दोस्तों,
सोमवार की चर्चा मे आइये और अपनी पसन्द का सुमन ले जाइये ……… अजी वासन्तिक रंग खिले हुये हैं …………देखिये न कितने सुन्दर हैं ये पुष्प्………आपका मन ना मोह लें तो कहना।
सोमवार की चर्चा मे आइये और अपनी पसन्द का सुमन ले जाइये ……… अजी वासन्तिक रंग खिले हुये हैं …………देखिये न कितने सुन्दर हैं ये पुष्प्………आपका मन ना मोह लें तो कहना।
फिर हर स्वप्न साकार हो जायेगा
कब हकीकत हुये हैं
ये तो माँ बनो तो जानो
स्वंय बोलती हैं
और कर लें ज़िन्दगी मुट्ठी में
और ब्लोगर्स को कहाँ रखें?
महिमा है महान
सरगम के सात सुर
शायद कोई आस पास है
इसी पर ज़िन्दगी गुजरती है
अपनी पहचान आप हैं
जानना जरूरी है
नया इतिहास बनाना चाहती हूँ
क्या हुआ था?
तन मन कर गया भीना - भीना
एक दूजे के पूरक
किसे मिला जवाब है?
सबसे उत्तम दवा
ये तो वो लगी है
लगाये ना लगे
बुझाये ना बुझे
याद कर लो
उसने दिल मे उतार दिया
सबकी यही तो चाह होती है
एक नज़र इधर भी
इससे इतर भी बहुत कुछ होती है
फिर भी नयी
कहाँ?
सकारात्मक गतिविधियों से ही होगा
हिंदी ब्लोगिंग का विस्तार : समीर लाल
बिल्कुल सही कहा
तुम्हे कैसे -कैसे प्यार करू -तारकेश्वर गिरी.
कैसे प्यार का इज़हार करूँ?
एक छोटी सी लव स्टोरी की पहली किश्त.....
स्वागत है
शीर्षक- गंगा
नमन है
सब मौन है ......
मौन के शब्द नही होते
अवसाद एक घातक रोग -
- Devastating Depression
जानिये कैसे ?
बस और क्या चाहिए जीने के लिए
कोई तो कारण होगा
यादें ........सिर्फ यादें हैं
क्या करना है जानकर
तेरी छटा निराली
जानने जरूरी हैं
सोमवार की चर्चा का तो आनन्द ही निराला होता है!
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया लिंक मिले पढ़ने के लिए!
vasanti rang aur vandana ji ke sang vakai aanand aa gaya bahut sundar charcha....
जवाब देंहटाएंsarthak charcha-sundar links .meri rachna ''jindgi udas hai ''ko charcha me sthan dene ke liye hardik dhanywad .
जवाब देंहटाएंसुबह-सुबह बहुत ही अच्छी रचनाएँ पढ़ने को मिलीं आप के माध्यम से ! अच्छे लिंक मिले !धन्यवाद !! आज आपने मेरी रचना "आस" को भी इसमें शामिल किया, हृदय से आभारी हूँ !
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा.
जवाब देंहटाएंसुबह की शुरुआत सुंदर लिनक्स से. सभी लिनक्स पर तो समय समय पर जाती रहूंगी. वंदना जी पोस्ट शामिल करने के लिए आप का भी आभार.
जवाब देंहटाएंपुरे चर्चामंच परिवार का आभारी हूँ ...मैंने "लड़की उबाच " कविता में ..नंगेपन को नए नजरिया से देखने की कोशिस की...सब लोगो को पसंद आई //२४ घंटे में ही यह लगभग १५० पेजवउ हो गई
जवाब देंहटाएंnice links...
जवाब देंहटाएंप्यारी माँ ब्लाग की सम्मानित लेखिकाओं को इस मंच पर जगह देने के लिए शुक्रिया । आज इसी ब्लाग पर देखिए रचना
जवाब देंहटाएंमाँ रोती है बच्चे की मौत पर चाहे माँ जानवर ही क्यों न हो ?
एक और सुन्दर लिंकों से पूर्ण
जवाब देंहटाएंचर्चा के लिए आभार वंदना जी !
.
जवाब देंहटाएं.
.
काफी सारे बेहतरीन लिंकों से सजी चर्चा,
मुझे शामिल करने हेतु आभार!
...
वंदना जी, आपकी चर्चा के बहाने कुछ उपयोगी लिंक मिल गये, आभार।
जवाब देंहटाएं---------
समाधि द्वारा सिद्ध ज्ञान।
प्राक़तिक हलचलों के विशेषज्ञ पशु-पक्षी।
beautiful links..........thanx a lot.
जवाब देंहटाएंकाफी लिंक पढ़ लिए हैं आभार आपका !
जवाब देंहटाएंइस बेहतरीन चर्चा एवं उम्दा लिंक्स के लिए आभार वंदना जी ।
जवाब देंहटाएंवंदना जी
जवाब देंहटाएंआपका आभार इस विस्तृत चर्चा के लिए
सुन्दर और सार्थक चर्चा ! धन्यवाद एवं शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंबहुत ही रोचक अंदाज़ चर्चा प्रस्तुत करने का. सुन्दर लिंक्स.आभार
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ...
