मित्रों।
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसंद के कुछ लिंक।
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"गणेश वन्दना"
गणेश चतुर्थी की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
मेरी जीवन संगिनी
श्रीमती अमर भारती के स्वर में!
मेरी लिखी हुई यह गणेश वन्दना सुनिए
और आप भी साथ-साथ गाइए!
विघ्न विनाशक-सिद्धि विनायक।
कृपा करो हे गणपति नायक!!
सबसे पहले तुमको ध्याता,
चरणयुगल में शीश नवाता,
आदि देव जय-जय गणनायक।
कृपा करो हे गणपति नायक!!
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गज़ल-कुञ्ज
(3)
कंटाल
(4)
झरबेरी-गुलाब
(ख)
रहे गुलाब दुखी हो बोल !
(3)
कंटाल
(4)
झरबेरी-गुलाब
(ख)
रहे गुलाब दुखी हो बोल !
रहे गुलाब दुखी हो बोल !
"ऐ झरबेरी धीरे डोल !!
"तू तो अपनी मौज में है-
घायल मेरे अधर कपोल !!
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झरीं नीम की पत्तियाँ
(दोहा-गीतों पर एक काव्य)
(5)
समाज-चर्चा
(घ)
कितनी गहरी ‘खाइयाँ’ !
(दोहा-गीतों पर एक काव्य)
(5)
समाज-चर्चा
(घ)
कितनी गहरी ‘खाइयाँ’ !
लोभ ‘कुर्सियों का’ तथा, डिगा हुआ ‘ईमान’ |
इन दोनों के ‘मेल’ से, दुखी सभी ‘इंसान’
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पारसा बना डाला !
ख़ाक ले कर ख़ुदा बना डाला
ज़ौक़े-इंसां ! ये क्या बना डाला...
साझा आसमान पर
Suresh Swapnil
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कर्म योग की दीक्षा देती है कबीर की ये साखी :
डॉ. वागीश मेहता डी.लिट.
१२१८ /४ अर्बन इस्टेट ,गुडगाँव
(हरियाण) भारत
आपका ब्लॉग पर
Virendra Kumar Sharma
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टूटे हुए आईनों की हकीकत को बताया जाए
क्यों न हर शाख पे फूल
मोहब्बत का खिलाया जाए
सिलसिला जिंदगी का
कुछ इस तरहा चलाया जाए ...
मधु सिंह : बेनक़ाब पर
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एक कविता की व्यथा
स्वराज सिंह
हे श्रोताओ ! मैं कविता बोल रही हूँ
आज मैं तुमसे अपनी व्यथा खोल रही हूँ
पहले मुझे विभिन्न छन्दों में रचा जाता था
हर कवि काव्यशास्त्र का ज्ञाता था
आरोह-अवरोह का मुझसे ही तो नाता था
भाषा-विज्ञान का पूरा ध्यान रखा जाता था
आज के तथाकथित कवियों ने ऐसा किया हैं
जिससे मेरा जीवन दुश्वार हुआ है
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"मन प्रदूषण"
मेरे मन
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"मन प्रदूषण"
मेरे मन
के ग्लेशियर
से निकलने
वाली गंगा
तेरे प्रदूषण
को
घटते बढ़ते
हर पल
हर क्षण
महसूस किया
है मैंने...
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से निकलने
वाली गंगा
तेरे प्रदूषण
को
घटते बढ़ते
हर पल
हर क्षण
महसूस किया
है मैंने...
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होते होते नहीं
मजा तो है होने के बाद
कुछ देर में
कुछ कुछ कहने का
उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी
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सुंदर गणेश वंदनाओं से भरी आज की सुंदर चर्चा । 'उलूक' के सूत्र 'मन प्रदूषण' और 'होते होते नहीं मजा तो है होने के बाद कुछ देर में कुछ कुछ कहने का' को स्थान देने के लिये शास्त्री जी का आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गणपति वंदना के साथ बढ़िया चर्चा प्रस्तुत
जवाब देंहटाएंजय श्रीगणेश!
आभार!
sundar
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सूत्र आज की चर्चा में ! मेरी गणपति वन्दना को आज के मंच पर स्थान दिया हृदय से आपका धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! जय श्रीगणेश !
जवाब देंहटाएंएक सम सामाजिक संयोजन !
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा ..गणेश चतुर्थी कि शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबढ़िया सूत्र
जवाब देंहटाएंअद्भुत संयोजन ... सुश्री भावना लालवानी, सुश्री साधना वैद, भाई ग़ाफ़िल आदि की रचनाएं, सभी कार्टून बहुत अच्छे हैं। बधाई।
जवाब देंहटाएंसुन्दर गणेश वन्दनाओं की चर्चा में और भी कई रंग अच्छे है .बहुत बढियाँ
जवाब देंहटाएंमुझे शामिल करने के लिए धन्यवाद् !! अच्छे लिनक्स
जवाब देंहटाएंशुक्रिया हमारा सेतु शरीक करने के लिए सुन्दर समायोजन सभी सेतुओं का आपने किया है।
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