"जय माता दी" अरुन की ओर से आप सबको सादर प्रणाम.तनिक भी विलम्ब किये बिना आइये चलते हैं लिंक्स पर.
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Sushila
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रह-रह कानों में
पिघले शीशे-से गिरते हैं शब्द
"अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो"।
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Rajendra Kumar
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लेखक : डॉ. परमजीत ओबराय (एन.आर.आई)
प्रस्तुतकर्ता : यशोदा अग्रवाल (मेरी धरोहर)
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~अनु ~
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बीती रात ख्वाब में
मैं एक चिड़िया थी........
चिडे ने
चिड़िया से
मांगे पंख,
प्रेम के एवज में.
और
पकड़ा दिया प्यार
चिड़िया की चोंच में !
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उदय वीर सिंह
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मर्यादा
की परिभाषाएं
गढ़े कौन......
अतिरंजित होते मूल्य ,
मूल्यांकन की बात करे कौन
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डॉ. मोनिका शर्मा
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हमारी सामाजिक और पारिवारिक व्यवस्था ही कुछ ऐसी है कि एक स्त्री का जीवन केवल उसके अपने नहीं बल्कि घर पुरुषों के व्यवहार से भी प्रभावित होता है ।
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Swati
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इक किला मैं रोज़ धकेलती हूँ
मुझे मुक्त होना है
रूह की बेड़ियाँ चुभती हैं
इक किला मैं रोज़ बनाती हूँ
मुझे कैद होना है
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Anshu Tripathi
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स्वप्न मञ्जूषा
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ये थका-थका सा जोश मेरा, ये ढला-ढला सा शबाब है
तेरे होश फिर भी उड़ गए, मेरा हुस्न क़ामयाब है
ये शहर, ये दश्त, ये ज़मीं तेरी, हवा सरीखी मैं बह चली
तू ग़ुरेज न कर मुझे छूने की, मेरा मन महकता गुलाब है
ये कूचे, दरीचे, ये आशियाँ, सब खुले हुए तेरे सामने
है निग़ाह मेरी झुकी-झुकी, ये ग़ुरूर मेरा हिज़ाब है
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शारदा अरोरा
अपने अपने सफ़र की बात है
इक दिया है , हवाएँ साथ हैं
समझे थे जिसे हम आबो-हवा
सहरा में धूप से क्या निज़ात है
आँधी-तूफाँ बने सँगी-साथी
टकराये भी अगर तो बरसात है
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महेन्द्र श्रीवास्तव
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Anita Singh
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
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मेरी गैया बड़ी निराली,
सीधी-सादी, भोली-भाली ।
सुबह हुई काली रम्भाई,
मेरा दूध निकालो भाई ।
हरी घास खाने को लाना,
उसमें भूसा नही मिलाना ।
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इसी के साथ आप सबको शुभविदा मिलते हैं रविवार को. आप सब चर्चामंच पर गुरुजनों एवं मित्रों के साथ बने रहें. आपका दिन मंगलमय हो | ||||
जारी है ..... "मयंक का कोना" (1) सुख और दुःख ![]() सुख और दुःख धरती के, ध्रुव की तरह होते हैं लेकिन प्रतिक्रया में दोनों के, आंसू ही होते हैं.... (2) शब्दों का कारवाँ ![]() आज तलाश रही हूँ कुछ ऐसे भीने शब्दों का कारवाँ जिनका असर हो... (3) अमेरिका : मां डायन तो बेटा भी होगा राक्षस ! ![]() भारत माता को सार्वजनिक रूप से नंगा करने वाले नेता जब खुद नंगे होते हैं तो कैसी तिलमिलाहट होती है... (4) नींद में ही तो नहीं हैं ? ![]() कभी कभी सपनों के बोझ तले दबी हुई पलकें खुलना तो चाहती हैं पर खुल नहीं पाती असहज, घुटन सी महसूस होती है... (5) मेरी संस्था मेरा घर मेरा शहर या मेरा देश कहानी एक सी उसे लग रहा है मेरा घर शायद कुछ बीमार है पता लेकिन नहीं कर पा रहा है कौन जिम्मेदार है वास्तविकता कोई जानना नहीं चाहता है ... |
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Sunday, April 28, 2013
अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो : चर्चामंच १२२८
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शुभ प्रभात भाई अरुण
ReplyDeleteआज.....
आपने रविवार सार्थक कर दिया
दर-दर भटकने से बचा लिया
अच्छे लिंक्स दिये
आभार....
सादर
बहुत ही सुन्दर सूत्र
ReplyDeleteबहुत अच्छे अच्छे लिंक्स मिले सुंदर सजा चर्चा मंच.... आभार.
ReplyDeleteमेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए शुक्रिया अरुणजी
भाई अरुण जी!
ReplyDeleteआज का रविवार सार्थक हो गया (28-04-2013) अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो : चर्चामंच १२२८ में आपने बहुत उपयोगी और अद्यतन लिंक दिये हैं पढ़ने के लिए! वैसे भी आज रविवार होने के साथ-साथ उत्तराखण्ड में नगर निकायों के चुनाव भी हैं।
आपके श्रम की सराहना करता हूँ...!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Aadarneey Shastri ji is bar mangalvaar ki charcha nahi laga paaungi husband ki tabiyat kai din se theek nahi hai bed rest par hain
Deleteअरुन की मेहनत नज़र आ रही है। बहुत सलीके से सारे लिंक्स संजोये गए हैं।
ReplyDeleteबहुत ख़ूब !
समसामयिक लिंक्स हैं आज की |उम्दा हैं |
ReplyDeleteआशा
बहुत बहुत शुक्रिया अरुण जी चर्चा-मंच में शामिल करने का ...निस्संदेह कुछ और ऑडीएन्स के सामने से गुजरने का मौका मिलता है ..इस तरह रचना को ..
ReplyDeleteचर्चा - मंच व चर्चाकारों के साथ अरुण शर्मा जी आपको बहुत बहुत धन्यवाद ,समय की अति व्यस्तता की वजह से सिद्दत के साथ अपनी सहभागिता नहीं दर्ज करा पाने का बेहद अफसोस है माफ़ी चाहेंगें .....
ReplyDeleteजन्म ले चुकी है धारा
कारवां गाफिल नहीं होगा
बिसात क्या है तीरगी तेरी
हाथों में मशाल लिए बैठे हैं-
--- उदय वीर सिंह
बहुत उम्दा लिनक्स ....शामिल करने का आभार
ReplyDeleteबेहतरीन लिंक्स से रूबरू करवाने और मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए धन्यवाद ......
ReplyDeleteबहुत उम्दा पठनीय लिंक्स के लिए आभार !!! अरुण जी,,,
ReplyDeleteRecent post: तुम्हारा चेहरा ,
बहुत ही बेहतरीन लिंकों का संयोजन,आज कुछ नए ब्लोगों से रूबरू होने का भी मौका मिला,आभार मित्रवर.
ReplyDeleteसंतुलित चर्चा सजाई है आपने ...... आभार आपका !
ReplyDeleteबहुत सुंदर चर्चा,
ReplyDeleteसभी लिंक्स एक से बढ़कर एक
सुन्दर और सार्थक चर्चा !!
ReplyDeleteबढ़िया लिंक से सजी चर्चा के लिए हार्दिक बधाई ... सादर !
ReplyDeleteबढ़िया लिंक्स से सजी चर्चा के लिए हार्दिक बधाई ........ सादर !
ReplyDeleteसुन्दर लिंक्स
ReplyDeleteमेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए शुक्रिया अरुणजी
बहुत सुन्दर लिंक्स संजोये हैं ……………बढिया चर्चा
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिंक्स संजोये हैं अरुण...
ReplyDeleteहमारी रचना को स्थान देने का शुक्रिया
अनु
नमस्कार अरुण जी , मयंक जी ..........कई पोस्ट पढ़ी बहुत अच्छी रचनाये
ReplyDeleteमेरी रचना को स्थान देने हेतु हेतु आभार .............
बहुत ही सामयिक और बढ़िया लिंक्स संजोये हैं अरुण जी ! मेरी कविता को स्थान देने के लिए ह्रदय से आभार और उन सभी सुधि पाठकों के प्रति मैं कृतज्ञ हूँ जिन्होंने मेरी वेदना को साझा किया।
ReplyDeleteफिर से आभार।
एक से बढ़िया एक लिंक्स
ReplyDeleteचर्चा-मंच को सार्थक करते हुये
सुंदर संग्रह
अरुण जी का शानदार संयोजन
सभी रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मलित करने का आभार
Thank u for letting me find such lovely links.. :)
ReplyDeleteबेहतरीन लिंक्स संयोजन .....
ReplyDeleteमेरी रचना को शामिल करने हेतु डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक सर को आभार !
सादर!
अरुन जी, देरी के लिए माफ़ी..सुंदर चर्चा, आभार !
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक लिंक्स का संयोजन रोचक ढंग से किया है आपने।
ReplyDeleteमेरी भी रचना को गति देने के लिए आपका हार्दिक आभार।
सादर।
सुंदर चर्चा में शामिल करने के लिये आभार !
ReplyDeleteआप सभी का हार्दिक आभार अनेक अनेक धन्यवाद.
ReplyDeleteThanks Anant Sharma ji.
ReplyDeleteशुक्रिया मेरे ब्लॉग को जगह देने के लिए... :-)
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