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रविवार, अगस्त 03, 2014

"ये कैसी हवा है" :चर्चा मंच :चर्चा अंक:1694

इमारतें खंडहर हुई जाती हैं
मुस्कानें जहर हुई जाती हैं
ये कैसी हवा है मेरे चमन की
हर सहर कहर हुई जाती हैं
बदल दो इस तालाब का पानी
मछलियां मगर हुई जाती हैं
द्रौपदी लुटती है आज बाजारों में
अंधी कृष्ण की नज़र हुई जाती है
पत्थरों के इस शहर में
मेरी आवाज बेअसर हुई जाती है 
(साभार : अनिता श्रीवास्तव)
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नमस्कार !
रविवारीय चर्चा मंच में आपका स्वागत है.
एक नज़र आज की चर्चा में प्रस्तुत लिंकों पर.....
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विभा रानी श्रीवास्तव 

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हिमकर श्याम 

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यशवंत 'यश'

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उपासना सियाग 
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सुषमा 'आहुति'

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गौतम राजरिशी
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मन के - मनके 

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अर्चना चावजी
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राकेश कुमार श्रीवास्तव 

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हर लेता हर कंटक पथ का
अनिता 


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अन्तहीन है ज्ञानस्रोत
प्रवीण पाण्डेय
praveenpandeypp@gmail.com

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रंगत , अंडमान का सुंदर कस्बा
मनु प्रकाश त्यागी 
rangat jetty office

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अनोखी दवा – The Wonderful Medicine
निशांत मिश्रा 
grandmother

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खुशी के चार रंग............यशोदा
यशोदा अग्रवाल 



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धन्यवाद !

10 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    उम्दा सूत्र और उनका संयोजन |

    जवाब देंहटाएं
  2. अच्छे लिंकों के साथ पठनीय चर्चा।
    आपका आभार आदरणीय राजीव कुमार झा जी।

    जवाब देंहटाएं
  3. बढ़िया प्रेरक रचनाएँ,'बदल दो इस तालाब का पानी जिसके पानी में मछलिया मगर हुई जाती हैं.'

    जवाब देंहटाएं
  4. शुभ प्रभात भाई राजीव जी

    अच्छी रचनाएँ जोड़ी है आज आपने

    आभार

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. बढ़िया लिंक्स व बेहतर प्रस्तुति , आ. राजीव भाई , शास्त्री जी व मंच को धन्यवाद !
    Information and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )

    जवाब देंहटाएं
  6. पठनीय सूत्र राजीव जी, बधाई इस सुंदर चर्चा के लिए, आभार !

    जवाब देंहटाएं
  7. राजीव जी, नमस्कार। सुंदर और सार्थक लिंकों के चयन के साथ बेहतरीन चर्चा. मेरी रचना शामिल करने के लिए आपका आभार.

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...आभार!

    जवाब देंहटाएं

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