आज बुधवार है और आज की चर्चा लगाने का जिम्मा मेरा है।
मेरी मजबूरी यह है कि मैं आपको चर्चा में लेने की
सूचना नहीं भेज पाता हूँ।
आप इसे मेरी व्यस्तता कहें या कुछ... ..।
प्रस्तुत हैं मेरी पसन्द का लेखा-जोखा
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भाषा,शिक्षा,रोज़गार का, बहुत बुरा है हाल।
नेताओं के हाथ में, देश हुआ बदहाल।।
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पाक-चीन करने लगे, सब्जी का व्यापार।
खेतीहर निज देश का, खिसक रहा आधार।।
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करके सही विवेचना, दिया हमें नवनीत।
यह प्रभात की ऊर्मियाँ, रहीं मनों को जीत।।
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- बामुलाहिजा >> Cartoon by Kirtish Bhatt www.ba...
धन का ही संग्रह किया, नही मुझे है खेद।
धन को केवल धन कहो, कैसा स्याह-सफेद।।
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जीवन के मानक नये, नये-नये हैं भाव।
लेकिन कुदरत ने किये, नहीं कभी बदलाव।।
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सही गलत की हो भला, अब कैसे पहचान।
दुनिया की इस भीड़ में, सब ही हैं अनज़ान।।
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दिखती सीधी और सरल, लेकिन दुनिया गोल।
कभी सुधा भी गरल है, कभी गरल अनमोल।।
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चरवाहों की भीड़ में, खोज रहा हूँ सन्त।
इधर-उधर मत ध्यान धर, मन में बसा बसन्त।।
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कम्बल और रजाइयाँ, कुछ दिन की मेहमान।
ऋतुओं के इस चक्र से, क्यों हो तुम अनजान।।
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योग और विज्ञान का, गहरा है अनुबन्ध।
रोगों से रहता नहीं, योगी का सम्बन्ध।।
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कलियुग में तो पाप का, लालच ही है बाप।
लालच के ही हाथ में, बंधे हुए सन्ताप।।
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सामर्थ्यवान की जगत में, सब लेते हैं ओट।
चित-पट दोनों उसी की, कोई न उसमें खोट।।
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चलते -चलते देख लो, ब्लॉगरीय षटकर्म।
केवल राम बता रहे, ब्लॉगविधा के मर्म।।
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Wednesday, February 02, 2011
"मेरी पसन्द का लेखा-जोखा" (चर्चा मंच-417)
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बहुत उत्तम काव्यमयी चर्चा.
ReplyDeleteशास्त्री जी का जवाब नहीं …:)
ReplyDeleteचर्चा भी छंद में !
कमाल !
देखने ही पड़ेंगे आज के लिंक भी …
राजेन्द्र स्वर्णकार
चर्चा भी इतनी कवितानुमा ...
ReplyDeleteमेरी कहानी पर आपका छंद मेरी सकारत्मक सोच को प्रश्रय दे रहा है ...
आभार !
सुन्दर प्रस्तुति, आभार.
ReplyDeleteबहुत सुंदर चर्चा ...
ReplyDeletebehad shaleen dhang se aap charcha manch prastut karte hain aur sambandhit links par aap ki sankshipt tipanniyan rochakta ko aur badha deti hain .rajendra ji ne sahi kaha aapka koi jawab nahi.
ReplyDeletebehad shaleen dhang se aap charcha manch prastut karte hain aur sambandhit links par aap ki sankshipt tipanniyan rochakta ko aur badha deti hain .rajendra ji ne sahi kaha aapka koi jawab nahi.
ReplyDeletesarthak charcha.aabhar
ReplyDeleteआच्छी चर्चा अच्छे लिंक्स।बधाई व आभार।
ReplyDeleteबहुत सुंदर चर्चा ... शास्त्री जी ... आभार !
ReplyDeletevery good "poetric charchaa"
ReplyDeleteaapse hamesha h kch seekhane ko milta hai
नमस्कार शास्त्री जी....बहुत ही सुंदर चर्चा मंच सजाया आपने आज..बहुत खुब
ReplyDeleteइतने सुन्दर लिंक्स के साथ बेहद सुन्दर काव्यमयी चर्चा के लिये आभार्।
ReplyDeleteवाह काव्यमयी चर्चा ..बहुत खूब.
ReplyDeleteसुन्दर चर्चा...
ReplyDeleteआभार.
बहुत बढिया ..
ReplyDeletesundar charcha.. aaj shastri ji chhote chhote tukdon me sundar charcha...aur kavita swaroop.. accha laga..
ReplyDeleteचर्चा बहुत सुन्दर छंदों में खूबसूरत अंदाज...
ReplyDeleteकवि मन की प्रस्तुति. अद्भुत...
ReplyDeleteइस काव्यमयी चर्चा को पढ़कर लगा कि "सुख का सूरज " फिर उदित हुआ है , नन्हें सुमन के लिए ...
ReplyDeleteआज कि काव्यमयी चर्चा बहुत बढ़िया रही ...अच्छे लिंक्स मिले
ReplyDeleteप्रायः सबकी रूचि का ध्यान रखा आपने।
ReplyDeleteइतनी सुंदर काव्यमय चर्चा पढकर मन ख़ुश हो गया।
ReplyDeleteचर्चा में औसतन इतने ही पोस्ट हों,तभी सभी लिंकों पर जा पाना संभव होता है।
ReplyDeleteबहुत सुंदर चर्चा
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