मित्रों।
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
लोरी
हम्म हमम हम्म हम्मssss....
हम्म हम्म हम्म हम्मsssss.....
सो जा सो जा ओ मेरी गुड़िया
सो जा सो जा नानी की बाहों में
तूss छुप के सो जा सो जा
सो जा मेरी गुड़िया
हम्म हम हम्म ह्म्म्मsss...
मेरे मन की पर अर्चना चावजी
--
बाज
अब आ गया है समय
उस ऊंचे पर्वत शिखर पर जाकर
तप करने का
कायाकल्प के लिए,
अभी बहुत कुछ पूर्वार्द्ध का
बाकी रह गया है करने को
जीवन के इस उत्तररार्द्ध मेँ...
satish jayaswal
--
--
--
--
--
--
कहानी: सन्नाटे की गंध -
रूपा सिंह
साफ़ ई-पत्रिका पर भरत तिवारी
--
कविता
उनके नाम में कविता
अपने काम में कविता
लाखो की हजारों की फ्री में,
दाम में कविता
कोठो पर गिलासों में
हर इक जाम में कविता
संसद की सियासत के
दायें वाम में कविता...
amitesh jain
--
मन
सोच का मन से सीधा सम्बन्ध है
मन का सोच पर गहरा प्रभाव है।
मन मार सोच-सागर में डूबना
मन मलिन कर मन बोझिल करना है।।
तन-मन,दिल-दिमाग के आइने में देखना
परखना सवारना फितरत है।
जद्दो जहद जबरन जहा में जुर्रत,
ताल-मेल का बैठाना मन की शहादत है...
--
भोजन में बदलाव से करें
मधुमेह का निदान
ज्ञान दर्पण पर Ratan singh shekhawat
--
898-वृक्षों तले छाँव भी...
वृक्षों तले छाँव भी रह रहे किराये से,
लगने लगे हैं
शहर में लोग कुछ ज्यादा ही पराये से ,
लगने लगे है
मनुष्य होने के अलावा लोग
न जाने क्या हो गए हैं...
तात्पर्य पर कवि किशोर कुमार खोरेन्द्र
--
--
--
यादों के कुकुरमुत्ते
किसको पकड़ो किसको छोड़ो ...
ये खरपतवार यादों की ख़त्म नहीं होती.
गहरे हरे की रंग की काई
जो जमी रहती है सदियों तक ...
फिसलन भरी राह
जहां रुकना आसान नहीं ...
Digamber Naswa
--
कुछ अलाहदा शे’र :
ज़ुरूरी तो नहीं
1.
खो गयी मेरी ग़ज़ल गेसुओं के जंगल में,
जा रहा ढूढने लौटूं भी ज़ुरूरी तो नहीं।
2.
जाने ग़ज़ल करिश्मा है या भरम हमारा के तेरी,
सुह्बत में गेसू का जंगल निखरा सुथरा लगता है।
3...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल
--
--
--
वक़्त के कत्लखाने में
बाहर चल रहे
तेज़ तूफान के असर से
वक़्त के कत्लखाने के भीतर
होने लगती है हलचल
हिलने लगते हैं
पर्दे दरवाज़े और खिड़कियाँ
अंतिम पल गिनने लगती हैं
भीतर की रोशनियां ..
--
"तीन मुक्तक"
"तीन मुक्तक"
दुर्बल पौधों को ही ज्यादा, पानी-खाद मिला करती है।
चालू शेरों पर ही अक्सर, ज्यादा दाद मिला करती है।
सूखे पेड़ों पर बसन्त का, कोई असर नही होता है,
यौवन ढल जाने पर सबकी गर्दन बहुत हिला करती है।।...
उच्चारण
मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंbahut umda post sanklan...
जवाब देंहटाएंsundar charcha..................
जवाब देंहटाएंमैं भी ब्लॉग लिखता हूँ, और हमेशा अच्छा लिखने की कोशिस करता हूँ. कृपया मेरे ब्लॉग पर भी आये और मेरा मार्गदर्शन करें.
http://hindikavitamanch.blogspot.in/
http://kahaniyadilse.blogspot.in/
बहुत से नए चिट्ठों की जानकारी मिली ...
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने का धन्यवाद ...
Very nice posts !!!...Thank you !!!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार!
सुंदर सोमवारीय प्रस्तुति । आभार 'उलूक' का सूत्र 'एक को चूहा बता कर हजार बिल्लियों ने
जवाब देंहटाएंउसे मारने से पहले बहुत जोर का हल्ला करना है' को स्थान देने के लिये ।
बेहतरीन चर्चा
जवाब देंहटाएंपठनीय लिंक मिले .आभार.
जवाब देंहटाएंNice Article sir, Keep Going on... I am really impressed by read this. Thanks for sharing with us.. Happy Independence Day 2015, Latest Government Jobs.
जवाब देंहटाएं