मित्रों।
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसंद के कुछ लिंक।
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750वाँ उलूक चिंतन:
आज के 'ब्लाग बुलेटिन' पर:
“फिर किसी की किसी को याद आती है
और हम भी कुछ गीले गीले हो लेते हैं”
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फिर लौट के आना है दुनियाँ में मुझको
(1)
जिश्म की दौलत की कभी कीमत नहीं होती
दिल की दौलत से मोहब्बत की हिना बनती है
(2) ...
मधु सिंह
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आभासी असली से पार पा ही जाता है
उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी
--फिर लौट के आना है दुनियाँ में मुझको
(1)
जिश्म की दौलत की कभी कीमत नहीं होती
दिल की दौलत से मोहब्बत की हिना बनती है
(2) ...
मधु सिंह
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जस्टिस दवे का स्वप्न:
धर्मनिरपेक्ष भारत का दुःस्वप्न
लो क सं घ र्ष ! पर Randhir Singh Suman
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“भाभी अगर कल तक मेरी राखी की पोस्ट
आप तक नहीं पँहुची तो
परसों मैं आपके यहाँ आ रही हूँ
भैया से कह देना ” कह कर
रीना ने फोन रख दिया|
अगले दिन भाभी ने सुबह ११ बजे ही
फोन करके कहा
‘रीना राखी पँहुच गई हैं”
पर भाभी मैंने तो इस बार
राखी पोस्ट ही नहीं की थी!!!
चलती है...
चलकर हज़ार चालें ये सियासत चलती है
गरीबों का खून चूस कर हुकूमत चलती है
साथ ना कोई दौलत, ना शोहरत चलती है...
Raj Kanpuri
--यह कहानी है "टूथ पेस्ट" की
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा
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एक तुम्हीं केवल जीवन में
मिट्टी से निर्मित इस तन में,
एक तुम्हीं केवल जीवन में,
अंतस में प्रिय विद्यमान तुम,
तुम ही साँसों में धड़कन में...
एक तुम्हीं केवल जीवन में,
अंतस में प्रिय विद्यमान तुम,
तुम ही साँसों में धड़कन में...
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चील कह रही है -
मैं गोश्त नहीं खाऊँगी
एकोऽहम् पर विष्णु बैरागी
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Happy Birth Day "Taaru "
अनुभूति पर कालीपद "प्रसाद"
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मेरा चेहरा अनगिनत टुकड़ों में बँटकर रह गया."
! कौशल ! पर Shalini Kaushik
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नीको हू लागत बुरा ,बिन औसर जो होय
Virendra Kumar Sharma
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या अनुरागी चित्त की
गति समझे न कोय ,
ज्यों ज्यों बूड़े श्याम रंग।
त्यों त्यों उज्ज्जल होय
आपका ब्लॉग पर
Virendra Kumar Sharma
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तपन .....हाइकु ...
तुमरी ठौर....
ढूँढे वही ठिकाना ...
मनवा मेरा ....
ढूँढे वही ठिकाना ...
मनवा मेरा ....
तपन बढ़े ...
कैसे दुखवा सहूँ ...
जियरा जले ...
Anupama Tripathi
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आपकी नजर
कभी रहते थे जो मस्त मस्त
अब रहने लगे हैं व्यस्त व्यस्त
वो बना रहे अब दूरी हैं
या यह उनकी मज़बूरी है...
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मौका चूक गए बाबा रामदेव ....
डरते नहीं तो आज होते संत सिपाही
योगगुरू बाबा रामदेव आजकल ना जाने कहां हैं । केंद्र में नयी सरकार के गठन के बाद जिस तरह की भूमिका की उनसे अपेक्षा की जा रही थी वो दिखना तो दूर बाबा ही नदारद हैं । चुनावों से पहले जिस तरह बाबा ने सिंह नाद किया था उससे बहुत सी उम्मीदें जगीं थीं । बाबा रामदेव ने योगभ्यास को एक नवजीवन दिया इसमें दो राय नहीं हैं . योग की क्रांति बाबा ने जन जन में ला दी । लेकिन बाबा चूक गए ।दिल्ली के रामलीला मैदान में यदि बाबा ने उस दिन बहादुरी दिखायी होती तो आज सारा परिदृश्य बदला होता ...
