"जय माता दी" अरुन की ओर से आप सबको सादर प्रणाम. आज की चर्चा देश की राजधानी दिल्ली में घटित शर्मसार कर देने वाली अत्यंत घृणित घटना पर आधारित है. उद्देश्य केवल इतना कि इन्साफ हो, पापी का सर्वनास हो. गन्दगी जग से साफ़ हो.
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दिनेश चन्द्र गुप्ता ' रविकर'
दाग लगाए दुष्टता, पर दिल्ली दिलदार ।
शील-भंग दुष्कर्म पर, चुप शीला-सरकार ।
चुप शीला-सरकार, मिनिस्टर सन्न सुशीला ।
दारुण-लीला होय, नारि की अस्मत लीला ।
नीति-नियम कानून, व्यवस्था से भर पाए ।
पुलिस दाग के तोप, दाग पर दाग लगाए ॥
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Ranjana Verma
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Rashmi Ravija
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Priti Surana
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Praveen Malik
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Smt. Ajit Gupta
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vibha Rani Shrivastava
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डॉ. मोनिका शर्मा
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तुषार राज रस्तोगी
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Dr Ashutosh Shukla
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Satyendra Prasad Srivastava
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Rekha Joshi
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निवेदिता श्रीवास्तव
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VIJAY PATNI
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इसी के साथ आप सबको शुभविदा मिलते हैं अगले रविवार को . आप सब चर्चामंच पर गुरुजनों एवं मित्रों के साथ बने रहें. आपका दिन मंगलमय हो
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अंत में आप सभी से एक अनुरोध करता हूँ कि यदि हो सके तो सभी यह मेल निम्न पते पर दिल्ली पुलिस को ईमेल करें. सेवा में, कमिशनर दिल्ली पुलिस इस देश का एक ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते मेरी निम्न माँगे हैं. 1. बच्ची के मामले को फास्ट ट्रेक कोर्अ में तीन महीने के भीतर तय करवायें 2. इस मामले के अभियुक्त को जल्द से जल्द गिरफ़्तार किया जाए. 3. दो हजार की बात करने वाले पुलिस वाले को सह अभियुक्त बनाया जाए, साथ ही उसे बचाने वाले एसएचओ को सस्पेंड नहीं बर्खास्त किया जाए. 4. लड़की को थप्पड़ मारने वाले एसीपी अहलावत को सस्पैंड नहीं, बल्कि नौकरी से निकाला जाए और उसके खिलाफ़ मारपीट करने का मुकदमा कायम किया जाए. 5. दिल्ली में बलात्कार और लचर क़ानून व्यवस्था और पुलिस की बर्बता और अत्याचार के मुख्य ज़िम्मेदार दिल्ली पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार हैं. उनको तत्काल बर्खास्त किया जाए व उनके खिलाफ़ ज़रुरी विभागीय कार्यवाही की जाए. उन्हें आगे से किसी भी पद की ज़िम्मेदारी न दी जाए. 6. दिल्ली में अपराध और ख़ास तौर से महिलाओं के खिलाफ़ हो रहे अपराधों की रोकथाम के लिए कोरी बयानबाजी के बजाए ठोस कारवाई की जाए. अरुन शर्मा 'अनन्त' गुडगाँव - हरियाणा Commissioner of Police cp.neerajkumar@nic.in 23490201 23722052 Special CP/Admin splcp-admin-dl@nic.in 23490202 23490333 |
जारी है ..... "मयंक का कोना" (1) तुम कहाँ हो सीपी अमृतरस (2) झरते हुए मंजीर और ...... शायद मेरी सोच ही कुछ अजीब है तभी तो जब सब पेड़ पर लगे हुए फलों को देख कर मुग्ध होते हैं ,मैं उस पेड़ के नीचे गिरे हुए मंजीरों को देखती रह जाती हूँ ... (3)
1. आई पी एल क्रिकेट का बुखार जोश में सारे...
(4)वो एक पगली वो एक पगली वो दिन भर बातें करती थी ... कुछ चुपके - चुपके कहती थी | मेरी सांसों में भी अक्सर ... उसकी भीनी सी खुशबु मिलती थी.... (5) मत परेशां हुआ कर Sushil Kumar Joshi (6) पुलिस का रवैया दिल्ली में पाँच वर्षीया बच्ची के साथ हुये अमानुषिक कृत्य के बाद प्रदर्शन कर रही एक युवती के ऊपर थप्पड़ मारकर पौरुष दिखाने का कृत्य पुलिस के एक अधिकारी ने किया... भारतीय नागरिक-Indian Citizen (7) "ग़ज़ल-फूल खिलते हैं चमन में"
जिन्दगी सबकी बनी है, गुनगुनाने के लिए
फूल खिलते हैं चमन में, मन रिझाने के लिए
...
मत ज़माने को दिखाना, उस घिनौने "रूप" को
आदमी है आदमीयत को, दिखाने के लिए
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रविवार, अप्रैल 21, 2013
अब और नहीं सहेंगे : चर्चा मंच 1221
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आपकी साईट पर ब्लॉगप्रहरी से आना हुआ. अभी अभी ब्लॉग से जुडी हूँ. आपकी साईट वाकई में लाज़वाब है और आप इतने सारे ब्लॉग्स को पढ़ कैसे पाती हैं .. ? सुखद अनुभव .. !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंदिल्ली....
