मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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याद फिर किसी की दिला गया कोई
इक नया जख्म खिला गया कोई
जरा मौसम की मेहरबानियाँ देखो
अब के गर्मी में घर जला गया कोई...
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छोड़ न जाना तुम
कभी राह में अकेले
जीवन की राहों में ले हाथों में हाथ
साजन मेरे चल रहे हम अब साथ साथ
अधूरे है हम तुम बिन सुन साथी मेरे
आ जियें जीवन का हर पल साथ साथ...
साजन मेरे चल रहे हम अब साथ साथ
अधूरे है हम तुम बिन सुन साथी मेरे
आ जियें जीवन का हर पल साथ साथ...
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कृष्ण देखें आज किसके पक्ष है
लाल रंग से रंगा हर कक्ष है
एक सत्ता दूसरा विपक्ष है
न्याय की कुर्सी पे है बैठा हुवा
शक्ति उसके हाथ में प्रत्यक्ष है...
एक सत्ता दूसरा विपक्ष है
न्याय की कुर्सी पे है बैठा हुवा
शक्ति उसके हाथ में प्रत्यक्ष है...
दिगंबर नासवा
कविता मंच पर संजय भास्कर
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मजदूर की मजबूरी
हाँ ! मैं मजदूर हूँ
क़लम का मजदूर
मगर मजदूरी करता हूँ शौक से
शौक का
कोई मेहनताना देता है कहीं ...
साहित्य सुरभि
हाँ ! मैं मजदूर हूँ
क़लम का मजदूर
मगर मजदूरी करता हूँ शौक से
शौक का
कोई मेहनताना देता है कहीं ...
साहित्य सुरभि
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‘सुर-तरंग’ संगीत प्रतियोगिता संपन्न
राजस्थान की प्रतिभाओ को एक मंच प्रदान करने वाली राज्य स्तरीय संगीत प्रतियोगिता ‘सुर-तरंग’ आज जयपुर में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ | इस दौरान बड़ी संख्या में प्रतिभागियों हिस्सा ने लिया और संगीत विधा में प्रतिभागियों ने अपनी-अपनी प्रतिभा का जलवा बिखेरा | बच्चों में साहित्य, संगीत और संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से संचालित रविन्द कला मंच और संगम कला ग्रुप कि ओर से आयोजित यह कार्यक्रम द रूट्स पब्लिक स्कूल शिव कॉलोनी लक्ष्मी नगर जयपुर में संपन्न हुआ...
VMW Team पर VMWTeam Bharat
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१६७.
द्रोण से
एकलव्य से गुरु-दक्षिणा मांगते
क्या तुम्हें शर्म नहीं आई ?
और दक्षिणा भी क्या मांगी तुमने,
दाहिने हाथ का अंगूठा!
तुम्हारी मांग में ही छिपी थी
तुम्हारी दुर्भावना, तुम्हारी अमानवीयता.
किस हक़ से मांगी तुमने गुरु-दक्षिणा ?
एकलव्य के लिए तुमने किया ही क्या था?...
क्या तुम्हें शर्म नहीं आई ?
और दक्षिणा भी क्या मांगी तुमने,
दाहिने हाथ का अंगूठा!
तुम्हारी मांग में ही छिपी थी
तुम्हारी दुर्भावना, तुम्हारी अमानवीयता.
किस हक़ से मांगी तुमने गुरु-दक्षिणा ?
एकलव्य के लिए तुमने किया ही क्या था?...
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"बालक कितने प्यारे-प्यारे"
लड़ते खुद की निर्धनता से,
भारत माँ के राजदुलारे।
बीन रहे हैं कूड़ा-कचरा,
बालक कितने प्यारे-प्यारे...
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