नमस्कार मित्रों, आज की चर्चा में आपका स्वागत है।
निन्दन्तु नीति निपुणा यदि वा स्तुवन्ति, लक्ष्मी समाविशतु गच्छतु वा यथेष्टम ॥
अद्यैव मरणमस्तु युगान्तरे वा, न्यायात पथः प्रविचलन्ति पदम् न धीराः ॥
अर्थात-नीति में निपुण लोग हमारी निंदा करे या प्रशंशा करें,चाहे हमारे पास धन का भंडार हो या हम कंगाल हो जाये, चाहे हम युगो तक जीवित रहे या आज ही मर जाये। किन्तु हम धर्म के मार्ग से, सत्य के मार्ग से, शास्त्रो के मार्ग से कभी विचलित नहीं होंगे।
टिप्पणी: सत्य, न्याय और धर्म के मार्ग पर चलने के लिए धर्य धारण करना अनिवार्य रूप से जरूरी है क्योकि इस मार्ग पर चलने वालों को पग पग पर कठिनायों का सामना करना पड़ता है और सफलतापूर्वक सामना करने के लिए धैर्य का होना नितांत आवश्यक होता है। अगर धैर्य टूट जाय तो व्यक्ति एक कदम भी आगे नही बढ़ सकेगा। धैर्य की मजबूत रस्सी पकड़ कर ही व्यक्ति अपनी मंजिल तक पहुँच सकता है।
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अनामिका की सदाये
एकाकीपन के
झंझावतों से
स्वयं को मुक्त करने,
अंतस की खलिश
को कम करने हेतु
बड़ी बहिन समान
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(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
चराग़ लेके मुकद्दर तलाश करता हूँ
मैं कायरों में सिकन्दर तलाश करता हूँ
मिला नही कोई गम्भीर-धीर सा आक़ा
मैं सियासत में समन्दर तलाश करता हूँ
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प्रतिभा वर्मा
हाँ अभी कुछ दिनों पहले
तुमने कहा था मुझसे कि
तुम्हारी हँसी अच्छी लगती है
जब उस दोराहे पे
मैं तुम्हारा हाँथ
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मनीषा संजीव
आज के समय में एक ओर हम देश को नए आयामों की ओर ले जा रहे हैं,अनवरत प्रगति को अपना लक्ष्य मान रहे हैवहीँ दूसरी ओर,अपने स्वार्थ को भी सर्वोपरि रखे हुए हैं.
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रिया शर्मा
"मेरे प्यारे देशवासियों......मेरी ये कोशिश रहेगी, सभी को उनकी योग्यतानुसार काम अवश्य मिलेगा। मेरे इस प्यारे भारतवर्ष में कोई बेरोज़गार नहीं रहेगा....... "
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सरिता भाटिया
मन बच्चा है बहलाने को
मिट्टी के खिलौने बनायें
किसी के सिर पर रखकर चोटी
किसी के माथे तिलक लगायें
किसी के मुँह पर लगा के दाढ़ी
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प्रबोध कुमार गोविल
यदि हमें दैनिक व्यवहार में अंग्रेजी का कोई ऐसा शब्द मिल जाता है जो हम नहीं समझते, तो हम क्या करते हैं?
