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"ॐ नमः शिवाय"
प्रिय ब्लॉगर मित्रों ,
चर्चामंच के इस अंक में मै आप सबका
बहुत जल्दी में स्वागत करता हूँ ,
बहुत जल्दी मैंने इसलिए कहा -#.$#--
खैर छोडिये वजह जानकार क्या होगा - लेकिन अब ?
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"ॐ नमः शिवाय"
प्रिय ब्लॉगर मित्रों ,
चर्चामंच के इस अंक में मै आप सबका
बहुत जल्दी में स्वागत करता हूँ ,
बहुत जल्दी मैंने इसलिए कहा -#.$#--
खैर छोडिये वजह जानकार क्या होगा - लेकिन अब ?
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- बढ़ते हैं लिंक्स की ओर -
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तुम्हारा एक नाम रखूं ?
एक नाम रखूं ?
क्या नाम रखूं
तुम्हारा !
प्रेम !
नहीं तुम्हारा नाम प्रेम नहीं !
वो प्रेम ही क्या
जो छुपाया जाये।
तुम्हारा
एक नाम रखूं ?
क्या नाम रखूं
तुम्हारा !
प्रेम !
नहीं तुम्हारा नाम प्रेम नहीं !
वो प्रेम ही क्या
जो छुपाया जाये।
तुम्हारा
- नयी उड़ान -
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आईने के पीछे भी होता है बहुत कुछ
सामने वाले जिसे नहीं देख पाते हैं
कहा जाता रहा है आज से नहीं कई सदियों से सोच उतर आती है शक्ल में दिल की बातें तैरने लगती हैं आँखों के पानी में हाव भाव चलने बोलने से पता चल जाता है किसी के भी ठिकाने का अता पता बशर्ते जो बोला या कहा जा रहा हो
- उलूक टाइम्स -
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कुछ रिश्ते !!!!
आईने के पीछे भी होता है बहुत कुछ
सामने वाले जिसे नहीं देख पाते हैं
कहा जाता रहा है आज से नहीं कई सदियों से सोच उतर आती है शक्ल में दिल की बातें तैरने लगती हैं आँखों के पानी में हाव भाव चलने बोलने से पता चल जाता है किसी के भी ठिकाने का अता पता बशर्ते जो बोला या कहा जा रहा हो
- उलूक टाइम्स -
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कुछ रिश्ते !!!!
कुछ रिश्ते
सच्चे होते हैं इतने कि
झूठ और फ़रेब
खुद छलनी हो जाते हैं
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कैरियर एकदम सेट है।
रामबुधन जी के तीन बच्चे हुआ करते थे। वैसे हैं तो अब भी, मगर नहीं के बराबर। अब वो क्यों नहीं के बराबर हैं, ये जानते हैं : बात उस समय की जब रामबुधन जी का बड़ा बेटा 14 साल का, मझला बेटा 12 और छोटा क़रीब 9 साल का था। ये उम्र ऐसी है
- हालात-ए-बयाँ/Halat-E-Bayaan -
कैरियर एकदम सेट है।
रामबुधन जी के तीन बच्चे हुआ करते थे। वैसे हैं तो अब भी, मगर नहीं के बराबर। अब वो क्यों नहीं के बराबर हैं, ये जानते हैं : बात उस समय की जब रामबुधन जी का बड़ा बेटा 14 साल का, मझला बेटा 12 और छोटा क़रीब 9 साल का था। ये उम्र ऐसी है
- हालात-ए-बयाँ/Halat-E-Bayaan -
झूठ से ही परिभाषित करते हैं
‘स्वयं’ को जब हम
तब छले जाते हैं बार-बार
“जो है” जब उस पर नजर नहीं जाती
‘जो होना चाहते हैं’ की चाह में जले जाते हैं
“जो है” शुभ है, सुंदर है, सत्य है
- मन पाए विश्राम जहाँ -
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मन करता है
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मेरा भी रोने को ,
मेरा भी सोने को ,
मन करता है ,
पर हर कंधे ,
गीले होते है ,
धन्यवाद !
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इसके बाद देखिए मेरी पसंद के कुछ लिंक
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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इसके बाद देखिए मेरी पसंद के कुछ लिंक
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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खामोश भावनाओं की उपज
संभावनाओ की प्रत्याशा में,
जब ऊम्मीद की किरण
अपनी रश्मि बिखेरती है
और जब
फैला देती है समूचे परिवेश में
अपनी आभा की प्रतिच्छाया
जिसकी मद्धिम सी रोशनी में
दिख जाता है तुम्हारा
वह सजीला एवं सलोना सा रूप...
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क्या कहते हैं ये सपने ?
जब भी खो जाता हूँ
मैं नींद के आगोश में
सपने आकर चले जाते हैं
एक के बाद एक कतार में...
मेरे विचार मेरी अनुभूति पर
कालीपद "प्रसाद"
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सुहाना सफर – यूरोप म्यूनिख - 2
Sudhinama पर sadhana vaid
*--------------------------------------------------------*क्यूँ? है न ?
