माँ छेड़ो अब तो वीत राग,
मैं गाऊँगा अब गीत नया।
सुलगाओ कोई नयी आग,
मैं पाऊँगा संगीत नया।
टूटी सी पतवार निशानी मेरी है,
दरिया की मानिन्द जवानी मेरी है,
बारिश में खेलूँ नया फाग,
मैं गाऊँगा अब गीत नया।
HARSHVARDHAN
|
प्रमोद ताम्बट
|
Anita
|
noreply@blogger.com (विष्णु बैरागी)
|
बतकुचनी
|
yashoda agrawal
|
PAWAN VIJAY
|
Satish Saxena
|
siddheshwar singh
|
Virendra Kumar Sharma
|
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्र संयोजन |
सुबह-सुबह--सुबह और सुम्दर हो गई.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
सुंदर सूत्र संयोजन सुंदर चर्चा ।
जवाब देंहटाएंवाह...रंग बिरंगी चर्चा.. आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर चर्चा प्रस्तुति,आभार आपका।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार रविकर जी।
--
सभी लिंकों पर कमेंट दे् आया हूँ।
बेहद सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएं