यह बात नहीं कि मैं जीवन से ऊब गया हूँ
बात यह है कि मैं जीवन में इतना डूब गया हूँ
कि मौत मुझे सतह पर नहीं पा सकती ।
हाँ, उसे मिल सकते हैं
मेरी उखड़ी हुई साँसों के बुलबुले
जो हैं इतने ज़्यादा चुलबुले
कि इन गहराइयों में भी
मुझसे लड़कर
भँवरों में पड़कर
जा ही धमकते हैं सीने पर सतह के
निःसन्देह मौत उन्हें पा सकती है
पर मुझे वह सतह पर नहीं पा सकती ।
-राजेन्द्र कुमार-
-राजेन्द्र कुमार-
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राजीव कुमार झा
तकनीक कितनी जल्दी बदल जाते हैं,और कितनी जल्दी हम नई तकनीक से सामंजस्य बिठा लेते हैं,इसका आभास हम सब को अक्सर होता रहा है.कई पुरानी तकनीकों पर विचार करते हैं तो पाते हैं कि इसका हमारी जिंदगी में कितना अहम् स्थान था.
ऑडियो कैसेट ने संगीत को कितना सुगम बनाया था.कितनी ही ग़ज़लें और फ़नकारों को हम सब ने इसी कैसेट के माध्यम से सुना था.राज कुमार रिजवी-इन्द्राणी रिजवी,राजेंद्र मेहता-नीना मेहता,जगजीत सिंह-चित्रा सिंह,भूपेन्द्र-मिताली मुखर्जी,अहमद हुसैन-मोहम्मद हुसैन,पीनाज मसानी,चन्दन दास,सतीश बब्बर जैसे गजल नवीसों को पहली मर्तबा इन्हीं कैसेटों के माध्यम से तो सुना था.धीरे-धीरे .......
याद आये बहुत ,गुम शिकायत हुई
एक पल में हजारों , सदी जी लिया -
कहने को तो दिलवर से बातें बहुत थीं
दिलवर की सुनीं अपने लब सी लिया -
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राकेश कुमार श्रीवास्तव
तेरी मेरी चाहत का
मेल नहीं हो सकता है,
तुम्हें चाहिए चाँद-सितारे,
मुझे रोटी में ही सुख दिखता है।
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अशोक पाण्डेय
घर में बैठा रहता हूँ मैं, न उदास, न ख़ुश,
न पूरा मैं, न दूसरा कोई.
बिखरे हुए अखबार.
फूलदान के ग़ुलाब मुझे याद नहीं दिलाते
किसने तोड़ा था उन्हें मेरे लिए.
आज स्मृति से छुट्टी है,
हर किसी चीज़ से छुट्टी ...
आज इतवार है.
सुरेश स्वप्निल
तेरे शहर में कौन मिरा ख़ैर-ख़्वाह है
हर शख़्स यहां मेरी तरह ही तबाह है
रंगीनियों से ख़ास हमें वास्ता नहीं
बस चंद हसीनों से महज़ रस्मो-राह है
इक तू है, जिसे ख़ाक हमारी ख़बर नहीं
वरना मिरी नज़र का ज़माना गवाह है
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अनीता जी
परमात्मा की कृपा अहैतुकी है, वे कृपा स्वरूप ही हैं बस ग्रहण करने वाला मन होना चाहिए. साधक के जीवन में जब तप होता है तब ऐसा मन तैयार होता है. अक्रोध भी एक तप है और अमानी होना भी. वह कृपा आकाश की तरह व सुगंध की तरह हमारे चारों ओर है, हमें चाहिए कि चकोर या भ्रमर बनें और उसे ग्रहण करें. गुरू तो ज्ञान का अमृत बरसा रहे हैं, हमें अपना बर्तन खाली करना है.
