मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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न छोड़ो आस का दामन
रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
1
पथ में साथी घोर अँधेरा ,बैरी चारों ओर ।
मत घबराना , बढ़ते जाना ,दूर नहीं है भोर ।
हम हारे वे लोग हँसेगे, जो हैं पथ के शूल ।
वे तो चाहते चूर-चूर हो , हम बन जाएँ धूल...
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Philosophy
अगर अपने पास भी बचपन में
रुपया और जवानी में समय होता
तो आज कुछ नहीं कर पाते,
मै या हम जैसे लोग
इन दो चीजों की ना होने की वजह से ही
"सेल्फ मेड" हो पाए है
और परिवार की सीख थी कि
हारना मत...
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एक लघु कथा
चार लाठी
... परोक्ष रूप से अपने विरोधियों को चेतावनी देने का उनका अपना तरीका था। जब किसी शादी व्याह में जाते तो बड़े गर्व से दोस्तों और रिश्तेदारों को सुनाते -चार चार लाठी है मेरे पास -बुढ़ापे का सहारा...
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धृष्टता...
जितनी बार मिली तुमसे
ख्वाहिशों ने जन्म लिया मुझमें
जिन्हें यकीनन पूरा नहीं होना था
मगर दिल कब मानता है...
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"होली गीत-महके है मन में फुहार"
आई बसन्त-बहार, चलो होली खेलेंगे!!
रंगों का है त्यौहार, चलो होली खेलेंगे!!
रंगों का है त्यौहार, चलो होली खेलेंगे!!
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स से सजा आज का चर्चा मंच |
बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार!
आदरणीय शास्त्री जी प्रणाम ......होली की हार्दिक शुभकामनाये स्वीकारें !!
जवाब देंहटाएंफरवरी माह की अंतिम बहुत सुंदर शनिवारीय चर्चा । आभार 'उलूक' का सूत्र 'राजा हैं और बहुत हैं ' को स्थान दिया ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्रों से सुसज्जित बहुत रोचक चर्चा...आभार
जवाब देंहटाएंसभी सूत्र रोचक हैं पठनीय हैं होली का आपका चित्र भी बहुत सुन्दर है होली की सभी को अग्रिम बधाईयाँ
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार आ० शास्त्री जी
सुन्दर, समयोचित रचनाएँ.अच्छी लगी. संकलन में बहुत मेहनत की है शास्त्री जी को धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत आभार!
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