एक बार फिर सुरमयी चर्चा का आगाज़ किया है उम्मीद है आपकी उम्मीदों पर खरी उतरेगी …………कुछ जरूरी काम में बिज़ी चल रही हूँ ज्यादा कुछ नही कह सकती और लिंक्स भी कम ही दे पा रही हूँ
ज़िंद ले गया वो दिल का जानी ये दिल बेजान रह गया
कुर्बानी कुर्बानी कुर्बानी अल्लाह को प्यारी है कुर्बानी
वो तिश्नगी मेरे दिल की, सदियों की प्यास 'था'....काव्य मंजूषा
अहले वफ़ा की बात वो, करके मुकर गए
शिक़स्त-ए-दीद बन हम, नज़रों से गिर गये...!
चाँद तारे हो गएतमाशा-ए-जिंदगी
रात आई, ख्व़ाब सारे, चाँद तारे हो गए
हम बेसहारा ना रहे, ग़म के सहारे हो गए ...!
रात में सहर फूल में काँटें मोहब्बत में मुलाकातें ....
दिल में दर्द आँखों में सपने परायों में अपने .....
समुन्दर में लहरें बाग़ में भँवरे ज़ख्म बड़े गहरे ...
स्वार्थ में छल जीत में हर्ष जीवन में संघर्ष .....
होते हीं हैं ....
यादों के पदचिन्हmy dreams 'n' expressions.....याने मेरे दिल से सीधा कनेक्शन...
आगे बढ़ते बढ़ते अनायास कोई खींचता है पीछे....
मुझे बेबस सा करता हुआ.
एक कदम पीछे रखती हूँ और धंसती चली जाती हूँ
यादों के दलदल में गहरे, बहुत गहरे...!
प्रस्तुत हैं नैनों पर कुछ दोहे
नैनों की मत मानियो रे
नैनो की मत सुनियो
नैना ठग लेंगे ठग लेंगे नैना ठग लेंगे
नैनो की मत सुनियो
नैना ठग लेंगे ठग लेंगे नैना ठग लेंगे
सपने सुहाने लडकपन के
मेरे नैनों मे डोलें बहार बन के
मेरे नैनों मे डोलें बहार बन के
ज़िन्दगी प्यार का गीत है
इसे हर दिल को गाना पडेगा
इसे हर दिल को गाना पडेगा
उलझन सुलझे ना रास्ता सूझे ना जाऊँ कहाँ मैं जाऊँ कहाँ
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल कर
बहती गंगा में हाथ धो ही लो
ये ज़िन्दगी के मेले द्निया मे कम ना होंगे अफ़सोस हम ना होंगे
ज़िन्दगी कैसी है पहेली हाय कभी ये हँसाये कभी ये रुलाये
क्या से क्या हो गया बेवफ़ा तेरे प्यार मे
कोई होता जिसको अपना हम अपना कह लेते यारों
मुझको इस रात की तन्हाई मे आवाज़ ना दो
तेरे मेरे बीच में कैसा है ये बंधन अंजाना मैने नही जाना तूने नही जाना
गीत गाता हूँ मैं गुनगुनाता हूँ मै मैने हँसने का वादा किया था कभी इसलिये अब सदा मुस्कुराता हूँ मैं
जहाँ डाल डाल पर सोने की चिडिया करती है बसेरा वो भारत देश है मेरा
तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है
मुझको इस रात की तन्हाई मे आवाज़ ना दो
बोल मेरी तकदीर में क्या है मेरे हमसफ़र ये तो बता
जीवन के दो पहलू हैं हरियाली और रास्ता
ज़िंद ले गया वो दिल का जानी ये दिल बेजान रह गया
कुर्बानी कुर्बानी कुर्बानी अल्लाह को प्यारी है कुर्बानी
बारिशों के पानी सेमैं बनाती रही अंजुलियाँ होठों की नमी जाती
कोई लौटा दे मेरे बीते हुये दिन बीते हुये दिन वो मेरे प्यारे पल छिन
गाये जा गीत मिलन के तू अपनी लगन के सजन घर जाना है
्हाल कैसा है जनाब का क्या ख्याल है आपका तुम तो मचल गये हो हो हो यूँ ही फ़िसल गये हा हा हा
मुझको यारों माफ़ करना मैं नशे में हूँ
ये दुनिया ये महफ़िल मेरे काम की नहीं मेरे काम की नहीं
अब दीजिये आज्ञा ………उम्मीद है पसन्द आयी होगी…………फिर मिलते हैं..!
आगे है... "मयंक का कोना"
(1)
अहले वफ़ा की बात वो, करके मुकर गए
शिक़स्त-ए-दीद बन हम, नज़रों से गिर गये...!