भाग - ९ की पोस्ट पे आप सबका हार्दिक स्वागत है
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
नीर पी बरसात का,
अमरूद गदराने लगे।
"रूप" पर अभिमान कर,
डण्ठल पे इतराने लगे।।
डालियों पर एक से हैं,
रंग में और रूप में।
खिल रहे इनके मुखौटे,
गन्दुमी सी धूप में।।
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अनुराग अनन्त
कांटो की कोख से पत्तियां चुरा कर खाने की कला
सिर्फ और सिर्फ बकरियों के पास ही है
इसीलिए काँटों के इस जंगल में वो जिन्दा हैं
तबतक, जबतक किसी को भूख न लगे
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काजल कुमार
जहांगीर ने किले के दरवाज़े पर एक घंटा टंगवा दिया था. जिस किसी को फ़रियाद करनी हो तो वह घंटा बजा सकता था. एक दिन, एक ग़रीब आदमी घंटा बजाने पहुंचा तो उसे वकील ने रोक लिया –‘तुम्हें न अरबी आती है न फ़ारसी, सुल्तान से अपनी बात कहोगे कैसे.’ ग़रीब उसके पीछे हो लिया -‘ठीक है माई-बाप, तो आप ही मेरा मामला ठीक करवा दो.’
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ज्योति खरे
सांप के कान नहीं होते
हम बेमतलब
जिरह की बीन
क्यों बजाने पर तुले हैं
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किरण आर्या
बीते समय की है बातें
भूले बिसरे से है फ़साने
ख़ुशी और गम होते थे
साझा से
सांझी होती थी छत
एक रसोई की खुशबू से
महकता था
दूजे घर का आँगन
पडोसी की ख़ुशी से
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ड़ॉ नूतन डिमरी
हम कभी अपनी चाहना से आजाद होंगे
हम सदा कुछ न कुछ चाहते रहेंगे
कि करते रहें हम कोई न कोई काज
भूख रोटी अलग बात
कमला सिंह
तुम
बस तुम हो
मेरी क़लम में
मेरे एहसास में
मेरी जुस्तजू में
मेरी आरजू़ में
मेरे एक एक शब्द में
मेरी एक एक पंक्ति में
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रेखा श्रीवास्तव
लिखना तो बहुत कुछ चाहती हूँ लेकिन समय हर जगह देर करवा देता है। ये चरित्र जो मेरे जीवन में बस स्टॉप से जुड़े बहुत महत्वपूर्ण और नारी संघर्ष की एक बानगी है।
आमिर दुबई
डियर रीडर्स , जैसा की मैंने पिछली पोस्ट में बताया था की आजकल ज्यादातर लोग एंड्रॉयड मोबाइल फोन यूज करना पसंद करते हैं। एंड्रॉयड एप्प्स की कुछ डाऊनलोड वेबसाइट ……।
बहुत सुंदर प्रस्तुति सुंदर चर्चा ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा ! राजेंद्र जी.
जवाब देंहटाएंमेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.
बहुत सुंदर संकलन.
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा-
जवाब देंहटाएंआभार भाई जी
बढ़िया प्रस्तुति , राजेंद्र जी मेरे पोस्ट को मान व स्थान देने का बहुत शुक्रिया , आ. शास्त्री जी व मंच को धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंI.A.S.I.H - ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
राजेन्द्र जी, विविध विषयों से परिचय कराते सार्थक लिंक्स के लिए आभार...
जवाब देंहटाएंरंग बिरंगी सूत्रों का सुन्दर प्रस्तुति ,अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंचर्चा में शामिल सभी लिंक्स उपयोगी है। सामाजिक लेख और कविता से लेकर तकनीकी आलेखों को संकलित करके प्रस्तुत करने के लिए और हम तक पहुँचाने के लिए बहुत बहुत आभार। मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय राजेन्द्र कुमार जी।
सार्थक रचनाओं से सजे - बहुत सुन्दर सूत्र संजोय हैं---
जवाब देंहटाएंराजेन्द्र भाई जी
सुन्दर संयोजन के लिए साधुवाद ---
मुझे सम्मलित करने का आभार
सादर ----