मेरी भावनायें... पर रश्मि प्रभा...
*--------------------------------------------------------*हमारा वज़ीफ़ा...
उठाना-गिराना रईसों की बातें
ख़ुलूसो-मुहब्बत ग़रीबों की बातें
सियासत तुम्हारी महज़ क़त्लो-ग़ारत
अदब-मौसिक़ी-फ़न शरीफ़ों की बातें...
*--------------------------------------------------------*हनुमान जी के अहंकार का नाश !
Patali पर Patali-The-Village
*--------------------------------------------------------*ईरोम जी,
यदि आप भगवान को मनाती तो…!!
आपकी सहेली पर jyoti dehliwal
*--------------------------------------------------------*जबसे कोई आस पास रहता है.....
उन्होंने साहित्य में
आधुनिक भारतीय चेतना को स्थापित किया
naveen kumar naithani
*--------------------------------------------------------*दर्दों के बोझ में ..
उन्नयन पर udaya veer singh
*--------------------------------------------------------*दोस्ती करना संभल कर...
एक नवगीत
-हरे वन की चाह में
जयकृष्ण राय तुषार
*--------------------------------------------------------*कबीरा ये तन जात है ,
सके तो राखि बहोर ,
खाली हाथों वे गए ,
जिनके लाख करोड़
आपका ब्लॉग पर
Virendra Kumar Sharma
*--------------------------------------------------------*नेशनल दुनिया में मेरी बाल कविता
"उल्लू"
क्या कहते हैं ये सपने ?
जब भी खो जाता हूँ
मैं नींद के आगोश में
सपने आकर चले जाते हैं
एक के बाद एक कतार में...
मेरे विचार मेरी अनुभूति पर
कालीपद "प्रसाद"
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जोश और होश - बोधकथा
Smart Indian
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सुन्दर चर्चा प्रियवर आशीष जी।
जवाब देंहटाएं--
आपका आभार।
उम्दा सूत्र और उनका संयोजन |
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर लिंक्स |शास्त्री जी आपका शुक्रिया |
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स।
जवाब देंहटाएंमुझे शामिल किया,आभार।
सोमवारीय चर्चा की बहुत सुंदर प्रस्तुति आशीष । 'उलूक' के सूत्र 'आईने के पीछे भी होता है बहुत कुछ सामने वाले जिसे नहीं देख पाते हैं' को स्थान देने के लिये आभार ।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया, सिलसिलेवार मंच और उपस्थित लिंक्स
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी, बहुत ही सुन्दर लिंक्स। "हमारा वजीफा …" ( चर्चामंच -1716 ) में मेरी लिंक ' इरोम जी, यदि आप भगवन को मनाती तो …' शामिल करने के लिए ह्रदय से शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ....आभार!
जवाब देंहटाएंचर्चा की सुंदर प्रस्तुति व मेहनती सूत्र संकलन हेतु मैं पहले अपने आदरणीय श्री शास्त्री जी को धन्यवाद देता हूँ , क्योंकि आज की प्रस्तुति में हमारे शास्त्री जी का पूर्ण बल्कि पूर्ण सहयोग रहा है , व चर्चामंच परिवार की तरफ से आप सबको भी धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
एक से बढ़कर एक खुबसूरत लिंक्स से अवगत कराने हेतु शुक्रिया हमारे ब्लॉग पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार आपका तहे दिल से...!!!
जवाब देंहटाएंकुछ अति सराहनीय सूत्रों को संजोये सुंदर चर्चा के लिए बधाई..आभार !
जवाब देंहटाएंचर्चा खूब रही
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा है आदरणीय-
जवाब देंहटाएंआभार आपका-
सुंदर चर्चा.
जवाब देंहटाएंसभी सूत्र एक से एक बढ़ कर एक। कुछ सूत्र तो बहुत सुंदर हैं। बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंकहा जाता रहा है आज से नहीं कई सदियों से सोच उतर आती है शक्ल में दिल की बातें तैरने लगती हैं आँखों के पानी में हाव भाव चलने बोलने से पता चल जाता है किसी के भी ठिकाने का अता पता बशर्ते जो बोला या कहा जा रहा हो
- उलूक टाइम्स -
यही तो खेल है माया का लस्ट का कामेच्छा का भला अग्नि कभी घी से संतृप्त होती है।
जवाब देंहटाएंसत्यता समझ ली परछाई,
कामुकता में वह छला गया।
नही प्यास बुझी उस भँवरे की,
इस दुनिया से वह चला गया।।
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जवाब देंहटाएंनेशनल दुनिया में मेरी बाल कविता
"उल्लू"
उच्चारण
सत्यता समझ ली परछाई,
कामुकता में वह छला गया।
नही प्यास बुझी उस भँवरे की,
इस दुनिया से वह चला गया।।
विद्या का वैरी कहलाता।
ये बुद्धू का है जामाता।।
अरे भैया क्यों वाड्रा को कोसते हो मंदबुद्धि को इतनी खरी खोटी खाहे सुनाइबो
सत्य वचन महाराज