फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

रविवार, अप्रैल 28, 2013

अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो : चर्चामंच १२२८

"जय माता दी" अरुन की ओर से आप सबको सादर प्रणाम.तनिक भी विलम्ब किये बिना आइये चलते हैं लिंक्स पर. 
Sushila
रह-रह कानों में
पिघले शीशे-से गिरते हैं शब्द
"अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो"।
Rajendra Kumar
१.
पृथ्वी की गोद
पेड़ों की हरियाली
सुनी पड़ी है
२. कटते वृक्ष
बढ़ता प्रदुषण
चिन्ता सताए
लेखक : डॉ. परमजीत ओबराय (एन.आर.आई)
प्रस्तुतकर्ता : यशोदा अग्रवाल (मेरी धरोहर)
संसार क्षेत्र की यात्रा करने
चली आत्मा
रूप अनेक धार ।
पथ में जिसके कांटे अधिक हैं
फूल हैं केवल चार ।
~अनु ~
बीती रात ख्वाब में
मैं एक चिड़िया थी........
चिडे ने
चिड़िया से
मांगे पंख,
प्रेम के एवज में.
और
पकड़ा दिया प्यार
चिड़िया की चोंच में !
उदय वीर सिंह
मर्यादा
की परिभाषाएं
गढ़े कौन......
अतिरंजित होते मूल्य ,
मूल्यांकन की बात करे कौन
डॉ. मोनिका शर्मा
हमारी सामाजिक और पारिवारिक व्यवस्था ही कुछ ऐसी है कि एक स्त्री का जीवन केवल उसके अपने नहीं बल्कि घर पुरुषों के व्यवहार से भी प्रभावित होता है ।
Vandana Tiwari
(Vivek Rastogi)
(पुरुषोत्तम पाण्डेय)
ZEAL
Swati
इक किला मैं रोज़ धकेलती हूँ
मुझे मुक्त होना है
रूह की बेड़ियाँ चुभती हैं
इक किला मैं रोज़ बनाती हूँ
मुझे कैद होना है
Anshu Tripathi
मेरे लिए कहाँ रुका पल
मेरे लिए कहाँ बढ़ा पल
तेरे आसपास ही थमा पल
मेरी स्मृति तेरी परिमल
दृढ़ पौरुष हृदय सुकोमल
तेरे स्वप्नों में गुँथा पल
Monali
अमिता नीरव
Abhi
Jyoti Khare
स्वप्न मञ्जूषा
ये थका-थका सा जोश मेरा, ये ढला-ढला सा शबाब है
तेरे होश फिर भी उड़ गए, मेरा हुस्न क़ामयाब है
ये शहर, ये दश्त, ये ज़मीं तेरी, हवा सरीखी मैं बह चली
तू ग़ुरेज न कर मुझे छूने की, मेरा मन महकता गुलाब है
ये कूचे, दरीचे, ये आशियाँ, सब खुले हुए तेरे सामने
है निग़ाह मेरी झुकी-झुकी, ये ग़ुरूर मेरा हिज़ाब है
शारदा अरोरा
अपने अपने सफ़र की बात है
इक दिया है , हवाएँ साथ हैं
समझे थे जिसे हम आबो-हवा
सहरा में धूप से क्या निज़ात है
आँधी-तूफाँ बने सँगी-साथी
टकराये भी अगर तो बरसात है
Prem Lata
संध्या आर्य
सुमन कपूर 'मीत'
Neelima
महेन्द्र श्रीवास्तव
गाँव गया था,
गाँव से भागा ।
रामराज का हाल देखकर
पंचायत की चाल देखकर
आँगन में दीवाल देखकर
सिर पर आती डाल देखकर
नदी का पानी लाल देखकर
और आँख में बाल देखकर
गाँव गया था
गाँव से भागा ।
Anita Singh
हमें जिंदगी जीने का सलीका ना आया
मगर जिंदगी ने हमे हर बार आजमाया
भूल चुके जब हम सब माज़ी के किस्से
दुश्मने जां फिर मेरा दिल दुखाने आया
था साथ उसके इक नया हमसफर
होकर पराया हमसे हमको जलाने आया
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
मेरी गैया बड़ी निराली,
सीधी-सादी, भोली-भाली ।
सुबह हुई काली रम्भाई,
मेरा दूध निकालो भाई ।
हरी घास खाने को लाना,
उसमें भूसा नही मिलाना ।
इसी के साथ आप सबको शुभविदा मिलते हैं रविवार को. आप सब चर्चामंच पर गुरुजनों एवं मित्रों के साथ बने रहें. आपका दिन मंगलमय हो
जारी है ..... "मयंक का कोना"
(1)
सुख और दुःख
My Photo
सुख और दुःख धरती के, 
ध्रुव की तरह होते हैं लेकिन प्रतिक्रया में दोनों के, 
आंसू ही होते हैं....
(2)
शब्दों का कारवाँ

आज 
तलाश रही हूँ 
कुछ ऐसे भीने  
शब्दों का कारवाँ 
जिनका असर हो...

(3)
अमेरिका : मां डायन तो बेटा भी होगा राक्षस !

भारत माता को सार्वजनिक रूप से नंगा करने वाले नेता 
जब खुद नंगे होते हैं तो कैसी तिलमिलाहट होती है...
(4)
नींद में ही तो नहीं हैं ?

