मित्रों! आज बुधवार है।
सीधे-सीधे चर्चा का प्रारम्भ करता हूँ-
आप खुद ही पढ़कर देख लीजिए कि
रोज क्या होता है?
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बाल-मंदिर में पढ़िए
डा. अजय जनमेजय का बाल गीत :
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पतझड़ की साँझ का सुहाना चित्रण किया है
पारुल जी ने
सन-सन घिरती
मन के भीतर एक साँझ पतझड़ की
ह़र-ह़र,वसंत ले जावे खड़-खड़ उड़ता सूखा पत्ता,
एक अकेला पाखी गोल-गोल मंडरावें
दिप-दिप बरती विकल वल्लभा ...
CARTOON DHAMAKA में देखिए यह मजेदार कार्टून
मगर यह कार्टून नहीं है
यह तो मशहूर कार्टूनिस्ट सुरेश शर्मा का बचपन का फोटो है।
किसी ने सच ही कहा है कि-
बचपन हर गम से बेगाना होता है ,
देखते-देखते बचपन पीछे छूट गया सिर्फ बचपन की यादें ही रह गईं ,
अचानक मुझे अपने बचपन की एक फोटो घर की...
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दराल साहिब आप की इस पोस्ट से
महिलाओं का मनोबल निश्चितरूप से बढ़ जाएगा।
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अपर्णा मनोज भटनागर मौलश्री पर लेकर आई हैं-
"प्रथम प्रवास " आइला नेग्रा (पाब्लो नेरुदा )----------------------------श्रीमती वन्दना गुप्ता ने थोड़ी देर पहले ही
विजय सपत्ति जी की ये फोटो देखी फेसबुक पर
और इनके मन में देखते ही ये ख्याल उमड़ आया
आप भी इसे शेयर कीजिएगा। "तुम्हारे इंतजार में ..-------------------------- लगे हाथो कार्टूनिस्ट इरफान कायह मजेदार कार्टून भी देख लीजिए-
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बोरियत वर्ल्ड कप - 2011 - वर्ल्ड कप के शुभारम्भ को तीन दिन बीत चुके हैं और आज पांचवा मैच खेला जाना है पर न्यूसपेपर्स के स्पोर्ट्स पेजेस और न्यूज़ चैनल्स के स्पोर्ट्स...
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सभी दिखें नाखुश, सबका दिल टूटा लगता है
तमाम दुनिया का इक जैसा किस्सा लगता है
तुम्हीं कहो किसको दूँ अपने हिस्से का पानी
झुलस रहा ये, वो जल बिन मछली-सा लगता है ...
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पतझड़ में गिरे शब्द फिर से उग आए हैं पूरे दरख़्त भर जायेंगे फिर मैं लिखूंगी
*रश्मि प्रभा
यदि आप कविता, कहानी, नाटक, उपन्यास, आलोचना, लेख वगैरह किसी भी विधा में लेखन करते हैं
और आपकी किसी भी विधा में हिन्दी में कम से कम एक पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है,
तो यह सूचना आपके काम की है। कृपया इसे ध्यान से पढ़ें-
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ
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चढ़कर इश्क की कई मंजिले
अब ये समझ आया
इश्क के दामन में फूल भी है और कांटे भी
और मेरे हाथ काँटों भरा फूल आया ----
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आदरनीय र्श्री पंकज सुबीर जी के ब्लाग --------
http://subeerin.blogspot.com/ पर मुशायरा हुया.
बह्र, और काफिया मुश्किल था मगर सुबीर जी के प्रोत्साहन से
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- अपने पिछले पोस्टों में मैने ‘अज्ञेय” जी की रचनाओं को पोस्ट किया था एव लोगों ने इस प्रयास को सराहा था।
इस बार मैं सुदामा प्रसाद पाण्डेय,’धूमिल’ जी की बहुचर...