इतिहास पर नजर डालिये जरा
इसी दिल्ली की उत्पत्ति महाभारत काल में हुई
तब चीर-हरण हुआ था
फिर सत्ता-संघर्ष में मार-काट मची
मुगल बादशाहों के बीच
आजादी के संघर्ष में भी दिल्ली रक्त-रंजित हुई
अब यही दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है
इसी दिल्ली ने मीर ज़ाफर जैसे गद्दारों जन्म दिया
अब मेरा मानना है कि इस दिल्ली में शान्ति खोज व्यर्थ है
क्षमा कीजियेगा
अपने आप को रोक नहीं पाई लिखने से
सादर...
आदरणीया दीदी सादर प्रणाम मैं स्वयं आपके कहे से सहमत हूँ केवल दिल्ली में ही नहीं अपितु पूरे भारत देश में शान्ति की खोज व्यर्थ है. अगर शीघ्र इस खतरनाक बीमारी का कोई हल या इलाज नहीं हुआ तो इससे समस्त समाज नष्ट हो जाएगा. आज की चर्चा में मेरा द्वारा दिए गए सभी लिंक्स इसी कारण से केवल इसी घटना पर आधारित हैं. सादर
हटाएंअरुण शर्मा अनन्त जी!
जवाब देंहटाएंअब और नहीं सहेंगे : चर्चा मंच 1221 बहुत ही आकर्षक ढंग से प्रस्तुत की है आपने।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
बधाई, स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ आपका!
बहुत बढ़िया चर्चा....आभार
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स के साथ समसामयिक चर्चा |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा -मंच सजा है ..... आभार !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद चर्चामंच को ... मेरी रचना को स्थान दिया ... आभार ... मैं अन्य लिंक्स को भी देख रही हूँ... सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत निखरी हुई है चर्चा आज की
जवाब देंहटाएंआभार रचना उल्लूक की भी एक
लाकर आपने जो छाप दी !
जै माता दी।
जवाब देंहटाएंअरुन जी वास्तव में आज आपने हृदयातल को कुरेदते हुए लिंक्स का संयोजन किया है। इतनी मार्मित प्रस्तुत पढ़कर अपने दायित्व से भला कौन मुकर पाएगा! ऐसा कौन होगा जिसका हृदय इस जघन्य घटना से फिर एक बार विदीर्ण नहीं हुआ होगा! पर क्या कहूं उन हैवानों को और क्या कहा जाय सरकार को!
शब्द नहीं हैं भाव बहुत
हृदय व्यथित है आज बहुत...
मेल मैनें भी कर दी।
सादर
अरुण बिलकुल सामयिक चर्चा लाकर आपने सबको हिला दिया आपका जो पुलिस कमिश्नर के नाम ई मेल है बिलकुल सही है सबको इसे आज ही मेल करना चाहिए
जवाब देंहटाएंशुभाशीष !
गुरु जी मेरे हाइकु को स्थान देने के लिए शुक्रिया
आपके links भी बहुत ही बढ़िया हैं
अच्छा संकलन किया है ......
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग " झरोखा " की दो रचनाओं को स्थान दिया .... आभार !!!
बहुत अच्छी चर्चा...
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स सार्थक.....रचनाकारों को बधाई.
आभार
अनु
अरुण जी,बहुत लाजबाब सामयिक लिंकों चर्चा के लिए,बधाई,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : प्यार में दर्द है,
अरुण जी सादर ,
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा वाकई आज समाज की दुर्दशा को दिखाते लिंक्स से सजी है ! दिल में दर्द भी है गुस्सा भी है लेकिन क्या कर सकते हैं सिवाय दुखी होने के ...
आपका आभार आपने अपनी चर्चा में मुझे जगह दी ...
ऐसी घटनाओं के पश्चात नेता-मंत्रियों के मुंह से ऐसे ऐसे निन्दित वाक्य प्रसारित होंगे
जवाब देंहटाएंकि जिन्हें सुनकर इन नेता-मंत्रियों की माताओं को भी लज्जा आ जाएगी और वो
सोचने पर विवश हो जाएंगी कि हमने अपने इन नेता पुत्रों को जन्म ही क्यों दिया,
इनका गर्भ गिरा क्यों नहीं दिया,
कब्र झांकने कि उम्र में प्रधान मत्री- को उपदेश न देकर
पहले अपने मंत्री मंडल में झांकना चाहिए, और राष्ट्र पति 'किया जाए' दिया जाए'
जैसे शब्दों का प्रयोग न करते हुवे अपनी शक्तियों को प्रयोग में लाना चाहिए,
और सुरक्षा कारणों को दृष्टिगत रखते हुवे गद्देदार सोफा से तो
दूर ही रहा चाहिए......
अति सुंदर चर्चा ,मेरी रचना को शामिल करने पर हार्दिक आभार ,धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा -
जवाब देंहटाएंआभार प्रियवर-
चर्चा मंच पर हमारी रचना को शामिल करने का बहुत २ शुक्रिया डॉ रूपचंद शाश्त्री जी कल आ नहीं पाई इसके लिए क्षमा चाहती हूँ |
जवाब देंहटाएंबहुत लाजबाब चर्चा
जवाब देंहटाएं