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शुक्रवार, अप्रैल 26, 2013

जय जय श्री हनुमान : चर्चा मंच १२२६

"जय माता दी" अरुन की ओर से आप सबको सादर प्रणाम. आदरणीय गुरुदेव श्री रविकर सर अवकाश पर हैं उनकी जगह आज मैं उपस्थित हूँ. 
Kumar Gaurav Ajeetendu
संतन के प्यारे बड़े, भक्तन के अभिमान ।
करुँ निशिदिन मैं वंदना, जय जय श्री हनुमान ॥(१)
रामदूत के नाम से, भागें भूत-पिशाच ।
फूँके भय की झाड़ को, रामभक्ति की आँच ॥(२)
गगन दबाता है चरण, चँवर डुलावे काल ।
महावीर, बलवान हैं, अंजनि माँ के लाल ॥(३)
Mukesh Kumar Sinha
हाँ मैं शर्मिंदा हूँ !
क्योंकि मैं पुरुष हूँ,
क्योंकि मैं भारतीय हूँ
हाँ मैं शर्मिंदा हूँ !
क्योंकि मैं निवासी हूँ उस शहर का
जहां महफूज नहीं है,
"मासूम बच्ची" भी
हाँ मैं शर्मिंदा हूँ !
Rajendra Kumar
चारों तरफ अजीब आलम हादसों में पल रही है जिंदगी,
फूलों के शक्ल में अंगारों पर चल रही है जिंदगी.
आदमी खूंखार वहसी हो गए हैं इस जमाने में,
दूध साँपों को पिलाकर खुद तड़प रही है जिंदगी.
हमारी कौम ने जो बाग सींचे थे अपना लहू देकर,
उन्हीं बाग के कलियों का मसलना देख रही है जिंदगी.
Rekha Joshi
दिल में यह हसरत थी कि कांधे पे उनके
रख के मै सर, ढेर सी बाते करूँ, बाते
जिसे सुन कर वह गायें, गुनगुनायें
बाते जिसे सुन वह हसें, खिलखिलायें
बाते जिसे सुन, प्यार से मुझे सह्लायें
तभी, उन्होंने कहना शुरू किया और
मै मदहोश सी उन्हें सुनती रही
गीतिका 'वेदिका'
कामरूप छंद जिसमे चार चरण होते है , प्रत्येक में ९,७,१० मात्राओं पर यति होती है , चरणान्त गुरु-लघु से होता है
छातिया लेकर / वीर जवान / आय सीना तान
देश की माटी / की है माँग / तन व मन कुर्बान
इसी माटी से / बना है तन / इस धूरि की आन
तन से दुबला / अहा गबरू / मन धीर बलवान
उपासना सियाग
जब कोई सुनने वाला न हो
मन की बात ,
और रह जाये
मन की मन ही में ...
खुद से खुद की ही
बात करते रहे ,
और सुनते रहे
खुद ही को ....
डा. सुषमा नैथानी
रश्मि शर्मा
जिंदगी की कि‍ताब में
फि‍र सुनहरी हो गई
एक शाम
मेरे महब़ूब के नाम....
Ranjana Verma
तुम कभी भी अपने
प्यार का इजहार
नहीं करते हो
वैसे भी प्यार
जतलाने की नहीं
महसूस करने की है
Priyankaabhilaashi
"इक-इक क़तरा..
इक-इक साँस..
दफ़्न कर..
चल पड़ा..
खैरियत चाह..
दूरियां फैलायीं..
Deepika Dwivedi
प्रीत की प्यास लिये मन में
जीवन -पनघट पर जा बैठी
देखा जो पिया को राह खड़े
मैं जाने क्यूँ सकुंचा बैठी
नयन हुए जब चार पिया से
अपनी सुध-बुध खो बैठी
Asha Saxena
मैं खोती तो दुःख न होता
राह खोज ही लेती
मंजिल तक पहुँच मार्ग
बना ही लेती |
पर हूँ परेशान इसलिए
कि मेरा सुकून खो गया है
तस्वीर तेरी मन बसी है आँखों में है समायी.
जब चाहू इसे देखू जब दिल को तेरी याद आयी.
निहारु जब इसे तब क्यों चले ये पुरवाई.
ये बैरन हवा कही कर न दे मेरी रुसवाई.
Yashoda Agrawal
कोई यह बात भी पूछे उसी से,
अंधेरा क्यूं खफा है रोशनी से !
तुम्हारे अपने ही कब काम आए,
तुम्हें उम्मीद तो थी हर किसी से !
अब ऐसे दर्द को क्या दर्द समझें,
जो सीने में दबा है खामोशी से !
Aamir Dubai
Virendra Kumar Sharma
इसी के साथ आप सबको शुभविदा मिलते हैं रविवार को . आप सब चर्चामंच पर गुरुजनों एवं मित्रों के साथ बने रहें. आपका दिन मंगलमय हो
जारी है ....."मयंक का कोना"
(1)
एक टुकडा बर्फ़ का .......

