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Thursday, February 19, 2015

हिंदी रचनाकार और पुस्तकें { चर्चा - 1894 }

आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है
इन दिनों में पुस्तक मेला लगा हुआ है और बहुत सी पुस्तकें प्रकाशित हो रही हैं, प्रकाशक हिंदी रचनाकारों को रियाल्टी देते होंगे इसमें संदेह है । फिर रचनाकार को पुस्तक बिकने का लाभ । ज्यादातर रचनाकारों को किताब छपवाने के बदले में काफी प्रतियां स्वयं खरीदने पड़ती हैं । ऐसा हिंदी के रचनाकारों के साथ क्यों होता है ? 
चलते हैं चर्चा की ओर 
Vimal Gandhi-kmsraj51
Presentation1  contract marriage
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भदेस...देहाती
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 धन्यवाद 

17 comments:

  1. उपयोगी लिंकों के साथ शानदार चर्चा।
    आभार आदरणीय दिलबाग विर्क जी।

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  2. हिन्दी में ऐसा क्यों होता है, अच्छा प्रश्न उठाया आपने, इसपर चर्चा की बहुत गुंजाइश है। एक बात जो हिन्दी में है और अन्य जगह नहीं है वो यह कि यहाँ पढ़ने वाले कम और लिखने वाले ज्यादा हैं। प्रकाशित होने के उपरांत अधिकांश किताबें लेखक को स्वयं खरदानी पड़ती है, इसके साथ ही एक और स्याह सच है कि उन पुस्तकों के लिए धन राशि अग्रिम लेखकों से ले ली जाती है । आपको जानकार आश्चर्य होगा कि कई प्रकाशक को बस उतनी ही गिनती की पुस्तकें छाप रहें हैं जितनी लेखक को चाहिए ....

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    Replies
    1. तथ्य से पुर्णतः साहमत। एक और विषय भी हे वो ये की हिंदी साहित्यकार आज भी भाषा की गुढता पर बाल दे रहे हैं उसकी सरलता और सरसता पर नहीं। और इसके चलते आज की पीढ़ी खुद को इससे जुड़ा महसूस नहीं कर पा रही। दूसरा काम विदेशी धन से पोषित मीडिया कर रहा हे जो अंग्रेजी भाषी को पढ़ा लिखा और हिंदी भाषी को अशिक्षित सा प्रदर्शित करता सा जान पढता हे।। या नी तो वो अंग्रेजी के प्रसार का माध्यम हों।

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  3. नीरज से सहमत । सुंदर गुरुवारीय चर्चा । आभार दिलबाग जी का 'उलूक' का सूत्र 'लकीर का फकीर' को स्थान देने के लिये ।

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  4. सुन्दर लिंक्स

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  5. चयन प्रक्रिया उत्तम है ,स्वाइन फ्लू पर आधारित मेरी पोस्ट साँझा करने के लिए हार्दिक अभिनंदन ,इसे भी अवश्य पढ़े ,http://razrsoi.blogspot.in/
    स्वाइन फ्लू ,या अन्य किसी प्रकार के फ्लू के लिए ये काढ़ा सहायक औषधि के रूप में काफी कारगर है

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  6. This comment has been removed by the author.

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  7. मेरि रचना को स्थान देने के लिये आभार, सच कहून तो मैं तो वास्तव मे लिखना भूल गया था! या यूँ कहें कि ....
    "स्वहित" कि चोट से, "साहित्य" बिखर गया !
    "स्वयम्‌ - स्वयम्‌" कि ताल मे, "सु" लिखना भूल गया!!
    आपके इस सहयोग के लिये धन्यवाद ...... एह्सास!

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  8. बहुत बढ़िया चर्चा...

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  9. सुंदर लिंक्स से सजी सुंदर चर्चा।
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार।

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  10. उपयोगी लिंकों के साथ शानदार चर्चा, आभार।

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  11. This comment has been removed by the author.

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  12. जब अपना काेई याद आता है।

    Thanks,
    चर्चा मंच पर शामिल करने के लिए।
    And always welcome at .....
    http://kmsraj51.com/

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  13. उपयोगी लिंक। बेहतरीन चर्चा।

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  14. सुंदर लिंक्स से सजी सुंदर चर्चा।
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार....

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