रहे मौन धर्मज्ञ जब, देख पाप-दुष्कर्म |
बिना महाभारत छिड़े, कहाँ सुरक्षित धर्म |
कहाँ सुरक्षित धर्म, रखें गिरवी जब तन मन |
दुर्जन करे कुकर्म, सताए हरदिन जन गण ।
कह रविकर कविराय, कृष्ण अब कहाँ आ रहे ।
भीष्म कर्ण गुरु द्रोण, युद्ध तो किये जा रहे ॥
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noreply@blogger.com (विष्णु बैरागी)
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S.K. Jha
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सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
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sushma 'आहुति'
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Sandeep Panwar's Life book July 2014 संदीप पवाँर की जीवनी- जुलाई २०१४SANDEEP PANWAR
Jatdevta's journey |
बरसते हुए सावन में- बदनाम शायर वरुण मित्तल
Devendra Gehlod
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आशीष भाई
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jyoti khare
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काजल कुमार Kajal Kumar
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चर्चा मंच पर शास्त्री जी आज अनुपस्थित हैं, सुंदर सूत्रों के लिए बधाई व आभार रविकर जी.
जवाब देंहटाएंखूबसूरत लिंक संयोजन …………आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति .......आभार
जवाब देंहटाएंखूबसूरत लिंक संयोजन
जवाब देंहटाएंबढियाँ प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअच्छे सूूत्रों से सजी चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक और सुन्दर रचनाओं को संजोया है.....
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई ---
सुन्दर संयोजन रवि भाई
मुझे सम्मलित करने का आभार
सादर ------