मित्रों।
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत हैष
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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लघु कथा ....
नारी तुम केवल श्रृद्धा हो ...
रसोई घर में प्रवेश करते ही
मुझे अपनी बेटी राशिका की
बरबस याद आजाती है
और साथ में
उसका मुस्कुराता हुआ चेहरा...
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दिल के अन्दर नही देखा।
कशति के मुसाफ़िर ने समुंदर काे देखा।
समुंदर की तेज लहराे काे नही देखा॥
किसी ने किसी की आँखाे काे देखा।
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"चहक रहे हैं वन-उपवन में"
गदराई पेड़ों की डाली
हमें सुहाती हैं कानन में।।
हम पंछी हैं रंग-बिरंगे,
चहक रहे हैं वन-उपवन में।।...
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सुप्रभात
जवाब देंहटाएंलिंक्स और संयोजन दोनो ही उम्दा |
मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
बहुत ही सुन्दर लिनक्स शास्त्री जी आपका बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार!
बहुत सुंदर रविवारीय चर्चा संयोजन.
जवाब देंहटाएं'यूँ ही कभी' से मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए सादर आभार.
लाजवाब लिंक्स..
जवाब देंहटाएंऔर@जा रहा है जिधर बेखबर आदमी
मेरी ब्लॉग पोस्ट को चर्चा मंच में जगह देने का आभार |
जवाब देंहटाएंNice Article sir, Keep Going on... I am really impressed by read this. Thanks for sharing with us.. Happy Independence Day 2015, Latest Government Jobs.
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