अभी
तो मैंने
रूप
भी नहीं पाया था
मेरा
आकार भी
नहीं
गढ़ा गया था
स्पन्दनहीन
मैं
महज़
मांस का एक लोथड़ा
नहीं, इतना
भी नहीं
बस, लावा
भर थी…
पर
तुमने
पहचान
लिया मुझे
आश्चर्य
!
कि
पहचानते ही तुमने
वार
किया अचूक
फूट
गया ज्वालामुखी
और
बिलबिलाता हुआ
निकल
आया लावा
थर्रा
गई धरती
स्याह
पड़ गया आसमान !
रूपहीन, आकारहीन,
अस्तित्वहीन
मैं
अभी
बस एक चिह्न भर ही तो थी
जिसे
समाप्त कर दिया तुमने !
सोचती
हूँ
कितनी
सशक्त है
मेरी
पहचान
कि
जिसे बनाने में
पूरी
उम्र लगा देते हैं लोग !
जीवन
पाने से भी पहले
मुझे
हासिल है वह पहचान
अब
आवश्यकता ही क्या है
और
अधिक जीने की !
मुझे
अफ़सोस नहीं
कि
मेरी हत्या की गई !
(साभार
: अलका सिन्हा)
---------------------
नमस्कार !
रविवारीय चर्चा मंच में आपका स्वागत है.
एक नज़र आज की चर्चा के लिंक्स पर....
---------------------------------
अनिता
-------------------------
गौतम राजरिशी
------------------------------
राजेंद्र कुमार
---------------------
वीरेन्द्र कुमार शर्मा
---------------------------
हिमकर श्याम
----------------------
राकेश कुमार श्रीवास्तव
----------------------
सुशील कुमार जोशी
-------------------------
सदा
---------------------
ओंकार केडिया
--------------------
प्रवीण पांडेय
----------------------
मनु प्रकाश त्यागी
--------------------
----------------------
प्रतिभा सक्सेना
-------------------------
सुज्ञ
--------------------
अनुषा मिश्रा
-------------------
जीवन में फिर आस जगाओ
अनुपमा त्रिपाठी
----------------------
समंदर के सीने में एक रेगिस्तान रहता था
पूजा उपाध्याय
----------------------
सुहाना सफर – यूरोप
साधना वैद
--------------------
धन्यवाद !
अनुपमा त्रिपाठी
----------------------
समंदर के सीने में एक रेगिस्तान रहता था
पूजा उपाध्याय
----------------------
सुहाना सफर – यूरोप
साधना वैद
--------------------
धन्यवाद !
बहुत सुन्दर और पठनीय सूत्रों के साथ श्रमसाध्य चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार भाई राजीव कुमार झा जी।
चर्चा मंच में मेरी रचना लेने हेतु हृदय से आभार माननीय राजीव कुमार झा जी !!
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स
जवाब देंहटाएंसुप्रभात ! विविधता लिए सुंदर सूत्र, आभार राजीव जी
जवाब देंहटाएंसुंदर संयोजन. मेरी कविता को शामिल करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंsunder links....
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति व सूत्र , आ. राजीव भाई , शास्त्री जी व मंच को धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
बढ़िया चर्चा
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को चर्चा मंच में स्थान देने के लिए आभार।।
सुंदर चर्चा । पिछले कई अंक छूट गये नेट के खराब रहने से ।'उलूक' के सूत्र 'सरकारी त्योहार के लिये भी अब घर से लाना जरूरी एक हार हो गया' को जगह देने के लिये आभार ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद---चर्चामंच में मेरी रचना-- दग्ध मरु--को सम्मलित करने के लिये.
जवाब देंहटाएंसाथ ही चर्चामंच के सुंदर संयोजन के लिये भी.
बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...आभार!
जवाब देंहटाएंश्रीकृष्ण जन्माष्टमी की आप सभीको हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ! आज बहुत ही सुन्दर सूत्र संजोये हैं ! मेरे यात्रा संस्मरण को भी आज के मंच पर स्थान दिया दिल से शुक्रिया एवं आभार !
जवाब देंहटाएं!!जय श्री कृष्ण!! सुंदर लिंक्स, सार्थक चर्चा. मेरी रचना शामिल करने के लिए दिल से आभार।
जवाब देंहटाएंbahut acha hai
जवाब देंहटाएंबहुत बढियाँ प्रस्तुति कृष्ण के संग में
जवाब देंहटाएं