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रविवार, जून 02, 2013

मुकद्दर आजमाना चाहता है : चर्चा मंच १२६३

"जय माता दी" रु की ओर से आप सबको सादर प्रणाम. चलते हैं आप सभी के चुने हुए प्यारे लिंक्स पर.
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
पी.सी.गोदियाल "परचेत"
कविता रावत
Rajesh Kumari
उपासना सियाग
ताऊ रामपुरिया
अरुणा
लेखक : डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा ’अरुण’
प्रस्तुतकर्ता: Yashoda Agrawal
Sushila
साँसों की डोर उखड़ रही थी.......उसने चूल्हे की ओर देखा........जिसकी आँच में उंगलियाँ जला कितनी तृप्त होती रही वो......परिंडा, घड़े ....सींचती रही जिस अमृत से.... अपनों को, खुद को उस तपते रेगिस्तान में......नज़रें घूमती रहीं.......हर उस चीज़ पर जो उसकी ज़िन्दगी का बरसों से हिस्सा बनी रही
सुमन कपूर 'मीत'
Shikha Kaushik
अंत में कंप्यूटर से सम्बंधित उपयोगी जानकारियाँ
Abhimanyu Bhardwaj
Hitesh Rathi
Sanny Chauhan
इसी के साथ आप सबको शुभविदा मिलते हैं रविवार को. आप सब चर्चामंच पर गुरुजनों एवं मित्रों के साथ बने रहें. आपका दिन मंगलमय हो
आगे देखिए.."मयंक का कोना"
(1)
धोनी पर क्यों खामोश है मीडिया ?

देश में एक बार फिर मीडिया का गैरजिम्मेदाराना रवैया देखने को मिला। आप सबको पता है कि आईपीएल 6 में क्या नहीं हुआ ? सट्टेबाजी हुई, स्पाँट फिक्सिंग हुई, खेल को प्रभावित करने के लिए लड़कियों की सप्लाई हुई, देश के करोंडो खेल प्रेमियों के आंख में धूल झोंका गया। इतने गंभीर अपराधों का खुलासा होने के बाद तो इसके जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें जेल भेजने की बात होनी चाहिए थी। लेकिन देश का अपरिपक्व मीडिया श्रीनिवासन के इस्तीफे के लिए गिड़गिड़ाता रहा...
TV स्टेशन ...पर महेन्द्र श्रीवास्तव 

(2)
मधु सिंह : ज़लील -सी गाली
बे-नकाब होने को है
   मेरा फोटो   
     सज़ा   बे- वफ़ाई   की   आता  होने  को  है
     शौके  -  फ़ितरत   की   कज़ा   होने  को है...
(3)
लघुकथा

 बेटा आस्ट्रेलिया से वापस आ रहा है ,बुढ़ापे में उनको सहारा मिलेगा --माँ -बाप की खुशी का ठिकाना नहीं । बाप ने ऊपर की मंजिल के कमरे बाथरूम आधुनिक उपकरणों से सजा दिये ताकि बहू बेटे शान से रहें । पोती करीब चार माह की थी ,उसकी परवरिश के लिए एक आया का भी इंतजाम हो गया । बेटा आया ,माँ बाप ने उसे कलेजे से लगा लिया...
तूलिकासदन पर सुधाकल्प

(4)
शतरंज
खिलाड़ी समय और अवसर देखकर बिछा देते हैं बिसात सजा देते हैं मोहरे फूँक देते हैं प्राण बांट देते हैं अधिकार और चलने लगते हैं अपनी-अपनी चालें...
बेचैन आत्मा पर देवेन्द्र पाण्डेय

(5)
'शादी करके फंस गया यार ,...
अच्छा खासा था कुंवारा .''

! कौशल !परShalini Kaushik
(6)
मगर ये हो न सका ...
कभी ख़्वाब सजाया था कि, तेरे जुल्फों में फुल गुलाब का लगायेंगे मगर ये हो न सका ... सपने बुने थे कि, तेरे लिए चाँद -सितारे जमी में लायेंगे मगर ये हो न सका ...
हृदयगाथा : मन की बातें ...

(7)
"बड़ा होने से डरता हूँ"

बड़ों की देख कर हालत, बड़ा होने से डरता हूँ
मैं इस खुदगर्ज़ दुनिया में, खड़ा होने से डरता हूँ...

16 टिप्‍पणियां:

  1. अरुण भाई
    शुभ प्रभात
    सच में काफी मेहनत करते हैं आप
    आज का दिन सार्थक कर दिया आपने
    प्यारे लिंक्स प्रस्तुत कर
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. रविवार की चर्चा बाँचकर आनन्द आ गया अरुण जी!
    आज तो पूरे दिन पढ़ने के लिए बहुत सामग्री है।
    वैसे भी छुट्टी का दिन ही है रविवार।
    आपने बहुत परिश्रम किया है चर्चा को लगाने में...!
    आभार...!

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर मंच को सजाया अरुण... ढेर साऱे लिंक् और वो भी विभिन्नता लिए हुए।
    आद. शास्त्री जी, आपके कोने में मैं भी जगह पा गया, आभार

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही सुन्दर लिंक हे ! और मेरी पोस्ट को जगह देने के लिए आपका तय दिल से धन्यवाद !
    मेरी नयी पोस्ट

    क्या आपका फेसबुक अकाउंट किसी ने खोला है ? अब आप इसका पता लगा सकते हे मोबाइल और ईमेल के जरिये से .......

    जवाब देंहटाएं
  5. सभी रचनाएँ व लिंक अच्छी लगीं । मेरी लघुकथा को स्थान देने ले लिए धन्यवाद ।
    सुधा भार्गव

    जवाब देंहटाएं
  6. सभी रचनायें एक से बढ़कर एक हैं अरूण जी.... बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  7. वाह बहुत ही सुंदर चर्चा, बढिया लिंक्स.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत बढ़िया links अरुण
    शुभाशीष
    गुरु जी प्रणाम आप तो लाजवाब हैं ही

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने के लिए आभर.

    जवाब देंहटाएं
  10. प्रिय अरुन कल बहुत व्यस्त थी चर्चा मंच नहीं देख पाई आज अपना ब्लॉग देखा तो आपका मेसेज देखा मेरी रचना को शामिल करने का ह्रदय तल से शुक्रिया तथा इतने सुन्दर सूत्रों से चर्चा मंच सजाने की हार्दिक बधाई

    जवाब देंहटाएं

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