मित्रों।
प्रणय दिवस (वैलेण्टाइन-डे) की
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के लिंक।
Valentine..डायरी...
सारा विश्वास तुम्हे दे दूंगी...!!!
'आहुति' पर sushma 'आहुति'
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लिख कोई भी किताब
बिना इनाम बिना सम्मान की कभी भी
जिसमें सभी पाठ हों बस
तेरे सामने के हो रहे झूठों के
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नागरिक समस्या:
पते का संकट
जब एक वेतनभोगी जब आयकर भरता है तब वो कोई भी पता भर दे वो सरकार और आयकर विभाग को स्वीकार होता है। मतलब जो आपने भरा वो मान्य हुआ। पर वही वेतनभोगी जब गैस कनेक्शन के लिए जाता है, बच्चे के लिये स्कूल में प्रवेश चाहता है, बैंक में खाता खोलने के लिये जाता है, उससे पते का प्रमाणपत्र माँगा जाता है। ये हाल तब है जब व्यक्ति जन्म से भारतीय नागरिक है। क्या ये अफसोसजनक नहीं है कि एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में जाने पर, एक शहर से दूसरे शहर जाने पर आदमी पहचान और पते की समस्या से जूझता है। सरकार पैसा लेते हुये सब स्वीकार करती है और पैसा मिल जाने के बाद उसी व्यक्ति को अस्वीकार करती है...
--एक लघु कथा 07-
गिद्ध दृष्टि
आपका ब्लॉग पर आनन्द पाठक
--आखिर ये किसका प्यार हैं...
ये किसके विरह में जल उठे हैं
पलाश के जंगल
ये किसकी उदासियों पर डाल देते हैं
शोख रंगों की चूनर...
Pratibha Katiyar
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चुहुल - ७१
(१)
एक बन्दर ने वैलेंटाइन डे पर लाल गुलाब देकर शेरनी को प्रपोज़ किया तो शेरनी ने आँखें तरेर कर कहा, “अबे, तूने अपनी शक्ल आईने में देखी है?” बन्दर बोला “शक्ल पर मत जा. तू मेरा कॉन्फिडेंस देख.”
(२)...
जाले पर पुरुषोत्तम पाण्डेय
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आज तुम घर से नही निकलोगे
"रोज" डे गया,
"चाकलेट" डे गया,
"हग" डे गया,
"किस" डे गया,
जैसे ही,
"वेलेंन्टान डे" का नम्बर आया...
आज तुम घर से नही निकलोगे,
ऐसा, श्रीमती जी ने प्रतिबन्ध लगाया...
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फिर मुहब्बत आम होने की खबर आने लगी है
बाप को बदनामियों की ,फ़िक्र क्यों खाने लगी है ।
फिर मुहब्बत आम होने की खबर आने लगी है...
तीखी कलम से पर
Naveen Mani Tripathi
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कैसा दिखता होगा चाँद वहाँ से...
सोंचती हूँ कैसा दिखता होगा चाँद वहाँ से शायद जैसा यहाँ से दिखता है पर परदेस में शायद वो भी कुछ अनजाना सा हो कुछ यादों का साक्षी कुछ बातों का राजदार जब भी देखोगे अपनी बंद खिड़की से कुछ यादें सहला जाएँगी कुछ नए सपने बुन जाएंगे और कभी कभी दिल को किसी के पास होने का एहसास तड़पा जाएगा।
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"क्या प्रदेश भाजपा के बड़े नेता ,
संगठन का एक्सरे कर पाएंगे"??
पीताम्बर दत्त शर्मा
( लेखक-विश्लेषक )09414657511
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आसमां बदल डाला !
मुफ़लिसों ने जहां बदल डाला
देख लो, आसमां बदल डाला
थी हमें भी उमीद जल्वों की
'आप' ने तो समां बदल डाला...
साझा आसमान पर
Suresh Swapnil
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ग़ज़ल
'आप' का अन्दाज़ बिल्कुल 'आप' सा
ग़ज़ल
'आप' का अन्दाज़ बिल्कुल 'आप' सा
...'आप' का अन्दाज़ बिल्कुल 'आप' सा
शहर-ए-दिल्ली को बदलने दीजिए
राज़ खुलने में नहीं अब देर है
“रूप” को साँचे में ढलने दीजिए
उच्चारण
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तन हुए हैं पल्लवित, मन मुदित और हर्षित हुए।
सुमन की छवि देखकर, षटपद् सभी मोहित हुए।।
सुमन की छवि देखकर, षटपद् सभी मोहित हुए।।
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मस्त मौसम देखकर, तन-मन बसन्ती हो गये।
आ गया ऋतुराज, घर-आँगन बसन्ती हो गये।।
आ गया ऋतुराज, घर-आँगन बसन्ती हो गये।।
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा संयोजन
मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
सुंदर वैलेंटाइन दिवस चर्चा । आभार 'उलूक' का सूत्र 'लिख कोई भी किताब बिना इनाम बिना सम्मान की कभी भी जिसमें सभी पाठ हों बस तेरे सामने के हो रहे झूठों के' को जगह देने के लिये ।
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जवाब देंहटाएंउम्दा प्रस्तुति…मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
बहुविध सुन्दर रचनाएँ का संकलन, आपकी अपरिमित साहित्य सेवा के लिए ह्रदय से आभार.
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जवाब देंहटाएंसुंदर वैलेंटाइन दिवस चर्चा,धन्यवाद।
Bahut umda "Charcha"
जवाब देंहटाएंसंत वेलेंटाइन के निर्वाण दिवस की सौजन्य सन्दर्भ में शुभकामनाये आदरणीय !
जवाब देंहटाएंbadi "pyaari " charcha hai ji sabhi link or lekhamitr bhi pyaare hain ! meri or se sabko prem sandesh dena ji mayank ji ! aapko zaraa yada pyaar !! is charcha hetu !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ! मयंक जी ! मेरी रचना 'नवगीत (22) मन विक्षिप्त है मेरा जाने क्या कर जाऊँ ?' को सम्मिलित करने हेतु ।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंचर्चामंच के समस्त मित्रगण को वैलेंटाइन डे की शुभकामनायें | बहुत ही सार्थक मंच सजाया | मैं हृदयतल से डाक्टर साब का धन्यवाद करना चाहता हूँ उन्होंने अपने चर्चा मंच पर मेरी कविता को स्थान दिया और सभी गणमान्य कविताकारों और लेखकों के बीच मेरी रचना को शामिल कर के उसका मान बढ़ाया | आभार एवं साधुवाद | जय हो - मंगलमय हो...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंगुरुवर प्रणाम !!....बहुत अच्छा संकलन .....अपने चरणों में स्थान के लिए दिल से आभार !
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