बाबा
अरुण जी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। कुछ दिनों पूर्व उनसे उनकी कविता पर बातें कर रहा था तो उनसे पूछ बैठा इतनी गंभीर गहन काव्य की रचना के प्रेरणास्रोत कौन है। तो अरुण जी अपना एक संस्मरण सुनाने लगे, जब उनकी मुलाक़ात बाबा नागार्जुन से हुई थी और उन्हें उन्होंने अपनी एक कविता भेंट की थी। तब बाबा ने अपने करकमलों से उन्हें शुभकामना देते हुए कहा था कि इतनी अच्छी समीक्षा मेरे उपन्यास की किसी ने नहीं की है। बाबा ने भारतीय परम्पराओं का पालन अपनी रचनाओं में करने के साथ-साथ शोषण विरोधी व सर्वहारा के पक्ष की बात की, यही हमे अरुण की रचनाओं में मिलती है। --------------बाबाअपनी दिव्य दृष्टि मेरी ओर भी डाल मैं तुम्हारा हूँ 'जय किशुन'.............
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वाह समोसा! वाह समोसा!
मन करता है ले लूँ बोसा -
वाह समोसा! वाह समोसा!
रूप तिकोना कितना सुंदर,
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श्रमिक का सुन्दर चित्र खींचा है आपने!
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श्रमकण मोती से सजे, किन्तु काम से काम।
मेहनतकश को धूप में, मिल जाता आराम।।
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श्रमकण मोती से सजे, किन्तु काम से काम।
मेहनतकश को धूप में, मिल जाता आराम।।
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*भीगे भीगे से शब्द * *हैं व्याकुल कुछ * *भावों का मुक्ताहार बनाने को !* *स्वप्नों का जाल बुनकर * *पलकों में मधु पराग छिपाए * *ना जाने किसका इंतजार ,* ...
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आज हम उस दौर मैं जी रहे हैं जहां अब ईमानदारी, सच्चाई , नसीहतें, उपदेश किताबी बातें बन के रह गयी हैं. आज जब इनकी बातें करो तो लोग वाह वाह...
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(सत्य घटना पर आधारित) यह कहानी है बिरजू जलैया की। उस बिरजू की जिसके दादा, पिता और कई रिश्तेदार भट्टे के लिए ईंट बनाते बनाते मिट्टी में समा गए। बिरजू की पत्...
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मित्रो, हर ओर वसंत छाया है और जल्दी ही होली भी आने वाली है। अनुभूति का १४ मार्च का अंक भी वसंत और होली से सराबोर होगा। तो क्यों न वसंत और होली पर आधारित नव...
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भ्रष्टाचारी सरकार में रेल मंत्री रेल मंत्री सुश्री ममता बनर्जी ने मांग की है कि बंगाल के कम्युनिस्ट नेताओं जिनका धन विदेशों में जमा है उसकी जांच करायी जाए। ...
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चर्चां अच्छी रही |पर यदि लिंक्स मिलते तो खोजने में सरलता रहती |
जवाब देंहटाएंमेरी कविता को शामिल करने के लिए आभार |
आशा
बहुत सार्थक चर्चा ...काफी नए लिंक्स मिले ..आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स पढ़ने को मिले.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा।
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स।
हमे सम्मान देने के लिए शुक्रिया।
चर्चा मंच तो दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है| एक साथ एक ही जगह अपनी अपनी रुचि की प्रस्तुतियाँ ढूंढ सकते हैं पाठक गण|
जवाब देंहटाएंआज का मंच भी सार्थक चर्चाओं से परिपूर्ण है...आभार एवं शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंचर्चां अच्छी रही ...
जवाब देंहटाएंसादर ..चर्चा अच्छी है... पूरा एक नजरिया देखा है..... ब्रोड बेंड का समस्या है... अभी नेट जुड जायेगा तो लिंक पर जाना होगा ... सादर
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी आज की चर्चा बहुत ही मनोहारी है....सारे लिंक्स एक से बढ़कर एक है....आभार।
जवाब देंहटाएंसंयत और सटीक चर्चा की है……………लिंक्स भी बहुत बढिया लगाये हैं…………आभार्।
जवाब देंहटाएंcharchayen padhkar hamen bhi bahot achha laga ..namaskar ji!
जवाब देंहटाएंसार्थक और बहुत ही उपयोगी चर्चा के लिए धन्यवाद।बारी बारी से सभी लिंक्सों को पढ़ने की कोशिश करुँगा।
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा!
जवाब देंहटाएंsundar...atu sundar charchaa.
जवाब देंहटाएंsarthak charcha.aabhar.
जवाब देंहटाएंI have not fοund many blogs that offer
जवाब देंहटाएंsuch соnsіstently readable and intеresting
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