-अंग्रेजी को अत्यंत विलक्षण भाषा मानते हुए तुरंत उस शब्द का अर्थ शब्दकोष में देखते हैं,और फिर कई बार उसका प्रयोग करके अपने मन में उस शब्द को इस तरह बैठा लेते हैं कि वह हमें हमेशा के लिए याद हो जाए।
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अनु सिंह चौधरी
जितनी देर में मैंने आद्या के बाल बनाए, उतनी देर में उसने सामने खुले में जीमेल के इनबॉक्स के साथ कुछ छेड़-छाड़ कर दी। ये बात इसलिए लिख रही हूं क्योंकि सोच रही हूं कि मैं कितनी जल्दी चिढ़ जाती हूं। इतनी छोटी सी बात पर मैं बुरी तरह झल्ला गई थी।
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जी.के. अवधिया
शास्त्रों के श्रवण से धर्म का ज्ञान होता है, द्वेष का नश होता है, ज्ञान की प्राप्ति होती है और माया से आसक्ति दूर होती है।
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आँचल
चलना इन सीढ़ियों के पार कभी
हवा के सुकून में बहना कभी
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राजीव कुमार झा
तुलसीदास के रामचरित मानस के प्रभाव मंडल में उनकी अन्य कृतियां दब सी गयी मालूम पड़ती हैं.गोस्वामी तुलसीदास की प्रथम रचना ‘रामलला नहछू’ मानी जाती है.इस लघु कृति के बीस सोहर छंदों में नहछू लोकाचार का वर्णन हुआ है
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प्रीति सुराना
सुनो!!!
तुम लापरवाह हो,..
यही सोचकर
मैं हरदम करती रही
परवाह तुम्हारी,
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परी एम श्लोक
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डॉ जाकिर अली रजनीश
ये बड़े दुख का विषय है कि स्वाइन फ्लू की बीमारी दिन-प्रतिदिन भयावह रूप लेती जा रही है। यही कारण है कि अब लोगों में इसे लेकर भय का माहौल बनने लगा है। जबकि अगर सिर्फ इसके प्रति सावधान रहा जाए, तो इससे काफी हद तक सुरक्षित रहा जा सकता है।
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रामाजय शर्मा
पेड़ों की ठंडी छांव में खेलना
अब एक सपना बन कर रह गया
वो छत पर बैठना
वो बतियाना
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पारुल पंखुरी
भोपाल के दैनिक लोकजंग अखबार में २ जनवरी २०१५ को प्रकाशित मेरी रचना :
अतीत के पन्नों को फिर से दोहराने आया हूँ
मैं 2014 हूँ
अपनी व्यथा सुनाने आया...
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सुनील कुमार छत्तीसगढ़ अख़बार के संपादक जिन्होंने देश में पहली बार 25 अक्टूबर 1978 को रायपुर सेंट्रल जेल में हत्या के आरोपी बैजू की फांसी की आंखों देखी रिपोर्टिंग की थी.. उस रिपोर्टिंग की पूरी दास्तान बिस्तार से गुल्लक के इस पोस्ट में पढ़ेंगे |
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जयश्री वर्मा
जब नज़र मिली तब था तुमने नज़रों को फेरा ,
पर रह-रह,फिर-फिर और रुक-रुक के देखा,
चेहरे पे अनजाने से थे भाव दिखाए ,
तुमने लाख छुपाए भाव मगर,
नज़रों में तो बात वही थी ।
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अपरिहार्य व्यवस्त कार्यक्रमों के चलते १४ अप्रैल तक चर्चा मंच पर सेवा देने में असमर्थ रहूँगा, धन्यवाद।
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आदरणीय राजेन्द्र कुमार जी आपके अपरिहार्य व्यस्त कार्यक्रमों के चलते १४ अप्रैल तक मैं चर्चा लगाता रहूँगा।
जवाब देंहटाएंआपका दिन खाली नहीं जायेगा।
आपकी प्रतीक्षा रहेगी।
बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार आदरणीय राजेन्द्र कुमार जी।
सुन्दर लिंक्स से सजी सुन्दर चर्चा मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा सूत्र.
जवाब देंहटाएं'देहात' से मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा...
मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार !
Achchha laga!
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात! नमस्कार!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा सूत्र.
जवाब देंहटाएंउपयोगी लिंकों के साथ शानदार चर्चा, आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत उपयोग एवं ज्ञानवर्धक लिँक का संयोजन
जवाब देंहटाएंआभार
मेरे ब्लॉग की नई पोस्टो पर स्वागत हैँ।
http://rsdiwraya.blogspot.in/2015/02/blog-post_20.html