सुन्दर एहसासात की दुनिया पिरो दी हवा हुए वो दिन ये गैजेट्स का दौर है।
पीले पन्नों वाली डायरी...
अब उन पीले पड़े पन्नो से उस गुलाब की खुशबू नहीं आती जिसे किसी खास दो पन्नो के बीच दबा दिया करते थे जो छोड़ जाता था अपनी छाप शब्दों पर और खुद सूख कर और भी निखर जाता था । अब एहसास भी नहीं उपजते उन सीले पन्नो से जो अकड़ जाते थे खारे पानी को पीकर और गुपचुप अपनी बात कह दिया करते थे। भीग कर लुप्त हुए शब्द भी, अब कहाँ कहते हैं अपनी कहानी फैली स्याही के धब्बे अब दिखाई भी नहीं देते जिल्द पर भी नहीं बनते अब बेल बूटे जो रंगे जाते थे बार बार गुलाबी रंग से. कलम अब उँगलियों में नहीं बलखाती, हाँ अब डायरी लिखी जो नहीं जाती ।
अति सुन्दर प्रस्तुति कृष्ण ही इस सृष्टि का कारण हैं वह उपादान और नैमित्तिक कारण एक साथ हैं मटीरियल काज़ भी हैं एफिशिएंट (या स्पिरिचुअल काज़ )भी हैं .वह परे से भी परे हैं परब्रह्म हैं ,कारणों के कारण हैं स्वयं जिनका कोई कारण नहीं हैं .वह सृष्टि भी हैं सृष्टा भी हैं और वह पदार्थ भी हैं जो सृष्टि के निर्माण में प्रयुक्त हुआ .सृष्टि उन्हीं से उद्भूत होती है उन्हें में लीं भी हो जाती है .ही इज़ ए कॉज़लेस मर्सी .
कृष्ण चेतना कृष्ण भावनामृत ही जीवन का सार और अंतिम हासिल है उनके कमल पादों (पाद कमलों में .लोटस फ़ीट में )में समर्पण ही वैकुण्ठ की सीट पक्की करता है जहां फिर परान्तकाल है अंतिम मृत्यु है जिसके बाद फिर और कोई मृत्यु नहीं है कृष्ण का सान्निध्य है बस . माखनचोर का जन्मदिन
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शुभ प्रभात रविकर भैय्या
जवाब देंहटाएंआप जितने अच्छे हैं
आप की पसंदीदा रचनाएं भी उतनी ही अच्छी है
सादर
सुंदर मनमोहक चर्चा रविकर जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...आभार!
जवाब देंहटाएंविषद चर्चा बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति व सूत्र , आ. रविकर सर , शास्त्री जी व मंच को धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
्मेरी भी रचना को शामिल करने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसादर
-आनन्द.पाठक-
09413395592
वाह आज तो कार्टून का शीर्षक ही चर्चा का भी शीर्षक बना है. आभार जी.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा
जवाब देंहटाएंकरना हो तो कीजिए, ऐसा शब्द निवेश।
जवाब देंहटाएंरोचकता के साथ में, हो जिसमें सन्देश।८।
पथ हमको दिखला गये, तुलसी-सूर-कबीर।
लोग काव्य के पाँव में, बाँध रहे जंजीर।६।
सुन्दर दोहावली शाश्त्री जी की।
मुरलीधर मथुराधिपति माधव मदनकिशोर.
मेरे मन मन्दिर बसो मोहन माखनचोर.
कृष्ण जन्माष्टमी पर हार्दिक बधाइयाँ !!
हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की ,
ब्रज में आनंद भयो जय कन्हैया लाल की ,हाथी घोड़ा पालकी।
सुन्दर एहसासात की दुनिया पिरो दी हवा हुए वो दिन ये गैजेट्स का दौर है।
जवाब देंहटाएंपीले पन्नों वाली डायरी...
अब उन पीले पड़े पन्नो से
उस गुलाब की खुशबू नहीं आती
जिसे किसी खास दो पन्नो के बीच
दबा दिया करते थे
जो छोड़ जाता था
अपनी छाप शब्दों पर
और खुद सूख कर
और भी निखर जाता था ।
अब एहसास भी नहीं उपजते
उन सीले पन्नो से
जो अकड़ जाते थे
खारे पानी को पीकर
और गुपचुप अपनी बात
कह दिया करते थे।
भीग कर लुप्त हुए शब्द भी,
अब कहाँ कहते हैं अपनी कहानी
फैली स्याही के धब्बे
अब दिखाई भी नहीं देते
जिल्द पर भी नहीं बनते
अब बेल बूटे
जो रंगे जाते थे बार बार
गुलाबी रंग से.
कलम अब उँगलियों में नहीं बलखाती,
हाँ अब डायरी लिखी जो नहीं जाती ।
अति सुन्दर प्रस्तुति कृष्ण ही इस सृष्टि का कारण हैं वह उपादान और नैमित्तिक कारण एक साथ हैं मटीरियल काज़ भी हैं एफिशिएंट (या स्पिरिचुअल काज़ )भी हैं .वह परे से भी परे हैं परब्रह्म हैं ,कारणों के कारण हैं स्वयं जिनका कोई कारण नहीं हैं .वह सृष्टि भी हैं सृष्टा भी हैं और वह पदार्थ भी हैं जो सृष्टि के निर्माण में प्रयुक्त हुआ .सृष्टि उन्हीं से उद्भूत होती है उन्हें में लीं भी हो जाती है .ही इज़ ए कॉज़लेस मर्सी .
जवाब देंहटाएंकृष्ण चेतना कृष्ण भावनामृत ही जीवन का सार और अंतिम हासिल है उनके कमल पादों (पाद कमलों में .लोटस फ़ीट में )में समर्पण ही वैकुण्ठ की सीट पक्की करता है जहां फिर परान्तकाल है अंतिम मृत्यु है जिसके बाद फिर और कोई मृत्यु नहीं है कृष्ण का सान्निध्य है बस .
माखनचोर का जन्मदिन
Akanksha Yadav
बाल-दुनिया