आप सबको अतुल श्रीवास्तव का नमस्कार।
गणतंत्र दिवस। बसंत पंचमी और महात्मा गांधी का निर्वाण दिवस। बीते हफ्तों में इन विषयों पर खूब कलम चली पर जिस खबर ने सबसे ज्यादा चिंता में डाला वो थी खुशदीप जी की कलम और खबर थी, कांपता गणतंत्र, ताली पीटता सत्तातंत्र
अफसोस! देश के कर्णधारों पर। आज ही के दिन मोहनदास करमचंद गांधी को गोलियों से छलनी कर दिया गया था....... पर उनके आदर्श अब तक जिंदा हैं, यह सोचने वाली बात है कि अब तक क्या कर रहे हैं हम गांधी के लिए ।
मुंह मोड़ा सर्द हवाओं ने
किया श्रृंगार प्रकृति ने
आई वासंती बयार
सिमटी उसके आँचल में |
आगमन बसंत का
गणतंत्र दिवस। बसंत पंचमी और महात्मा गांधी का निर्वाण दिवस। बीते हफ्तों में इन विषयों पर खूब कलम चली पर जिस खबर ने सबसे ज्यादा चिंता में डाला वो थी खुशदीप जी की कलम और खबर थी, कांपता गणतंत्र, ताली पीटता सत्तातंत्र
अफसोस! देश के कर्णधारों पर। आज ही के दिन मोहनदास करमचंद गांधी को गोलियों से छलनी कर दिया गया था....... पर उनके आदर्श अब तक जिंदा हैं, यह सोचने वाली बात है कि अब तक क्या कर रहे हैं हम गांधी के लिए ।
मुंह मोड़ा सर्द हवाओं ने
किया श्रृंगार प्रकृति ने
आई वासंती बयार
सिमटी उसके आँचल में |
आगमन बसंत का
जन जन में,
जन जन, मन मन में,
यौवन यौवन छाये ।
सखी री ! नव बसंत आये ।।
पूछ लीजिए कुछ प्रश्नोत्तर स्वयं से
क्या यूं हमको भी तडपाओगे
और साथ ही ये भी सही है कि अभिमन्यु की मौत जरूरी है
राहें बहुत रास्ते मगर ये पटरियां
ढूंढे इन्ही में जिंदगानी की वो गलियाँ
मुड़ी तुड़ी राहों से कोई गुज़रता नहीं
मिली तो बस बेमिली ,ज्यों पटरियां
पढ लीजिए एक दोहा-तीन मुक्तक
खुशनसीब हैं वो लोग जो लोग जिन्दगी को जी लेते हैं .....
ये किसी न कहना सख्त मना है
क्या होता है पचपन और बचपन का अंतर
बताईए और जानिए खुशियों की गिलहरी को यह कौन गुण्डा ले उड़ा
सोलह आने सच है कि बेटी है तो कल है....!!
जान लीजिए इस बहाने
जानिए कितने काम का होता है पुरातत्व सर्वेक्षण
और देखिए मियाँ की जूती मियाँ के सिर.
क्या होता है उपलब्धि का आधार
पढिए
और लिख भेजिए लेख क्योंकि 'पत्रकारिता का बदलता स्वरुप और न्यू मीडिया : आलेख सादर आमंत्रित हैं
बात शुरू मैंने की थी, गणतंत्र दिवस पर घटी एक शर्मनाक घटना से और इसके बाद आपको अपनी पसंद के कुछ लिंक्स देने के लिए ब्लाग पोस्टों को यूं ही एक दूसरे से पिरोकर पेश किया। अब आखिर में अंत भला तो सब भला कि तर्ज पर प्रस्तुत है मेरी एक पोस्ट जिसने उम्मीदों को जिंदा रखा है, मिलिए फुलवासन से जिसके सफर की कहानी है बकरी की हांक से पद्मश्री के धाक तक
मुझे दीजिए इजाजत। अब मुलाकात होगी अगले मंगलवार को... पर चर्चा जारी रहेगी पूरे सातों दिन।
नमस्कार!