मित्रों!
हमारे सोम वार के चर्चाकार
आदरणीय आशीष भाई ने सूचित किया है
"शास्त्री जी , चरणस्पर्श कुछ घरेलू वजह के कारण कल सोमवार को चर्चा दे पाना ज़रासा मुश्किल पड़ रहा हैं , कृपया क्षमा करें ! अगली प्रस्तुति जल्द ही सोमवार को ! धन्यवाद !"
--
इसलिए सोमवार की चर्चा में
मेरी पसन्द के कुछ लिंक देखिए।
--
--
प्यार का बन्धन: रक्षाबन्धन
भूली-बिसरी यादें पर राजेंद्र कुमार
--"राखी नेह भरा उपहार"
हरियाला सावन ले आया, नेह भरा उपहार।
आया राखी का त्यौहार!
आया राखी का त्यौहार!!
यही कामना करती मन में, गूँजे घर में शहनाई,
खुद चलकर बहना के द्वारे, आये उसका भाई,
कच्चे धागों में उमड़ा है भाई-बहन का प्यार।
आया राखी का त्यौहार!
आया राखी का त्यौहार!!
आया राखी का त्यौहार!
आया राखी का त्यौहार!!
यही कामना करती मन में, गूँजे घर में शहनाई,
खुद चलकर बहना के द्वारे, आये उसका भाई,
कच्चे धागों में उमड़ा है भाई-बहन का प्यार।
आया राखी का त्यौहार!
आया राखी का त्यौहार!!
--
है बैठा सुबह से मेरी छत पे कागा
न चूड़ी न कंगन
न सिक्कों की खन खन
न गोटे की साड़ी
न पायल की छन छन
न गहना न गुरिया
न चूनर न लहँगा
न देना मुझे कोई
उपहार महँगा...
Sudhinama पर sadhana vaid
--
रक्षा बंधन
राखी नहीं है रेशम धागा,
इसमें कितना प्यार भरा है।
बचपन की मीठी यादों का
पूरा इक संसार भरा है...
इसमें कितना प्यार भरा है।
बचपन की मीठी यादों का
पूरा इक संसार भरा है...
--
--
--
--
--
चिरायु रहे भैया
रक्षाबंधन ....
राखी के इस धागे में...
भाई बहन का संबंध,
पावन है सब से,
ये संदेश है,
राखी के इस धागे में...
बहन का प्रेम,
भाई का वचन,
सावन की खुशबू है,
राखी के इस धागे में...
मन का मंथन। पर kuldeep thakur
--राखी............यशोदा
शुभ कामनाएँ
राखी की
यही एक ऐसा पर्व है
जो हफ्तों मनाया जाता है
क्योंकि...
लेन-देन
समाहित है
इस पर्व में
प्यार का...
--राखी की
यही एक ऐसा पर्व है
जो हफ्तों मनाया जाता है
क्योंकि...
लेन-देन
समाहित है
इस पर्व में
प्यार का...
पत्नी द्वारा पति को रक्षासूत्र बाँधने से
आरम्भ हुआ रक्षाबंधन का
शब्द-शिखर पर Akanksha Yadav
--रक्षाबन्धन
दर्शन कौर धनोय
--मुक्तक- राखी सन्देश
ये बंधन तो तेरी तहजीब की बेहतर निशानी है ।
बहन के मान से बढ़ कर कहाँ ये जिंदगानी है ।।
बचे ना ये दरिन्दे अब ना लटके शाख से बहना ।
ये राखी बांध तो ली है लाज इसकी बचानी है...
बहन के मान से बढ़ कर कहाँ ये जिंदगानी है ।।
बचे ना ये दरिन्दे अब ना लटके शाख से बहना ।
ये राखी बांध तो ली है लाज इसकी बचानी है...
तीखी कलम से पर
Naveen Mani Tripathi
--प्यार के दो धागे...
...ये प्यार के दो धागे
कैसे जोड़ते हैं
एक रिश्ते को
--
बड़ी ही सहजता
के साथ
संजोया है इस रिश्ते को!!
--कैसे जोड़ते हैं
एक रिश्ते को
--
बड़ी ही सहजता
के साथ
संजोया है इस रिश्ते को!!
रक्षाबंधन - दोहे-हाइकु 2014
--
--
गीत- सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
जैसे हम हैं वैसे ही रहें,
लिये हाथ एक दूसरे का
अतिशय सुख के सागर में बहें।
मुदें पलक, केवल देखें उर में,-
सुनें सब कथा परिमल-सुर में,
जो चाहें, कहें वे, कहें।
वहाँ एक दृष्टि से अशेष प्रणय
देख रहा है जग को निर्भय,
दोनों उसकी दृढ़ लहरें सहें।
Voice of Silence पर Brijesh Neeraj
--
ग़ज़ल !!
