जाने कहाँ से एक कौवा उड़ता
हुआ आया
और लोकल से कुछ कहने के
प्रयास में
जा टकराया
बिजली के नंगे तार से
दोनों हाथ हवा में उठाकर
रे-रे-अरे करती,
कौवे को रोकने की कोशिश में
रूक गई लोकल
जाने कहाँ गुम हो गए बोल
टूटे तार से फूट कर निकली
गुस्से से भरी बिजली की
लुतियां
हवा में पसर गई
पंख/चमड़ी
और रक्त की मिली-जुली गंध
पल भर में इस तरह झुलसा
दिया उसे
जैसे जंगल की आग में गिरा
हो उड़ता हुआ
कौवा,जलने के बाद
लटक रहा था बिजली के खंभे
से बेजान
इस तरह खुली थी उसकी चोंच
जैसे पूछना चाहता था / जलते
हुए भी
कौवे की मौत का / क्या मातम
मनाए लोकल
जब रोज मरते हों आठ से दस
लोग
कुछ गिरकर, कुछ कटकर
और कुछ झुलस कर
उसकी निगाहें टिकी थीं
डी सी से ए सी हुए
पचीस हजार वोल्ट के उस
हत्यारे तार पर
जिसके नीचे से कल बारिश में
गुज़रते
छाते में करेंट आ गया था और
बच्चे के संग
झुलस गई थी एक औरत
(साभार : निलय उपाध्याय)
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नमस्कार !
इस महीने की अंतिम चर्चा में आपका स्वागत है.
एक नज़र आज की चर्चा में शामिल लिंकों पर....
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चैतन्य
रश्मि प्रभा
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हमसफ़र सपने
हिमकर श्याम
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"जो निशां मैं तेरे दिल-ओ-जहन पे छोड़ आई थी"
परी 'ऍम' श्लोक
-------------------
बहाना ख़राब है !
सुरेश स्वप्निल
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सुमिरन की सुधि यों करो ,ज्यों गागर पनिहारी ; बोलत डोलत सुरति में ,कहे कबीर विचारि।
वीरेन्द्र कुमार शर्मा
------------------
तुम्हारी चाहना
सु..मन
----------------
क्या ये हमारी संस्कृति के अंग नहीं हैं ?
महिमा श्री
-----------------
छूट गये दर्ज़ होने से
अलकनंदा सिंह
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हमारे रक्षक हैं पेड़ !
कालीपद प्रसाद
-------------------
"जय-जय-जय गणपति महाराजा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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कभी ‘कुछ’ कभी ‘कुछ नहीं’ ही तो कहना है
सुशील कुमार जोशी
--------------------
कुँआरी नदी
प्रतिभा सक्सेना
---------------
" खारापन बसने लगा मिठास खो रही हूँ "
विजयलक्ष्मी
--------------------
कुछ दिल से
अंशु त्रिपाठी
----------------
१३७. नाटक
ओंकार
-------------------
साझीदार
अनिता
-------------------
मीठे शब्द
अपर्णा खरे
--------------------
तन्हाईयाँ Tanhayiyan
नीरज द्विवेदी
--------------------
कृपया छुट्टे पैसे देवें
कीर्तिश भट्ट
---------------------
एक अनुरोध : गूगल + प्रोफाइल वाले ब्लॉग का कमेंट विंडो नहीं खुल पाने के कारण, ब्लॉगर को यहाँ शामिल पोस्ट की जानकारी देना संभव नहीं हो पाता है.ब्लॉगर मित्रों से अनुरोध है कि यदि संभव हो अपने ब्लॉग का प्रोफाइल गूगल + से ब्लॉगर प्रोफाइल कर लें.
धन्यवाद !
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विजयलक्ष्मी
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धन्यवाद !
बहुत सुन्दर और मनभावन चर्चा।
जवाब देंहटाएं--
आपका आभार आदरणीय राजीव कुमार झा जी।
सुन्दर चर्चा और लिंक्स
जवाब देंहटाएं"कौवे की मौत पर" बहुत मार्मिक रचना. बधाई पठनीय सूत्रों से परिचय करने के लिए, आभार !
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति व लिंक्स , आ. राजीव भाई , शास्त्री जी व मंच को धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति। …आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा ! मेरी रचना को शामिल करने केलिए आभार !
जवाब देंहटाएंनिलय जी की सुंदर अभिव्यक्ति के साथ पेश की गई आज की सुंदर चर्चा में 'उलूक' के सूत्र 'कभी ‘कुछ’ कभी ‘कुछ नहीं’ ही तो कहना है' को भी स्थान देने के लिये आभार राजीव ।
जवाब देंहटाएंआज का संयोजन बहुत ही रोचक है !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ...चर्चा .. चर्चामंच पर मेरे आलेख को शामिल करने लिए हार्दिक आभार आदरणीय राजीव सर
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संकलन किये है सर
जवाब देंहटाएंअच्छे लिनक्स..........
जवाब देंहटाएंकुछ बहुत सुन्दर लिंक्स के साथ मेरी रचना का लिंक भी देने के लिए बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स, सार्थक चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए आपका आभार।
जवाब देंहटाएंsunder sanyojan....meri rachna ko sthaan dene ka aaabhaar
जवाब देंहटाएंशुक्रिया हमारा सेतु शरीक करने के लिए सुन्दर समायोजन सभी सेतुओं का आपने किया है।
जवाब देंहटाएंThanks for sharing, nice post! Post really provice useful information!
जवाब देंहटाएंAn Thái Sơn chia sẻ trẻ sơ sinh nằm nôi điện có tốt không hay võng điện có tốt không và giải đáp cục điện đưa võng giá bao nhiêu cũng như mua máy đưa võng ở tphcm địa chỉ ở đâu uy tín.