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....और वो लावारिस हो गया
थक गयी पथ निहारकर
बैठ गयी इंतजार कर
सो गया बच्चा पेट पकड़
कब आयेंगे पापा घर ...
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श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद
(१८वां अध्याय)
Kailash Sharma
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हम भी अब नेता बनेंगे !
हालात-ए-बयाँ पर अभिषेक कुमार अभी
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तुमको "सहज" और खुद को
"अकेला" कर लिया..
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"स्वतन्त्रता का नारा है बेकार"
जिस उपवन में पढ़े-लिखे हों रोजी को लाचार।
उस कानन में स्वतन्त्रता का नारा है बेकार।।
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सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा सूत्र
शनिवारीय सुंदर चर्चा में 'उलूक' के सूत्र ' आभासी असली से पार पा ही जाता है' और ' 750वें उलूक चिंतन' को स्थान देने के लिये आभार ।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंसुन्दर है
उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी
मुस्टण्डों को दूध-मखाने,
जवाब देंहटाएंबालक भूखों मरते,
जोशी, मुल्ला, पीर, नजूमी,
दौलत से घर भरते,
भोग रहे सुख आजादी का, बेईमान मक्कार।
उस कानन में स्वतन्त्रता का नारा है बेकार।।
ऐसे निठुर वजीरों को, क्यों झेल रही सरकार।
उस कानन में स्वतन्त्रता का नारा है बेकार।।
अजी वो सरकार तो अपनी मौत मर गई अब भारत आज़ाद है। चारा -कोयला खाने वाले सब गए।
जिस उपवन में पढ़े-लिखे हों रोजी को लाचार।
उस कानन में स्वतन्त्रता का नारा है बेकार।।
उच्चारण
सुन्दर हैं हाइकु
जवाब देंहटाएंतपन .....हाइकु ...
तुमरी ठौर....
ढूँढे वही ठिकाना ...
मनवा मेरा ....
तपन बढ़े ...
कैसे दुखवा सहूँ ...
जियरा जले ...
anupama's sukrity पर
Anupama Tripathi
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फिर लौट के आना है दुनियाँ में मुझको
जवाब देंहटाएं(1)
जिश्म की दौलत की कभी कीमत नहीं होती
दिल की दौलत से मोहब्बत की हिना बनती है
(2) ...
मधु सिंह
बहुत खूब कहा है।
जवाब देंहटाएंबिलकुल ठीक है पुण्य कटा और लौटके बुद्धू घर को आये
सुंदरकाव्यात्मक गीता सार. भक्ति ही वैकुण्ठ के द्वार खोलती है परांतकाल की ओर ले जाती है जिसके बाद फिर कोई और मृत्यु नहीं न कोई और जन्म।
जवाब देंहटाएंश्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद
(१८वां अध्याय)
Kashish - My Poetry पर
Kailash Sharma
जो इस परम गुह्यज्ञान को
मेरे भक्तों को बतलायेगा.
परमभक्ति मुझमें जो रखता
वह मुझको निश्चय पायेगा.
सटीक न्यायिक समीक्षा।
जवाब देंहटाएं"इंसाफ जालिमों की हिमायत में जायेगा,
ये हाल है तो कौन अदालत में जायेगा."
सुन्दर चर्चा -
जवाब देंहटाएंआभार आपका आदरणीय-
बहुत बढ़िया लिंक्स-सह-चर्चा प्रस्तुति ....आभार!
जवाब देंहटाएंआपका अंदाज है निराला हर सूत्र मन मोहने वाला ,बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंमेरी अभिव्यक्ति को मान और स्थान देने की लिए हार्दिक आभार आदरणीय शास्त्री सर जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्र...रोचक चर्चा...आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा ..सारे लिंक अच्छे लगे
जवाब देंहटाएंsabhi sootr bahut badhiya !Abhar Shastri ji aapne mere haiku charcha manch par liye .
जवाब देंहटाएंsunder sutr...
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