जाने कब कोई अपना हो जाता है
इक चेहरा दिल का टुकड़ा हो जाता है
कभी-कभी घर में ऐसा हो जाता है
सबका एक अलग कमरा हो जाता है...
तिश्नगी पर आशीष नैथाऩी
--
मार्क्सवादी बौद्धिक गुलाम की करतूत
(कांग्रेस महागर्त में -तीसरी किश्त )
आपका ब्लॉग पर
Virendra Kumar Sharma
--
--
सबसे अलग हो तुम ......
जानते हो क्यों
सब देखते हैं
लबों पर थिरकती हँसीं
स्वर में बोलते अट्टहास
पर तुम ....
तुम तो देख लेते हो
इन सबसे परे
मेरी आँखों में तैरती नमी .......
झरोख़ा पर निवेदिता श्रीवास्तव
--
एक पिकनिक ऐसी भी
दुर्घटनाऐं कभी सूचित करके नहीं आती हैं. टेलीवीजन पर पिछले महीने मध्यप्रदेश के बेतूल में एक दुस्साहसी बाइक-सवार अपनी बाइक सहित उफनती बरसाती नदी में देखते ही देखते बह गया. अभी एक अन्य समाचार में राजस्थान के टोंक जिले में बनास नदी से रेत निकालते समय पंद्रह मजदूर ट्रक सहित बहने वाले थे, परन्तु आसपास गाँव वालों द्वारा रस्सी के सहारे खींच कर बचा लिए गए...
जाले पर पुरुषोत्तम पाण्डेय
--
--
--
... ख़ुदा कहा जाए ?
दिल दिया जाए या लिया जाए
मश्विरा रूह से किया जाए
दर्दे-दिल है कि बस, क़यामत है
हिज्र में किस तरह सहा जाए..
मश्विरा रूह से किया जाए
दर्दे-दिल है कि बस, क़यामत है
हिज्र में किस तरह सहा जाए..
--
वे इसी ग्रह की निवासिनी थीं
...वे इसी ग्रह की निवासिनी थीं
हाँ इसी ग्रह की।
वे उतर आई सीढ़ियाँ दबे पाँव
हमने बरसों किया उनका इंतजार
कि वे सहसा प्रकट होंगी
किसी कोठरी , किसी दुछत्ती या किसी पलंग के नीचे से
सबको चौकाती हुई...
--
बस छोड़ कर बदलाव के
सब कुछ बदलता है ...
जम कर पसीना बाजुओं से जब निकलता है
मुश्किल से तब जाकर कहीं ये फूल खिलता है
ये बात सच है तुम इसे मानो के ना मानो
बस छोड़ कर बदलाव के सब कुछ बदलता है...
सुंदर लिंक्स।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ कि मेरे ब्लॉग 'कर्मनाशा' की नई पोस्ट की साझेदारी यहा इस मंच पर हो रही है।
जवाब देंहटाएंस्नेह प्यार और भरोसे के प्रतीक इस त्यौहार को सुन्दर ढंग से चर्चामंच पर सजाया है. इतर अन्य रोचक सामग्री भी पठनीय है.मेरे संस्मरण को भी आपने स्थान दिया है,ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ.
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स।
जवाब देंहटाएंमुझे शामिल करने के लिए आभार।
सुन्दर चर्चा मंच-
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंकों के साथ बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, प्यार का बन्धन: रक्षाबन्धन को शामिल करने के लिए आपका आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्र संयोजन !!
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं !!
राखी की विस्तृत चर्चा ... आभार मेरी ग़ज़ल को स्थान देने का ...
जवाब देंहटाएंबहुत विस्तृत और रोचक चर्चा...आभार...
जवाब देंहटाएंरक्षा पर्व से सुसज्जित सुन्दर चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा । 'उलूक' के सूत्र 'बचपन से चलकर यहाँ तक गिनती करते या नहीं भी करते पर पहुँच ही जाते' को स्थान देने के लिये आभार ।
जवाब देंहटाएंसार्थक सूत्रों से सजा चर्चामंच ! मेरी रचना को यहाँ स्थान मिला आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसुरत जो पोस्ट हमने जाकर पढ़ी ...धन्यवाद एक साथ सब को इक्कठा कर प्रेषित करने के लिए
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स .... रक्षा बंधन के साथ अन्य पहलुओ को भी छुआ है आपने ... इनके मध्य मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार ..
जवाब देंहटाएंआदरणीय आप के द्वारा प्रस्तुत चर्चा में लिंकों का चयन लाजवाब होता है...
जवाब देंहटाएंसादर
लाजवाब संकलन को स्नेह में भींगो दिये,अति सुन्दर
जवाब देंहटाएं