कविता रावत जी की प्रस्तुति
हमारे देश में राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती के साथ ही वर्ष भर धार्मिक पर्व, त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाये जाने की प्रथा प्रचलित है। इन पर्व, त्यौहारों के अलावा पांच वर्ष के अंतराल में ‘मतदान दिवस’ के रूप में …।
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अख्तर खान अकेला जी प्रस्तुति
नई दिल्ली. टीवी चैनलों और अखबारों की तरफ से कराए गए किसी सर्वे में पूर्ण बहुमत नहीं मिलने की बातसामने आने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) ने अपने …
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सुरेश जी की प्रस्तुति
हर चैनल पर पांच मिनट के बाद आम आदमी पार्टी का विज्ञापन आ रहा है .. हर दो मिनट पर स्क्रीन के आधे भाग में आम आदमी का विज्ञापन आ रहा है ... एफएम रेडियो पर भी AAP के प्रचार की भरमार है.. इसके अलावा हर अखबार के मुखपृष्ठ पर आम आदमी पार्टी का विज्ञापन ...
अमृता तन्मय जी की प्रस्तुति
कईसन बिपता अईले हो रामा !
अब बिरवा कईसे फूले हो रामा !
बढ़िया फसल के ढँढोरा पिटाई
अउर मरल बीज मुफ्ते बँटाई
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राजीव जी की प्रस्तुति
ग्रामीण अंचलों में बोलचाल में प्रयुक्त ‘ओनामासीधं’ शब्द दरअसल संस्कृत भाषा के प्राचीनतम वैयाकरण महर्षि शाकटायन के व्याकरण का प्रथमसूत्र-‘ओऽम नमः सिद्धम’
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कल्पना रामानी जी प्रस्तुति
नज़र-नज़र में जो हो जाए प्यार, क्या कहिए।
बिना बसंत के छाए बहार, क्या कहिए।
सपन सुहाने चले आते बंद, पलकों में
पलक झपकते ही होते करार, क्या कहिए।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी की प्रस्तुति
आग से खेलना मत, जलाती है ये
अपनी औकात सबको, बताती है ये
सिर्फ ज़ज़्बात से बात बनती नहीं,
दिल्लगी दिललगी बन सताती है ये
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रामजी तिवारी जी की प्रस्तुति
सिताब दियारा ब्लॉग पर प्रस्तुत है ‘वंदना शुक्ला’ के उपन्यास * * ‘किस्सों के कोलाज’ का यह अंश * ...
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यशोदा अग्रवाल जी की प्रस्तुति
यूँ तो खुद अपने ही साये से भी डर जाते हैं लोग
हादसे कैसे भी हों लेकिन गुज़र जाते हैं लोग
जब मुझे दुश्वारियों से रूबरू होना पड़ा
तब मैं समझा रेज़ा रेज़ा क्यों बिखर जाते हैं लोग
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साधना वैद जी की प्रस्तुति
पंछियों के मधुर स्वर खोने लगे
चाँद तारे क्लांत हो सोने लगे
क्षीण होती प्रिय मिलन की आस है
मलिन मुख से जा रहा मधुमास है !
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सुषमा आहुति जी प्रस्तुति
मेरी चूड़ियों की खनक..
मेरे हाथो में रची...
महंदी की महक..
तुम्हे बहुत भाती थी..
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नवीन मणि त्रिपाठी जी की प्रस्तुति
अभिशप्त हुआ है प्रेम यहाँ ,
बहना मत कभी हवाओं में ।
व्याख्या करते कंकाल यहाँ,
चुभ जाते तीर शिराओं में ।।
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अनीता जी की प्रस्तुति
यह सृष्टि कितनी अद्भुत है, सागर की लहरें, गगनके सितारे, पंछियों के गान, चाँद की चाँदनी सभी जैसे उत्सव मना रहे हैं ! परमात्मा रसरूप है, उसकी बनाई सृष्टि रस का सागर है !
जेब्नी शबनम जी की प्रस्तुति
इल्म न था इस क़दर टूटेंगे हम
ये आँखें रोएँगी और हँसेंगे हम !
सपनों की बातें सारी झूठी-मुठी
लेकिन कच्चे-पक्के सब बोएँगे हम !
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डॉ उर्मिला सिंह जी की प्रस्तुति
ओक्टूबर २०१४,खटीमा उत्तराखंड---अंतराष्ट्रीय साहित्य सम्मेलन का आयोजन किया गया.जहां भारत के गणमान्य साहित्यकारों से मिलने का वा उनके साहित्य से रूब-रू होने का मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ.इसके अलावा निकटवर्ती देशों के भी गणमान्य साहित्यकारों से मिलने का सुअवसर भी मिला.
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डॉ दिव्या श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति
प्यार करते हो तो सूरज की तरह करो ..
नित नए मौसम में भोर होते ही ,
अपनी प्रेयसि को चूमने चला आता है
साँझ तक उसके साथ रहता है
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रविकर जी की प्रस्तुति
ताने बेलन देख के, तनी-मनी घबराय |
पर ताने मारक अधिक, सुने जिया ना जाय |
सुने जिया ना जाय, खाय ले मन का चैना |
रविकर गया अघाय, खाय के चना च बैना |
मनमाने व्यवहार, नहीं ब्रह्मा भी जाने |
जब ताने में धार, व्यर्थ क्यों बेलन ताने ||
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शिखा जी की प्रस्तुति
जिंदगी में पहली बार ऐसा हुआ था जब सीजन की पहली बर्फबारी हुई और कोई बर्फ में खेलने को नहीं मचला। हॉस्पिटल के चिल्ड्रन वार्ड में अपनी खिड़की के पास का पर्दा हटाया तो एक हलकी सी सफ़ेद चादर बाहर फैली थी पर खेलने के लिए मचलने वाला बच्चा बिस्तर पर दवा की खुमारी में आराम से सोया हुआ था. मैंने अब सुकून की एक नजर उसपर डाली और सोचने लगी कि अब क्या करूँ.
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अखिलेश्वर पाण्डेय जी की प्रस्तुति
रफू मियां जोर-जोर से खबर बांच रहे थे ताकि अगल-बगल बैठे उनके यार-दोस्त ठीक से सुन-समझ सकें. ‘रिटायर्ड’ लोगों की यह ‘मित्र मंडली’ प्रतिदिन झुमरू चाय वाले के यहां पौ फटते ही इकट्ठी हो जाती है. रफू मियां इस टीम के मेठ (लीडर) हैं.
धन्यबाद, फिर मिलेंगे अगले सप्ताह आज ही के दिन
सुप्रभात !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सूत्र संजोये हैं आज के चर्चामंच में ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार राजेन्द्र जी !
सार्थक लिंकों के साथ उपयोगी चर्चा।
जवाब देंहटाएंआभार आपका आदरणीय राजेन्द्र कुमार जी।
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7 और 8 फरवरी की चर्चा आदरणीय दिलबाग विर्क जी लगायेंगे।
मैं अभी 2 दिन तक देहरादून प्रवास पर हूँ।
बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार--
जवाब देंहटाएं"चुनावी बिगुल" चर्चा प्रस्तुति में "मेरा मतदान दिवस" शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चा...आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा...
जवाब देंहटाएंThanks
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर बिगुलनाद .. आभार..
जवाब देंहटाएंसुंदर सूत्रों से सजी चर्चा.
जवाब देंहटाएं'देहात' से मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.
आभार..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया !
जवाब देंहटाएंगोस्वामी तुलसीदास
बहुत अच्छा लिखा है आपने इस मोबाइल ने तो सब की छुट्टी कर दी है ,हर समय आदमी मोबाइल में ही देक्ता रहता है , गया कि सारा जहान इसी में ही समां गया है
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है आपने इस मोबाइल ने तो सब की छुट्टी कर दी है ,हर समय आदमी मोबाइल में ही देखता रहता है , गोया कि सारा जहान इसी में ही समां गया है
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