(2)
सपने में दिखी जगह पर पहुँच गए अचानक
BS Pabla
(3)
मेरी प्यारी पंडिताइन सावित्री ......

नयी दुनिया पर उपासना सियाग
(4)
बस चले मेरा तो अपने घर को भी केन्द्रीय बनवा दूँ !
My Photo
सुशील जोशी
(5)
" बेटी से भी प्यार करो"

माता का सम्मान करो,
जय माता की कहने वालो।
भूतकाल को याद करो,
नवयुग में रहने वालो।।

23 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात | बहुत सुन्दर चर्चा | आभार |

    जवाब देंहटाएं
  2. कितने रंग से सजा
    आज का चर्चामंच
    पढ़ने को प्रेरित करता
    नई लिंक्स के संग |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  3. अरून भाई आज का लिंक्स चयन और संयोजन बहुत ही अप्रतिम है। आपका आभार कि आपने इतने सुंदर लिंक्स उपलब्ध कराए।
    सादर!

    जवाब देंहटाएं
  4. शुभ प्रभात
    आज की चर्चा
    अप्रतिम है
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. आपने बहुत सुंदर चर्चा मंच सजाया है.
    मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए आभार .
    रंजना

    जवाब देंहटाएं
  6. आपका आभार प्रिय मित्र अरुण शर्मा "अनन्त" जी.........

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर,मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए आभार .

    जवाब देंहटाएं
  8. बेहतरीन लिंक्‍स संयोजन एवं प्रस्‍तुति

    आभार

    जवाब देंहटाएं
  9. अरे वाह आज तो अरुण की ही चर्चा लग गई
    बहुत खूब सूत्र जोड़े हैं ,बधाई

    जवाब देंहटाएं
  10. सार्थक सूत्रों से सुसज्जित सुंदर चर्चामंच ! आभार आपका !

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार ..

    जवाब देंहटाएं
  12. अरुण जी आपने रविकर जी की अनुपस्थिति में बहुत सुन्दर चर्चा की है!
    चर्चा में सभी लिंकों का चयन भी बहुत उत्तम हैं।
    आपका आभार!

    जवाब देंहटाएं
  13. धन्यवाद अरुण शर्मा 'अनंत' जी..!!
    आभारी हूँ..!!!

    जवाब देंहटाएं
  14. आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय अरुण कुमार अनंत जी!
    आपने मेरे ब्लॉग की चर्चा यहाँ चर्चा मंच पर की ..यहाँ स्थान दिया ...आपने जो और भी ब्लॉग के लिंक यहाँ प्रस्तुत किये वे चुनिन्दा और तारीफ के काबिल है ...बहुत सारी बधाइयों के पात्र है आप

    सादर गीतिका 'वेदिका'

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत ही सुसज्जित चर्चा,भविष्य आपका मंगलमय हो.

    जवाब देंहटाएं

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