(2)
रात आई, ख्व़ाब सारे, चाँद तारे हो गए
हम बेसहारा ना रहे, ग़म के सहारे हो गए ...!
(3)
होते हीं हैं ......
Tere binरात में सहर फूल में काँटें मोहब्बत में मुलाकातें ....
दिल में दर्द आँखों में सपने परायों में अपने .....
समुन्दर में लहरें बाग़ में भँवरे ज़ख्म बड़े गहरे ...
स्वार्थ में छल जीत में हर्ष जीवन में संघर्ष .....
होते हीं हैं ....
(4)
आगे बढ़ते बढ़ते अनायास कोई खींचता है पीछे....
मुझे बेबस सा करता हुआ.
एक कदम पीछे रखती हूँ और धंसती चली जाती हूँ
यादों के दलदल में गहरे, बहुत गहरे...!
दीदी
जवाब देंहटाएंगुदगुदी
हलचल
ज्ञान-ध्यान
क्या नहीं है
सभी कुछ तो है
आज की प्रस्तुति में
साधुवाद
बहु आयामी चर्चा |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत बढ़िया चर्चा ...अच्छे लिनक्स मिले
जवाब देंहटाएंवन्दना जी आपने व्यस्तता के क्षणों में से भी कुछ पल चर्चा के लिए चुरा ही लिए और बहुत ही सुन्दर चर्चा को अंजाम दिया।
जवाब देंहटाएंएतदर्थ आपका आभार!
thanks nd .aabhar ....bahut acchi charchaa .......
जवाब देंहटाएंहर बात की आहट मिल गई
जवाब देंहटाएंमुझे आपके आशियाने में
यूँ ही तो लोग नहीं झुकते
आपके दौलत ख़ाने में
'अदा'
'अदा'
शशि पुरवार जी का हार्दिक स्वागत है !!
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा सजाई है !!
आभार !!
बेहतरीन पठनीय लिंकों की सार्थक प्रस्तुति,गागर में सागर,आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी चर्चा वंदना....
जवाब देंहटाएंहमारी रचना को स्थान देने का शुक्रिया....
सस्नेह
अनु
आदरणीया वंदना जी सुरमयी चर्चा काबिले तारीफ है, व्यस्तता के चलते इतने सुन्दर पठनीय सूत्र इकठ्ठे किये हैं आपने हार्दिक आभार.
जवाब देंहटाएंआदरणीया सरिता भाटिया जी एवं आदरणीया शशि पुरवार जी चर्चा मंच परिवार आपका हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता है, आप भी इस सुन्दर बाग़ में अपने पसंद के पुष्प पिरोयें. सादर
जवाब देंहटाएंअच्छे और रुचिकर सूत्र दिये आपने - पढे जा रही हूं ,आपका आभार भानमती को सामने लाने के लिए भी!
जवाब देंहटाएंआदरणीया वंदना जी,आपको इसकी सूचना तो देनी चाहिए थी। बहरहाल अच्छे और रुचि कर सूत्र दिये आपने आपका आभार।
जवाब देंहटाएं@आदरणीय मनोज जायसवाल जी कल मेरे घर मे बहुत काम था और मेरी तबियत भी इतनी खराब थी कि बाहर से ही खाना आया है रात को बैठकर किसी तरह चर्चा लगाई ऐसे में कैसे किसी को सूचित कर पाती आप खुद समझ सकते हैं । वरना तो हर बार सबको सूचित करती ही हूँ
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सुंदर रुचिकर सूत्र !!!
जवाब देंहटाएंनये चर्चाकार के रूप में श्रीमती सरिता भाटिया,एवं शशि पुरवार जी को बधाई शुभकामनाए,,,
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वाह ! ये चर्चा का गीतमई अंदाज भी बहुत उम्दा रहा वन्दना जी, आभार आपका !
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी प्रस्तुति सुन्दर लिनक्स संजोये हैं आपने आभार आ गयी मोदी को वोट देने की सुनहरी घड़ी .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MANजाने संविधान में कैसे है संपत्ति का अधिकार-1
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा का अंदाज बहुत सुंदर है।
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स
नए चर्चाकारों का स्वागत..
shubham.............
जवाब देंहटाएंअत्यंत सुन्दर लिंक्स संजाए हैं आपने अलग अलग रंग और भाव के। इस सुन्दर संकलन के लिए आपको सादर बधाई।
जवाब देंहटाएंइस अंक में मुझे स्थान देने के लिए आपका शत शत आभार!
बहुत सुन्दर सार्थक चर्चा हेतु बधाई वंदना जी
जवाब देंहटाएंVandana Ji, Dhanyavaad !...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्र, शुभकामनायें।
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