मित्रों! बुधवार के लिए कथाचर्चा का शुभारम्भ करता हूँ! देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक…! |
लिवर फिट तो बॉडी हिट...मगर कैसे हो लीवर हिट? बाहर की दुनिया में तलाशता हुआ उन बिखरे टुकड़ों को उनकी तीखी नोंकों की चुभन अब महसूस कर सकता हूँ मैं खुद के ही भीतर। अब प्रश्न उठता है कि...बोल तेरे साथ क्या सुलूक किया ?...क्योंकि हृदय के स्पन्दन में उगतीं हैं कवितायें...! तभी तो खारे आँसू के बारे में रचनाधर्मी कल्पनाएँ लगाते हैं कि आंसू भी कभी खारा ना होता ! अब प्रश्न उठता है कि वैल्यू ऑफ लाइफ कहाँ है...देश में या विदेश में ? जहाँ पर कुछ सुकून हो और कुछ आराम हो...! लेकिन हम भारतीय चाहे दुनिया के किसी भी कोने में रहें होली की हुडदंग तो होगा ही...! तभी तो समय-सयम पर विदेशियों द्वारा लूटा गया वतन है ,ये अफवाह नहीं है...! लेकिन हमकोकोई परवाह न पहले थी और न अब है कुछ टूटने से पहले ....ही हमको उपाय करना होगा। नदी की खुशियाँ बहते रहने में हैं और रुकने में उसका अन्त है। अन्यथा चमन की सोनचिरैया कहती रहेगी एक जंगल में मैं थी, एक जंगल मुझमें था...! अब प्रश्न उठता है कि कैसे मीमांसा करे कोई...? राही अनजान राहों का !
"खुली आँखों से ख्वाब" देखने से कुछ हासिल होने वाला नहीं है! सभी को है चाह लेकिन आड़े आता है... प्रेम/तलाश/अँधेरा...! ऐसे में त्रयंबकेश्वर- गजानन महाराज संस्थान व राम तीर्थ...भी कोई मदद करनेवाले नहीं हैं। सम्वेदना निःशब्द हैं सब जगह तो पार्टीबाजी का आलम है। ख़बर आयी है कि समीर लाल ने पार्टी बनाई खुद ही बने आम ब्लागर पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष...! आप भी चाहो तो पराई प्यास....को अपनी बना लो और गठन कर लो दल-दल का क्योंकि दलदल में फँसना ही है। जीना है तो मेरे साथ चलना सीखो! अभी तो नहीं लेकिन एक दिन तो जागोगे तुम? देखने में आया है कि **~अक्सर....~** सब लोग नज़रिया अपना अपना ही अपनाते हैं।
कंप्यूटर माउस का कमाल । तो देखिए ज़नाब...अपना कंप्यूटर चुटकियों में बंद करें..मत कीजिए हिंदू धर्म को पुनर्परिभाषित करने का प्रयास...! यह तो समय-समय पर लोग करते ही रहे हैं...चले आओ न हमसफ़र और समझाते रहे हैं..गॉव और शहर में अंतर क्या होता है लेकिन खुद शहरों का व्यामोह नहीं छोड़ पाते हैं। सब के सब बन गये हैं महात्मा यानि सोचने वाला गधा...! क्या करें..सतरंगी संसार है यह तो...! यूजीन ओ नील का आशियाना – डो हाउस ( Tao House ) के माध्यम से हमें यूजीन ओ नील के अति संवेदनशील हृदय तथा उनकी सदाशयता का परिचय तो मिलता ही है हम यह भी जान पाते हैं कि मन की अथाह गहराइयों तक उतर जाने की भी उनमें अद्भुत क्षमता थी ! यहाँ तक कि अपने प्रिय कुत्ते के मन की भावनाओं का भी उन्होंने इस वसीयत में जिस कुशलता से चित्रण किया है वह अद्भुत एवँ विलक्षण है ! तभी तो प्यास प्यासे को फिर नदी के पास लेकर आ गयी... और उस जब "वार्तालाप" का समय मिला तो कुछ उलझने सुलझती प्रतीत हुईं! लोगो ने कहा…………. अगर जिंदगी को जीना है; तो काँटो से सीखो, कलियो से सीखो, बादल से सीखो, मै सीखता रहा हर एक बंदे की नुमाईश पर “कुदरत की इकाईयाँ”
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अन्त में देखिए...!
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आज की संक्षिप्त किन्तु सारपूर्ण चर्चा में आपने मेरे आलेख को भी सम्मिलित किया आभारी हूँ ! पठनीय लिंक्स उपलब्ध कराने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा-
जवाब देंहटाएंआभार
जवाब देंहटाएंअन्सार भाई जान की रचना ::प्यास::
फिर नदी के पास लेकर आ गयी...
जो मैंने अपनी धरोहर में गलत नाम से पोस्ट करदी थी
होली बीती तो होश आया
सुधार कर रि-पोस्ट की हूँ कल
सार्थक पठनीय लिंकों की बेहतरीन चर्चा एक नए अन्दाज में,आभार आदरणीय.
जवाब देंहटाएंनये अंदाज में सुंदर चर्चा,,,
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को मंच में शामिल करने के लिए आभार,,शास्त्री जी,,,
सारपूर्ण सार्थक चर्चा
जवाब देंहटाएंबढिया लिंक्स
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा
bahut hi manoranjak prastuti ....Carcham manch ka ya naya look mnbhavan laga .....meri rachana ko sammilit kiya eske liye aabhar .
जवाब देंहटाएंvaah aaj charcha bilkul naye andaz me.
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक वार्तामयी चर्चा
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी को बधाई और आभार्
सार्थक चर्चा.
जवाब देंहटाएंaabhaar.
सुन्दर चर्चा !!
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा का यह अंदाज़ अच्छा लगा सर!
जवाब देंहटाएंहमारी पोस्ट शामिल करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद!
सादर
कार्टून को भी सम्मिलित करने के लिए आपका विनम्र आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति .NaapTaul.com ko maine koi order nahi diya... sachet karne ke liye aabhar..
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स बहुत ही संजोए हैं सर!
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने का आभार!
~सादर!!!
बहुत बढ़िया चर्चा...
जवाब देंहटाएंहमारी पोस्ट शामिल करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद...
सादर
अनु
गुरूदेव आपका हर प्रयोग अनूठा होता है। चर्चा का यह नया अंदाज ही आज का सबसे बड़ा आकर्षण है। इतने सुन्दर लिंक्स उपलब्ध कराने के लिए आपका आभार!
जवाब देंहटाएंइस अंक में मुझे स्थान देने और वह भी दोबार स्थान देने के लिए आपका विशेष आभार!
बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंaapka bahut aabhaar mayank daa ,acchi charchaa ke liye bahut badhaai
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमन को छूती अनुभूति सुंदर अहसास
बहुत बढ़िया चर्चा...
जवाब देंहटाएंहमारी पोस्ट शामिल करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद...
सादर
प्रतीक
बड़े सुन्दर सूत्र..
जवाब देंहटाएंमेरी प्रस्तुति को यहाँ शामिल करने और प्रोत्साहित करने के लिए कोटि-कोटि धन्यावद "शास्त्री" सर
जवाब देंहटाएंhttp://vkashyaps.blogspot.in/