शनिवार की चर्चा में सभी का स्वागत है
वक्त और हालात जैसे करवट बदलते हैं
वैसे ही चर्चा के भी रंग बदलते हैं
कहीं धूप तो कहीं छाँव से
अहसासों में उतरते हैं
कभी ग्रीष्म के ताप से तपाते हैं
कभी वर्षा की फ़ुहार से भिगाते हैं
बस यही तो मनों के सौदे होते हैं
जो भीड में भी जगह बनाते हैं
सुन्न
स्पंदनों की साँझ कुम्हला गयी
सुन्न होने की घडी आ गयी
हर कोई हनुमान नहीं होता
वक्त सब पर मेहरबान नहीं होता
आँखों देखा हाल और हम हुए बेहाल ... जय हो सन्तों की
ज़िन्दगी की दिल्लगी ने किया परेशान
ना तुम्हें खुदा मिला ना हमें भगवान
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चल सोच से आगे निकल जायें
आ इस लकीर को लांघ जायें
कविता कहाँ है ?????????
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ढूँढो तो खुदा मिल जायेगा
मगर इंसान का ज़मीर क्या जग पायेगा ?
किस की तरह बनूँ ?
ना हिन्दू बन ना मुसलमान
बस बन सके तो बन जा इंसान
ना खुदा बन ना भगवान
बस बन सके तो बन जा इंसान
जब अर्थ का अनर्थ होता है
तभी मानव ह्रदय रोता है
जब कहीं कुछ विध्वंस होता है
तभी कहीं नव निर्माण भी होता है
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वादियों के सफ़र में
चिनारों के साये तले
हाथों में हाथ डाले
आओ हम चलें
एक सपनों का जहान बनाने
चिराग
गर जल सकता तो रौशनी करता
मगर मैं वो चिराग हूँ जिसमें ना तेल है ना बाती
फिर भी मुझमें अभी जीने की ललक है बाकी
क्या आप जानते हैं कि "शहर" खुश कैसे होते हैं?
जब दिल मे आफ़ताब खिलते हैं
चिनारों के सायों में दिल मिलते हैं
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मील का पत्थर यूँ ही बना नही जाता
दोज़ख की आग में यूँ ही जला नही जाता
ताज तो बहुत बन जाते लेकिन
बिन मुमताज़ शाहजहाँ बना नहीं जाता
चिराग तो जला दूँ हर दिल में इबादत के
बस तुम थोडा लीक से हटकर चलना तो सीखो
![](https://lh3.googleusercontent.com/-YWKJoSOkEWc/UXmUjH3s2CI/AAAAAAAAA-s/xSDIQlA0qoI/s1600/bbb.jpg)
जो गुबार गुस्से का होता तो निकाल भी देते
ये घुटन के गुब्बारों पर कोई सुईं अब चुभती ही नहीं
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhE7QWoUAMfrlbHiPorwqE22iDOFheYJehBkUxzr5HrtRPKWL5LEXTD1dVXx2BhbLNvAL1U2Lg6cfZiS_FChkNoF7XXtD1cRIy73jdm3n8Q6TkpmqTrr2tG45ILpYmEN6oH1akkfcEQ6gw/s320/922858_555783931132438_683680961_n.jpg)
मन के आँगन की दुल्हनें
कब घूँघटों की मोहताज हुयी हैं
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जो ना बदल सका हाथ की लकीरें
वो आदमी बन जी लिये हम
कभी खुद से कभी हालात से
बस यूँ डर डर कर जी लिये हम
मन की बाधा मोडे ऐसा कोई संत मिले
जो तार प्रभु के साथ जोडे ऐसा कोई संत मिले
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चलो चलें सपनो को हकीकत बना लें
तुम और मैं चलो एक चाँद धरती पर उतारें
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आओ उम्मीद के चराग जलाओ यारों
नाउम्मीदे के अंधियारे को दूर भगाओ यारों
खिल सकती है आस की किरण भी अंधेरों मे
बस तुम हौसलों की एक चन्द्रकिरण लाओ तो यारों
देखो आसमाँ पर छायी बदली है
शायद वक्त ने करवट बदली है इन दिनों
जब से ये आग लगी है हवाओं में
दमघोटूँ धुँआ फ़ैला है फ़िज़ाओं में
साँस साँस बिखरी है दरकती सी
साँय साँय की कराहती आवाज़ों में
काश कहना आसान होता
तो आवाज़ की सरगोशियों का तुम्हें इल्म होता
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कोई मुझमें बैठा मेरा खुदा इबादत करने नहीं देता (मेरा खुदा यानि अहम )
वरना यारों मैं साज़िशन नहीं बुझाता चिराग
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बस एक बार आइना बदलकर तो देखो
स्पर्श या देहसुख से आगे निकलकर तो देखो
नारी जो कभी किसी से ना है हारी
क्योंकि वो ही तस्वीर बदलती है सारी
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एक गुनाह ए खुदा तुम ही कर दो
चलो एक बार हर मर्द को औरत कर दो
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कभी शीशम सी कभी साल सी
ये सुबहें हैं बडी खुशगवार सी
"मच्छरदानी को अपनाओ" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg89ML7FDQF7iGLVD0O_yGHC0pxBDRL82ZMJeiaMy_MpEQSdQQDWV9uYyT9qw_4bBj5W7lrKpz5KY40Rvts82xAaPFCvnYpA8G0f3xo-_9F5Wq8ccQH4LU9fIfZWfhtHi1ANWmGGhIAAEzO/s400/13062009371.jpg)
नींद चैन की आ जायेगी
जो सोच सबकी बदल जायेगी
अगर आज के युग में महाभारत होती तो....
जाने कैसी वो जंग होती
कितनी द्रौपदियाँ होतीं
कितने दुश्शासन होते
पाण्डवों के वेश में भी भेडिये ही होते
मुस्लिम तलाक़ और भरण पोषण की विधि
याद रखना ना दिन तेरा ना रातें तेरी
ये ज़िन्दगी से बस चंद मुलाकातें हैं तेरी
चल एक कश लगा ले ज़िन्दगी का
फिर हर नशा हो जायेगा फ़ीका
बस एक बार अदब सज़दे में नज़र झुका लेना
सम्मान भी सम्मानित हो जायेगा
बेगैरतों ने जो बना कठपुतली नचाया
अब दिल वालों की नगरी ना रही हमारी
कमल तो कीचड में भी खिल जायेगा
जो तेरी आँख का पानी बदल जायेगा
आज की चर्चा को अब देते हैं विराम
और अगले हफ़्ते तक करते हैं आराम :)
(1)
भयग्रस्त
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjgkzHhxtlDSBpC8bCvkvQmkMz6xuZoUiO1MLsV_c1AJCniNiM7zQ_wb54wVcPa3VEi67qNRhtDS_6bTbL1tPd_Hb99vROfwcQMKz7Dn4CbwmWzl3MTGgeFcIDQk3zjYUx90l8fOF1zXw/s320/404826_119341951581276_1277003857_n.jpg)
भय नहीं मृत्यु से
भयग्रस्त हूँ
जीवन से ।
विविधताओं से
आकांक्षाओं से
उपलब्धियों से ।
कि जीवन जोंक की तरह न हो जाय...
(2)दुल्हन की बारात अपने घर बुलाने की कसम खायें
![My Photo](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhKvjvyW6egKcgXhZ2-c5M2tPeRiE0eXUFE4X_Yep_I45-YfHJ72I_DyPXQsWqFMVjOVcbEN-PidgT1OWKjthRLpeFFzx935tmmhaVgp7AUfuVDzrL9bmtxTvd2-1NH__bje9wCstUQXh0/s220/taau-photo.jpg)
ताऊ डाट इन पर ताऊ रामपुरिया
(3)
जन्म का खेल
![My Photo](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgCkE4fPduEvaUSbp1p29Z-Af40jBQhE0QQ7VlbDjY4M0yJ0cQSjy2kJVtbJWIq8fwhl16Ja7IXQC5olAYoI1MFnkoFfY6JhBiXg8uim3QCHZqnz1MOekMMYVzY6G3bgw6SdQROHRPR5p3y/s220/OQAAAJJiNR_EkB3roMYsSY0vGzQijSIMzE19gIUW9dIT9ez7RxLTnKokS_p5QSC79QVsipof7_qGBvgt7m3Oso2xOdEAm1T1UOMf81ShGKflU8ruDYCt7kcYJfyt%5B1%5D.jpg)
लम्हों का सफ़र पर डॉ. जेन्नी शबनम
(4)
बेवफा ज़िन्दगी .....
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhLA9jFQuOxENhPJ_Y5CpQ_cvFAfo5og1GE1E-vPNEL19A8IXCQlSWNNLQbM3E9BWcFI_NWYFf7Ca2EdmlSB-BWHeJ6wDT88XTX8BXV9WBGgF05-8TAOEpFO1srFouusgDinWRUpYEV_FI/s320/sadlife.jpg)
(5)
कार्टून :- ...सोने की चिड़िया चांदी के जाल
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjXGkirzf9fd_icGE0Kx3qRyB55ndBTKyxvXYuoy7giCAFpTRSe-dJp51ViSBFd2tSD8D9kBSMJXlHNd20fSp6BGlt0yspU_LTJHB94cicNQK60GohMqpDdZcNiECTFWM_vM27TpQyE3sw/s1600/26.4.2013.jpg)
(6)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjYb1e_Yun-PvGSmV5mkKfEmDBVGQkLwMx_1-lSue26AnIDkBNfJvSpulmnhcx2fYI9o2anCJZWAJqI4ewkr50iQSOQQBPllhExlCvDpi7ypnMsimL6_m_3eZ8IXzpMDCOQ96U_KNvN-Y8/s320/420530_158581040929455_100003326818831_220233_1876267727_n.jpg)
(7)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhMD1YUvmQGCsFNygBKG4cZYz6R3qjlSyzAZCvJ9d2JU7BeMOZEkxozqGxvnA3gRzbh0mpeuU4gcYjGB7W3SUPm599bww7N1K0tywnGA01ocpwEuMwFFraGosKSjypKWK43VXwEpxlx0v0/s320/gehu+.jpeg)
वन्दना जी आज की चर्चा और कई लिंक्स तथा मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंआशा
चर्चा की बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंवन्दना जी!
कभी जो रोटी साझा किया करते थे में आपने बहुत परिश्रम करके अच्छे लिंकों का समावेश किया है!
आभार...!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हमे शामिल करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंविशेष रूप से मेरी पोस्ट के शीर्षक पर आपका कैप्शन बहुत ही अच्छा लगा।
सादर
बहुत बढ़िया,उम्दा लिंक्स!!!मंच में मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए आभार शास्त्री जी,,, ,
जवाब देंहटाएंआज पढ़ने के लिये संकलित ढेरों सूत्र...
जवाब देंहटाएंकार्टून को भी चर्चा में सम्मिलित करने के लिए आपका आभार.
जवाब देंहटाएंसार्थक लिंकों से सजी बेहतरीन चर्चा,आभार.
जवाब देंहटाएंसुंदर पठनीय लिंक्स से सुसज्जित चर्चा. मेरी रचना शामिल करने हेतु आभार....
जवाब देंहटाएंबेहतर लिंक्स, अच्छी चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुभकामनाएं
बेहतरीन लिंक्स संयोजित किये हैं आपने .... आभार
जवाब देंहटाएंइतने अच्छे लिंक कि कई हफ्ते लग जाएँगे इन्हें पढ़ने में...चर्चा की शैली मन मोहती है..मेरी रचना शामिल करने के लिए शुक्रिया... अगली चर्चा के लिए ढेरों शुभकामनाएँ ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक संयोजन !!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक्स ...!!मेरी रचना को स्थान दिया ,आभार वंदना जी ...!!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स.....आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर-सुन्दर लीकों का संयोजन. मेरी रचना को सम्मिलित करने हेतु आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा वंदना...खूब सारा पढने मिला और सभी अच्छा अच्छा....
जवाब देंहटाएंआभार
सस्नेह
अनु
जो गुबार गुस्से का होता तो निकाल भी देते
जवाब देंहटाएंये घुटन के गुब्बारों पर कोई सुईं अब चुभती ही नहीं ......hmmmmm...........aapne ye jo do lines likhi hain....ye to meri puri kavitaa ka Crux sa lg rhaa he....
bde dino baad kuch likhaa tha..aur apne use is thre se sraahaaa...unghtii si kalm chatan hoke jaag baithi...shukiryaa
aur aapne jis trhe se hr link me apni do lines ke sath uska intoduction diya wo to shaandaar he
@venus****"ज़ोया" ji आपने अपने शब्दों के माध्यम से हमारा हौसला बढाया और इतना मान दिया उसके लिये हार्दिक आभार । एक चर्चाकार भी सराहना के शब्दों से प्रेरित होता है और अपना बैस्ट देने का प्रयत्न करता है । बहुत बहुत शुक्रिया
हटाएंमेरे उपेक्षित से रहे ब्लॉग को साझा करने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा..
जवाब देंहटाएंबातें तो तुम बहुत बनाते हो
जवाब देंहटाएंक्या कभी हुनर भी आजमाते हो....आपका से अंदाज पसंद आया। सभी लिंक्स अच्छे लगे। मेरी रचना को स्थान देने का शुक्रिया।
सभी लिनक्स बेहतरीन वंदना जी ................
जवाब देंहटाएंवन्दना जी आज की चर्चा और मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएं