गए हैं
कालखण्ड में
रंग वसंती, केसू, केसर
आसक्ति का
नेह में तिरना
सुन्दरि का अन्तः निवास।......
हरीश प्रकाश गुप्त 
 कृष्ण कुमार यादव

प्रेम (वेलेंटाइन दिवस पर विशेष)

समर्पण है, त्याग है

प्रेम एक संयोग है

तो वियोग भी है.....
 rakesh gupta

***हर दिन वेलेंटाइन मनाऊं मैं***

बन बेबकूफ क्यों प्यार को मैं,
एक दिन का ही त्यौहार करूँ,
हर दिन को ही क्यूँ ना मैं,
वेलेंटाइन डे यार करूँ.............
--------------------

इकतरफा प्यार..........(सत्यम शिवम)

ये दिल का खेल भी बड़ा निराला होता है,
जिससे प्यार करता है,
उससे ही कहने से डरता है।
 मेरा फोटो

"वैलेन्टाइन डे" या "प्यार-प्रण दिवस"

जब भी मैं होऊं रिक्त,
पूर्ण करो मुझे तुम,
और तुम्हारी शून्यता,
गूंज से भरूँ मैं |....
 My Photo

मैं गीत हूँ तेरे इश्क़ का ......



मैं बीज हूँ मोहब्बत का ....


तू इश्क़ की ज़मीं पे उगा जरा 

मैं गीत हूँ तेरे इश्क़ का ......

तू गुनगुना के मुझे देख जरा 


मेरा फोटो
nivedita srivastava

"प्रेम दिवस" की पूर्व संध्या पर .....

क्या बांटा जा सकता है ,
प्रेम कुछ दिवसों में ,
क्या कह सकते हैं ,
आज प्रेम करेंगे ,
क्यों कि आज है 
दिन प्रेम का !
ये तो होगा ......
प्यारे से प्रेम का 
शव -विच्छेदन !..
-0-0-0-0-
अब आज का चर्चा मंच समाप्त करता हूँ!

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत से छूटे हुए लिंक यहाँ मिल गए ...
    पढ़ते हैं बारी- बारी...

    सरस काव्य चर्चा !

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  2. बहुत ही लगन और मेहनत से चर्चा मंच सजाया है…………सभी लिंक्स पर हो आई हूँ ज्यादातर …………बाकी बाद मे ……………बहुत बढिया और सार्थक चर्चा।

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  3. bahut sundar charcha,,,, bahut.,... kintu uchcharan se nahi khuli... kafi try kiya ...blogspot address se khooli

    जवाब देंहटाएं
  4. bahut sundar charcha,,,, bahut.,... kintu uchcharan se nahi khuli... kafi try kiya ...blogspot address se khooli

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  5. बहुत ही मनमोहक चर्चा.......अच्छे लिंक्स मिले...धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं

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