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रविवार, फ़रवरी 22, 2015

"अधर में अटका " (चर्चा अंक-1897)

मित्रों।
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत हैष
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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अधर में अटका 

Akanksha पर Asha Saxena
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क्यों वादे करते हैं 

यूं ही कभी पर राजीव कुमार झा 
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ये बदरा 

अटका रह गया 
किसी नागफनी काँटे में , 
बिजुरी का ज्यों अँचरा ! 
ये बदरा... 
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लघु कथा .... 

नारी तुम केवल श्रृद्धा हो ...

रसोई घर में प्रवेश करते ही 
मुझे अपनी बेटी राशिका की 
बरबस याद आजाती है 
और साथ में 
उसका मुस्कुराता हुआ चेहरा...  
भारतीय नारी पर shyam Gupta 
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दिल के अन्दर नही देखा। 
कशति के मुसाफ़िर ने समुंदर काे देखा। 
समुंदर की तेज लहराे काे नही देखा॥
किसी ने किसी की आँखाे काे देखा। 
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क्षणिकायें 
मत ढूंढो रिश्तों को 
कुछ पाने की चाहत में,
चल नहीं पायेंगे दूर तक... 

आध्यात्मिक यात्रा
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"चहक रहे हैं वन-उपवन में" 

गदराई पेड़ों की डाली
हमें सुहाती हैं कानन में।।
हम पंछी हैं रंग-बिरंगे,
चहक रहे हैं वन-उपवन में।।...  
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7 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    लिंक्स और संयोजन दोनो ही उम्दा |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही सुन्दर लिनक्स शास्त्री जी आपका बहुत बहुत आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर रविवारीय चर्चा संयोजन.
    'यूँ ही कभी' से मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए सादर आभार.

    जवाब देंहटाएं
  5. मेरी ब्लॉग पोस्ट को चर्चा मंच में जगह देने का आभार |

    जवाब देंहटाएं
  6. Nice Article sir, Keep Going on... I am really impressed by read this. Thanks for sharing with us.. Happy Independence Day 2015, Latest Government Jobs.

    जवाब देंहटाएं

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