मित्रों।
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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मेघा हमको पानी दे दो
मेघा हमको पानी दे दो
खाने को गुरधानी दे दो ।
आग उगलते सूरज दादा
पानी दे दो, पानी दे दो ।।
राकेश चक्र
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बेबसी
बहुत फर्क हो गया दिनचर्या में
पर कोई फर्क नहीं पड़ा
उस दिन की
और आज की उदासी में...
मेरे मन की पर अर्चना चावजी
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शीर्षकहीन
"कविता-सौरभ" पर
satywan verma saurabh
--अब नुमाइश तक
मुहब्बत के सफ़र को ले चलो
आसमा तक हौसलों की
इस खबर को ले चलो ...
तीखी कलम से पर
Naveen Mani Tripathi
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485.
लम्हों का सफ़र...
आसमान की विशालता
जब अधीरता से खींचती है
धरती की गूढ़ शिथिलता
जब कठोरता से रोकती है
सागर का हठीला मन...
डॉ. जेन्नी शबनम
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प्रेम को खूंटी पर लटका दिया है मैंने....
प्रेम को खूंटी पर लटका दिया है मैंने
झोली में डाल कर दादी की पटारी में ।
पटारी , जिस में दादी रखा करती थी
सूई , धागे और बटन...
नयी उड़ान + पर Upasna Siag
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शहादत पर हँसना नहीं आता
कोशिशे तमाम करता हूँ
मुझे कहना , नहीं आता -
वो सागर, मैं हिमालय की ओर
दरिया संग बहना नहीं आता...
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१५७. गांठें
बिना वज़ह कभी-कभी लगती हैं गांठें,
बिना कोशिश कभी-कभी खुलती हैं गाँठें...
कविताएँ पर Onkar
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सुप्रभात
जवाब देंहटाएंशिवमय चर्चा
मेरे रचना शामिल करने के लिए आभार |
सुंदर प्रस्तुति । आभार 'उलूक' का सूत्र 'जोकर बनने का मौका सच बोलने लिखने से ही आ पायेगा' को आज की चर्चा में जगह मिली ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्र ! शेखचिल्ली की कहानी को आज के मंच पर स्थान देने के लिये आपका हृदय से धन्यवाद शास्त्री जी ! सभी मित्रों एवं पाठकों को शिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंमेरे रचना शामिल करने के लिए आभार |
मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा...
जवाब देंहटाएंसुंदर सूत्र संकलन, मेरी रचना शामिल करने के लिए आपका आभार आ. शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएं