लीजिये हाजिर है
रंग बिरंगी
हल्के फ़ुल्के मूड मे बनी
खट्टी मीठी चर्चा
बैठ मेरे पास तुझे देखता रहूँ …… और खाने पीने की सुध भूलता रहूँ
आओ मोटे लोगों आदोंलन करें... मोटापा ज़िंदाबाद और पतले क्या करें ?
आया है अपना नव वर्ष।........ तो फिर करो खुलकर स्वागत
आरोग्यवर्द्धक तुलसी ........ घर घर की जान
मिटना ही होगा एक दिन........... फिर से जन्मने के लिए
रामजी कब आओगे? ......... और अपना वचन निभाओगे
गद्य काव्य/ अवसाद .............. कैसे हो कोई पार
उस वक्त का कब वक्त ? ......... ये तो वक्त ही जाने
पूरब की ओर से......... फिर बहेंगी हवाएं
सोलह दिन गणगौर के ...... आओ पूज लें
"खद्योतों का निर्वाचन.." (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’).... ये कैसा आकलन ?
सौ मीटर दूर चलना भी गवारा नहीं ......... कैसे इस पार आओगे ?
अपने ट्विटर फ़ालोवर को नए अंदाज़ में दिखाएँ ...... इसे भी
आजमायें
तुच्छ? ........ कौन?
उम्मीद है पाठकों की पसन्द पर खरी उतरी होगी अब देती हूँ आज की चर्चा को यहीं विराम ………फ़िर मिलते हैं किसी मोड पर किसी रंग में
(1)

एक चीख सी उठती है मंदिर की दीवारों से
जब घर के आगन में जलती हैं बेटियाँ एक शोर सा होता है मस्ज़िद की मिनारों से
जब ज़ुल्म की तहरीर बनती हैं बेटियाँ एक आह सी उठती है संतों की मजारों से..
(2)
(3)
काव्य में रुचि रखने वालों के लिए और विशेषतया कवियों के लिए तो गणों की जानकारी होना बहुत जरूरी है ।
गण आठ माने जाते हैं!...
गण आठ माने जाते हैं!...
इसके लिए मैं एक सूत्र को लिख रहा हूँ-
"यमाताराजभानसलगा"
(4)

(5)
कुछ बूट रौन्द्ते चले आए ज़मीं को...
इंसान नहीं बस वर्दी में कुछ कठपुतलियाँ थीं...
एक गोरे ने धागा खींचा...
गोलियाँ चिल्ला पड़ी...
बच्चे बूढ़े औरत थोड़ा चीखे फिर...
खामोश हो गये...
उस बैसाखी ने कितने ही घरों को...
बैसाखियाँ थमा दी...
बहुत सुन्दर रंग-बिरंगी चर्चा लगाई है आपने वन्दना जी!
ReplyDeleteआभार!
--
सभी पाठकों को बैशाखी और नवरात्रों की शुभकामनाएँ..!
एक सार्थक और सकारात्मक संकलन - प्रशंसनीय प्रयास - बधाई
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सूत्रों से सजी आज की चर्चा..
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ReplyDeleteवन्दना दीदी की पसंदीदा लिंक्स
ReplyDeleteवाकई में शानदार है
उन्होंने पाठकों की पसंद का भी ख्याल रखा है
सादर
आदरणीय वंदना जी ने बहुत सुन्दर सूत्र पिरोये हैं। इस सुंदर संकलन के लिए आपको बधाई।
ReplyDeleteइस संकलन में मुझे स्थान देने के लिए आपका आभार!
बहुत सुन्दर सूत्रों से सजी आज की चर्चा,आपका आभार।
ReplyDeletekya baat hai....achche links diye hain...meri rachna ko sammaan aur sneh dene ke liye abhaar
ReplyDeletesunder sutr se saji charcha ke liye badhai
ReplyDeletehttp://guzarish66.blogspot.in/2013/04/1.html
सुन्दर पठनीय लिंकों से सजी बेहतरीन चर्चा.
ReplyDeletevery nice vandana ji.
