आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है
दिल्ली में जो सुनामी आई है उससे बड़े दल चिंतित नहीं होंगे, यह संभव ही नहीं । आत्ममंथन जरूर होगा । बिना कमियों के इतनी बड़ी हार संभव नहीं लेकिन भक्त हैं कि मानने को तैयार नहीं । सचमुच भक्ति अंध ही होती है ।
चलते हैं चर्चा की ओर
धन्यवाद
बहुत सुन्दर चर्चा आदरणीय दिलबाग विर्क जी।
जवाब देंहटाएंआज अपने गृहनगर खटीमा आ गया हूँ।
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श्रम के साथ चर्चा प्रस्तुत करने के लिए आभार आपका।
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सर |
बहुत अच्छे लिंक !
जवाब देंहटाएंगोस्वामी तुलसीदास
सुंदर प्रस्तुति दिलबाग जी । आभार 'उलूक' के सूत्र 'क्या धोया है बिना साबुन-पानी के' को आज की चर्चा में स्थान देने के लिये ।
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा दिलबाग विर्क जी। मेरी रचना को स्थान देने का आभार।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्र, सुन्दर चर्चा...मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार !!
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स...लाजवाब प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंPLEASE VISIT@चन्दन सा बदन
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जवाब देंहटाएंआभार - बहुत से पठनीय 'छोर' पकड़वाने के लिए।
जवाब देंहटाएं'दर्शन प्राशन' की डोर यहाँ तक खींच लाने के लिए धन्यवाद।
बहुत अच्छे अच्छे links हैं.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
achhi charcha....sundar link
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