जवाब देंहटाएंआभार !
बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर चर्चा..आभार.
जवाब देंहटाएंवन्दना दी ..
जवाब देंहटाएंआप की चर्चा बहुत अच्छी रही..सिम्पल एंड स्वीट ...और ढेरों फूलों से सजी ...बड़े अच्छे लिंक दिए आपने..
ख़ास तौर पे ...जिनका ज़िक्र करना चाहूंगी ..
@सोमेश सक्सेना जी...की कहानी...आज पचास परसेंट युवा अपनी जिनगी नेट ,ऑरकुट ,,,ब्लोग्स में ही बिताते हैं...अपनी असल जिंदगी में ....शायद अब अपनापन..सच्चा प्यार ढूँढना लग रहा है .....शब्दों द्वारा ....बिना इक दूजे को देखे ....नेट से बातें करते करते उन्हें आपस में लगाव हो जाता है..और स्वाभाविक भी है........और इस कहानी में बहुत ही खूबसूरत चित्रं किया गया है....बहुत भाई ये कहानी
@दीपी,,,,:)]......आब....दीपाली.एक चुटकी अपनापन..इनकी कलम को तो मैं तीन सालों से देख रही हूं..जादू बिखेरते....बहुत अची रचना ....बधाई
@औरत महज़ इक शरीर नही होती.....अब चाहे ये इमरोज़ जी की रचना हो....रश्मि जी की भावनाए और....DR. ANWER JAMAL जी की पेशकश .....मुझे बस इस लाइन ने भावनाओं से भर दिया...औरन महज़ इक शरीर नही होती ...
वन्दना जी..आपको बहुत बहुत बधाई...बहुत अच्हे लिनक्स.
मेरी रचना को अपने गुलदस्ते में स्थान देने के लिए और हमेशा ...मुझमे विश्वास रखने के लोए ..शुर्किया
धन्यावाद
take care
नमस्कार वंदना जी...बहुत ही सुंदर चर्चा,मजा आ गया.........
जवाब देंहटाएंकाबिले तारीफ़ संयोजन ।
जवाब देंहटाएंsarthak charcha....
जवाब देंहटाएंachchhe links...
मेरी पोस्ट को चर्चा मंच में शामिल करके आपने जो सम्मान दिया है और उत्साहवर्द्धन किया है, उस के लिए मैं बेहद आभारी हूं. इतने सारे बढ़िया लिंक्स देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
वंदना जी लिंक्स सच में बड़े काम के हैं. आपने मेरी रचना को चर्चा योग्य समझा इस के लिए आभार.
जवाब देंहटाएं@ venus****"ज़ोया" जी
आपको मेरी कहानी पसंद आयी और आपने यहाँ उसका ज़िक्र किया, आभार. :)
पढ़ने के लिए बहुत ही बढ़िया लिंक मिले...
जवाब देंहटाएंBahut hi accha laga
जवाब देंहटाएंvandana jee,
जवाब देंहटाएंmere aalkeh ko charcha men shamil karne ke liye dhanyavad. isake sath hi kitane anchhue vishay aur link aapne diye hain jahan tak pahunchana mere liye sambhav nahin ho pata usake liye koti koti dhanyavad.
आज तो शाम की छुट्टी कर बैठ गयी पढ़ने लिंक्स... काफी अच्छे लिंक्स मिले... और हां ब्लोगर मीट में आपकी फोटो भी देखने को मिली...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर... चर्चा रही...
अच्छे लिंक्स , मेहनत से लबरेज़ सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा ..हमेशा की तरह
जवाब देंहटाएंबहुत ही अनूठी चर्चा और खूबसूरत लिँकोँ को संजोय है ये गुलदस्ता । मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार वन्दना जी !
जवाब देंहटाएंbahut pasand aayee.
जवाब देंहटाएंसार्थक links संजो कर लायी हैं वंदना जी ..आपको बहुत-बहुत बधाई!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा, चुनिन्दा लिनक्स के लिए भी बधाई, एक छोटा सा सुझाव देना मुनासिब हो शयद , चर्चा में आप अपने कमेंट्स थोड़े बढ़ा दे वंदना जी क्योकि आपकी समालोचना के बिना चर्चा सूनी-सूनी लगती है, बेहतरीन चुनाव के लिए धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा में कई उत्कृष्ट आलेख पढ़ने को मिले। संयोजन की विविधता सरस और आकर्षक लगी। चर्चा मंच के इस अंक में भारतीय काव्यशास्त्र को सम्मिलित करने के लिए आपका आभारी हूँ। आपके प्रयास से काव्यशास्त्र के पाठकों में निश्चय ही वृद्धि होगी।
जवाब देंहटाएंपुनः आभार,
suman ek upvan ke-- charcha manch 422
जवाब देंहटाएंtasallee se dekhne ka aaj avsar hua
rasmay vividhta se poshit karne walee
samagri ek saath mil gayee
jismein 'ek boond amrit' bhee ghula hua tha
anandyukt abhaar Vandanaji
Namaskar