कभी कभी सपनों के बोझ तले दबी हुई पलकें खुलना तो चाहती हैं
पर खुल नहीं पाती असहज, घुटन सी महसूस होती है...
(5)
मेरी संस्था मेरा घर मेरा शहर या मेरा देश कहानी एक सी
उसे लग रहा है मेरा घर शायद कुछ बीमार है 
पता लेकिन नहीं कर पा रहा है कौन जिम्मेदार है 
वास्तविकता कोई जानना नहीं चाहता है ...

32 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात भाई अरुण
    आज.....
    आपने रविवार सार्थक कर दिया
    दर-दर भटकने से बचा लिया
    अच्छे लिंक्स दिये
    आभार....

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत अच्छे अच्छे लिंक्स मिले सुंदर सजा चर्चा मंच.... आभार.
    मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए शुक्रिया अरुणजी

    जवाब देंहटाएं
  3. भाई अरुण जी!
    आज का रविवार सार्थक हो गया (28-04-2013) अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो : चर्चामंच १२२८ में आपने बहुत उपयोगी और अद्यतन लिंक दिये हैं पढ़ने के लिए! वैसे भी आज रविवार होने के साथ-साथ उत्तराखण्ड में नगर निकायों के चुनाव भी हैं।
    आपके श्रम की सराहना करता हूँ...!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. Aadarneey Shastri ji is bar mangalvaar ki charcha nahi laga paaungi husband ki tabiyat kai din se theek nahi hai bed rest par hain

      हटाएं
  4. अरुन की मेहनत नज़र आ रही है। बहुत सलीके से सारे लिंक्स संजोये गए हैं।
    बहुत ख़ूब !

    जवाब देंहटाएं
  5. समसामयिक लिंक्स हैं आज की |उम्दा हैं |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत बहुत शुक्रिया अरुण जी चर्चा-मंच में शामिल करने का ...निस्संदेह कुछ और ऑडीएन्स के सामने से गुजरने का मौका मिलता है ..इस तरह रचना को ..

    जवाब देंहटाएं
  7. चर्चा - मंच व चर्चाकारों के साथ अरुण शर्मा जी आपको बहुत बहुत धन्यवाद ,समय की अति व्यस्तता की वजह से सिद्दत के साथ अपनी सहभागिता नहीं दर्ज करा पाने का बेहद अफसोस है माफ़ी चाहेंगें .....
    जन्म ले चुकी है धारा
    कारवां गाफिल नहीं होगा
    बिसात क्या है तीरगी तेरी
    हाथों में मशाल लिए बैठे हैं-
    --- उदय वीर सिंह

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत उम्दा लिनक्स ....शामिल करने का आभार

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन लिंक्स से रूबरू करवाने और मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए धन्यवाद ......

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत उम्दा पठनीय लिंक्स के लिए आभार !!! अरुण जी,,,

    Recent post: तुम्हारा चेहरा ,

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत ही बेहतरीन लिंकों का संयोजन,आज कुछ नए ब्लोगों से रूबरू होने का भी मौका मिला,आभार मित्रवर.

    जवाब देंहटाएं
  12. संतुलित चर्चा सजाई है आपने ...... आभार आपका !

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत सुंदर चर्चा,
    सभी लिंक्स एक से बढ़कर एक

    जवाब देंहटाएं
  14. बढ़िया लिंक से सजी चर्चा के लिए हार्दिक बधाई ... सादर !

    जवाब देंहटाएं
  15. बढ़िया लिंक्स से सजी चर्चा के लिए हार्दिक बधाई ........ सादर !

    जवाब देंहटाएं
  16. सुन्दर लिंक्स

    मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए शुक्रिया अरुणजी

    जवाब देंहटाएं
  17. बहुत सुन्दर लिंक्स संजोये हैं ……………बढिया चर्चा

    जवाब देंहटाएं
  18. बहुत बढ़िया लिंक्स संजोये हैं अरुण...
    हमारी रचना को स्थान देने का शुक्रिया
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  19. नमस्कार अरुण जी , मयंक जी ..........कई पोस्ट पढ़ी बहुत अच्छी रचनाये
    मेरी रचना को स्थान देने हेतु हेतु आभार .............

    जवाब देंहटाएं
  20. बहुत ही सामयिक और बढ़िया लिंक्स संजोये हैं अरुण जी ! मेरी कविता को स्थान देने के लिए ह्रदय से आभार और उन सभी सुधि पाठकों के प्रति मैं कृतज्ञ हूँ जिन्होंने मेरी वेदना को साझा किया।
    फिर से आभार।

    जवाब देंहटाएं
  21. एक से बढ़िया एक लिंक्स
    चर्चा-मंच को सार्थक करते हुये
    सुंदर संग्रह
    अरुण जी का शानदार संयोजन
    सभी रचनाकारों को बधाई
    मुझे सम्मलित करने का आभार

    जवाब देंहटाएं
  22. बेहतरीन लिंक्स संयोजन .....
    मेरी रचना को शामिल करने हेतु डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक सर को आभार !
    सादर!

    जवाब देंहटाएं
  23. अरुन जी, देरी के लिए माफ़ी..सुंदर चर्चा, आभार !

    जवाब देंहटाएं
  24. बहुत ही सार्थक लिंक्स का संयोजन रोचक ढंग से किया है आपने।
    मेरी भी रचना को गति देने के लिए आपका हार्दिक आभार।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  25. सुंदर चर्चा में शामिल करने के लिये आभार !

    जवाब देंहटाएं
  26. आप सभी का हार्दिक आभार अनेक अनेक धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं
  27. शुक्रिया मेरे ब्लॉग को जगह देने के लिए... :-)

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।