ReplyDeleteशुक्रिया वंदना जी ...पोस्ट्स अच्छी लग रही हैं ...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सूत्र संकलन,,,लेकिन वंदना जी आपके द्वारा मंच में प्रस्तुति करने का तरीका मुझे नही भाया,,,आशा है इस पर ध्यान दें,,,
ReplyDeleteमेरी रचना को मंच में स्थान देने के लिए आभार शास्त्री जी,,,
धीरेन्द्र सिंह भदौरिया जी सबका अपना अपना नज़रिया होता है और अपना तरीका ………आपको पसन्द नहीं आया तो उसके लिये तो मैं कुछ कर नही सकती क्योंकि अगर एक एक इंसान इस तरह अपनी अपनी पसन्द बताने लगेगा और मैं हर ब्लोगर की पसन्द को ध्यान मे रखती रहूँगी तो चर्चा क्या लगा पाऊँगी …………कहना बहुत आसान होता है किसी को पसन्द या नापसन्द करके मगर जब वो ही काम किया जाता है तब॥ता चलता है कि एक काम से सब को खुश नही रखा जा सकता ………दूसरी बात मेरे घर मे आजकल मिस्त्री लगे हैं , घर मे सब बीमार हैं उसके बाद भी घर को संभालते हुये ये कार्य भी कर रही हूँ ……तो आप समझ सकते हैं कैसे काम कर पा रही हूँ यहाँ तक कि कल तो दिन मे ना जाने कितनी बार लाइट जाती रही ………ये मै ही जानती हूँ कैसे चर्चा लगायी है ।
Deleteउत्तम चयन, सार्थक चर्चा. आभार सहित...
ReplyDeleteआदरणीय भदौरिया जी!
ReplyDeleteहर चर्चाकार का चर्चा लगाने का ढंग उसका अपना होता है।
इसमें आपको अगर आपत्ति है तो हम क्या करें?
चर्चा हम किसी ब्लॉगर की पसंद के अनुसार नहीं लगाते हैं।
यह तो निष्काम सेवा है। जिससे ब्लॉगरों को लाभ मिलता है।
मगर हमें इसका न ही कोई लाभ मिलता है और न ही कोई प्रारिश्रमिक।
आप इस प्रकार की टिप्पणी करके हमारे चर्चाकारों का मनोबल गिराने का प्रयास न करें।
यह तो आप जानते ही होंगें कि इससे पहले भी कई लोगों ने चर्चा मंच को हतोत्साहित करने का प्रयास किया था मगर मेरी खुद की और हमारे चर्चाकारों की मेहनत ने इसे ऊँचाइयों की बुलन्दी पर पहुँचाया है और वो लोग आज भी जहाँ थे वहीं के वहीं खड़े हुए हैं।
आशा है आप मेरी बात को अन्यथा नहीं लेंगे।
समझदार को इशारा ही काफी है।
ये कोई चर्चा है बुध्दू बना दिया है बुला कर अरे होली चली गई मैडम कुछ ढँग से चर्चा भी करो :)
ReplyDeleteमज़ाक मक रही हूँ वन्दू :) बहुत अच्छी सुन्दर रंगमय चर्चा है शुक्रिया मोटे लोगों को शामिल करने के लिये :)
Deleteमैं जानती हूँ सुनीता :) तुम्हें अख्तियार है :)
Deleteगलत बात है शास्त्री जी आपने दूसरी टिप्पणी क्यों हटा दी? हमारी सखी नाराज हो जायेगी तो? बोलिये कौन मना कर देगा। हम तो मज़ाक कर रहे थे उससे अब मज़ाक भी न करें क्या???
ReplyDeleteसुनीता नाराज नही होते ………हो जाता है कभी कभी ऐसा ………और मै तुम्हारा बुरा मानूँगी ………क्या संभव है :)
Deleteसुनीता जी!
ReplyDeleteमैं किसी की टिप्पणी नहीं हटाता हूँ, शायद स्पैम मे चली गयी होगी।
अभी प्रकाशित करता हूँ!
मैं जानता हूँ कि आप बहुत मजाकिया हैं।
जी हाँ मुझे मालूम है आपको मालूम है बस इतना ही काफ़ी है पता होना चाहिये...वरना गलत फ़हमी पैदा हो जाती है.. अमूमन मै कोई ऎसा कमैंट कम करती हूँ फिर भी आदत :)
Deleteबहुत बढ़िया चर्चा बधाई वंदना जी
ReplyDeleteबढ़िया चर्चा प्रस्तुति ....
ReplyDeleteसुंदर, सादगीपूर्ण चर्चा..........
ReplyDeleteमयंक की पंचमी भाई-
ReplyDeleteवंदना जी ने सुन्दर चर्चा लगाईं-
शुभकामनायें-