आज की चर्चा में आप सबका हार्दिक स्वागत है
हमारा समाज चौराहे पर खड़ा है , वह आधुनिकता का दम भरता है, लेकिन पुरातन विचार उस पर हावी हैं । पश्चिम उसे खींचता है , लेकिन पूर्व उससे छूटता नहीं । यही दुविधा शायद परिणाम हो सकती है आरुषि हत्याकांड की ( अगर आरोप सच हुए तो ) । आधुनिक जीवन शैली, खुले रोमांस से भरी फ़िल्में, नाटक उन लोगों को उतेजित जरूर करते होंगे जिनके समाज में ( निम्न मध्यवर्ग और निम्न वर्ग ) यह आजादी नहीं और परिणाम निकलता है बलात्कार। हो सकता है मेरी बात से आप सहमत न हों क्योंकि यह कोई निश्चित सिद्धांत नहीं , लेकिन बलात्कार और मर्डर हमें सोचने के लिए विवश जरूर करते हैं ।
चलते हैं चर्चा की ओर
आज की चर्चा में बस इतना ही
धन्यवाद
दिलबाग विर्क
आगे देखिए..."मयंक का कोना"
(1)
हमारी जिंदगी में भी, कई बे-नाम रिश्ते हैं......
जिन्हें हम इतनी शिद्दत से न जाने क्यूँ निभाते हैं
तुम्हारी हर दगाबाज़ी हमें जी भर रुलाती है
सबेरा जब भी होता है तो हम सब भूल जाते हैं
यहाँ ये कैसी दुनिया है जिसे आभासी कहते हैं
अगर पत्थर वो झूठे हैं, क्यूँ सच्चे चोट खाते हैं...
(2)
जन्मा था अध्यात्म जहाँ,वहां भौतिकवाद का राज है।
अब तो बेमतलब का लगता,जगत गुरु का ताज है..
(3)
शर्मिंदा हूं क्योंकि " मैं दिल्ली हूं " ...
आधा सच...
(4)
हाइकु [ किसान ]
गुज़ारिश
(5)
अर्थी साथ उठेगी
आगे देखिए..."मयंक का कोना"
(1)
हमारी जिंदगी में भी, कई बे-नाम रिश्ते हैं......
जिन्हें हम इतनी शिद्दत से न जाने क्यूँ निभाते हैं
तुम्हारी हर दगाबाज़ी हमें जी भर रुलाती है
सबेरा जब भी होता है तो हम सब भूल जाते हैं
यहाँ ये कैसी दुनिया है जिसे आभासी कहते हैं
अगर पत्थर वो झूठे हैं, क्यूँ सच्चे चोट खाते हैं...
(2)
जन्मा था अध्यात्म जहाँ,वहां भौतिकवाद का राज है।
अब तो बेमतलब का लगता,जगत गुरु का ताज है..
(3)
शर्मिंदा हूं क्योंकि " मैं दिल्ली हूं " ...
आधा सच...
(4)
हाइकु [ किसान ]
गुज़ारिश
(5)
अर्थी साथ उठेगी
अभी समय है सोच समझ लो , बहाने बाज़ी नहीं चलेगी
बदलते मौसम की नब्ज़ देखो , अब हवा सुहानी नहीं चलेगी...
Zindagi se muthbhed
(6)
मुझे चाय बहुत भाती है ... हर रंग में हर रूप में कभी यूँ ही काली कडवी से कभी उस काली चाय में नीम्बू, कभी बर्फ , कभी दूध डाली चाय तो कभी उसमे ढेर सारे मसाले चाय हर रंग में रूप में मुझे बहुत भाती है कि...
(7)
अनुबंध है यह प्रेम का .......शाश्वत
sapne पर shashi purwar
(7)
अनुबंध है यह प्रेम का .......शाश्वत
sapne पर shashi purwar
भाई दिलबाग विर्क जी! चर्चा मंच चौराहे पर खड़ा हमारा समाज ( चर्चा - 1225 ) में आपने उपयोगी और अद्यतन लिंकों के साथ बहुत बढ़िया चर्चा की है!
जवाब देंहटाएंआभार!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बढ़िया लिनक्स लिए चर्चा ...आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार चर्च,उपयोगी लिंक्स!!
जवाब देंहटाएंमेरे आलेख को सम्मलित करने का आभार!!
विस्तृत चर्चा में अच्छे लिंक्स के मध्य अपना लिखा पढना अच्छा लगा .
जवाब देंहटाएंबहुत आभार !
खूबसूरत चित्रमयी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार !
सुन्दर सूत्रों से सजी चर्चा..
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंकों से सजी चर्चा !!
जवाब देंहटाएंbahut sundar pathaniy linkon se saji charcha ... samayachakr ko sthaan dene ke liye abhaar
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुतिकरण से पूर्ण इस शानदार चयन में नजरिया की भागीदारी हेतु आभार...
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा लिंकों से सजी चर्चा .........मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स संयोजन सुन्दर प्रस्तुतिकरण हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय दिलबाग जी
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक उपलब्ध कराने के लिए धन्यवाद.....
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स से सजी रोचक चर्चा...आभार
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा लिंकों से सजी बेहतरीन चर्चा,सदर आभार.
जवाब देंहटाएंMeri Purani post ,or nayi charcha me ,kya baat hai.
जवाब देंहटाएंलाजवाब हैं सभी लिंक्स ... शुक्रिया मुझे भी शामिल करने का ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति चर्चा ....आभार
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा, अच्छी लिंक्स |
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा, प्रस्तुति ....आभार.
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