मित्रों।
रविवासरीय चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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White Mulberry
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEikdoHdONRyMxhM00EImJJerT8GYoNYwcTjKNtCMFGBjgWWnzfzIs8Z7m_AJIfTh5fUMrm8PYXtrSFcGnEJdn8k9I0L-_wqsXXFWjI7odvPYBO4cMo2R06Amcw2vNctmTGj85sZfgbyHf8/s320/mulberry03.jpg&container=blogger&gadget=a&rewriteMime=image)
इन दिनों व्हाइट मलबरी (Morus alba) या सफेद शहतूत की चाय डायबिटीज में बहुत चमत्कारी मानी जा रही है। इसकी पत्तियों में कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व, विटामिन और खनिज जैसे बीटा-केरोटीन, गाबा-1, अमाइनो एसिड्स, क्लोरोफिल, विटामिन सी, बी-1, बी-2, बी-6, ए और फाइबर होते हैं। इसकी पत्तियों में ग्रीन टी से 6 गुना, दूध से 25 गुना और बंदगोभी से 40 गुना कैल्सियम होता है तथा ग्रीन टी से ढाई गुना और पालक से 10 गुना आयरन होता है। 100 ग्राम मलबरी की सूखी पत्तियों में 230 मिलिग्राम गामा अमाइनो एसिड (जो ब्लड प्रेशर कम करता है) और ....
Shri Sitaram Rasoi
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मगर ये भी तेरी शराफ़त का सिला है....
कोई ख़्वाहिश नहीं न कोई ग़िला है
चल पड़े अकेले ही न संगी मिला है...
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नन्हा बीज संकल्पित होकर
नन्हा बीज संकल्पित होकर आता है जब
वो धरती पर करने को सपने साकार
देने को सुदृढ़ आकार
सृष्टि को सुन्दर बनाने
सांसों में सुवास को भरने
जन-जन का मन पुलकित करने
अरमानों को सज्जित करने
वायुदेव का प्रचंड आवेग सहता...
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एक ग़ज़ल :
औरों की तरह .....
औरों की तरह "हाँ’ में कभी "हाँ’ नहीं किया
शायद इसीलिए मुझे पागल समझ लिया...
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सुन्दरता तू दुखी क्यूं है?
सुन्दरता के ही सपने होते हैं। न जाने सुन्दरता में ऐसी क्या बात है जो सपने देखने लगती है और जो सुन्दर नहीं है वे तो सपने भी नहीं देखते। उन्हें लगता है कि जो भगवान प्रसाद स्वरूप दे देगा वही श्रेष्ठ होगा। पोस्ट को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें...
smt. Ajit Gupta
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आज की बेटी
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhjWCft2IkLupnDR0cmj1FKQUqpTkzLe2l0z_at3X535zew4w7172PQspU1-G8eV2f8I5kg1JLHk4XIRAVZ5iaKVEVlnYpgHudJnsINp1U3FkwFjMFeq15iBEvnQVhiPoFNy5-SzE2JzdxX/s320/%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80+%E0%A4%B6%E0%A4%BF%E0%A4%96%E0%A4%B0+%E0%A4%AA%E0%A4%B0.jpg&container=blogger&gadget=a&rewriteMime=image)
बेटी जनमी घटा जीवन तम लाई
खुशियाँ ज़िंदगी गाने लगी
रोशनी छाने लगी !
कथा पुरानी आँचल में है दूध
आँखों में पानी...
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जुगलबंदी
जब मेरी तेरी होगी
प्यार के तरानों की स्वर लहरियाँ
तब गूँजेगी दिलों की इस जुगलबंदी में
सिर्फ प्रेम गीतों की लड़ियाँ...
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तेरे पास रहूँ वक्त ठहर जाता है
तेरे पास रहूँ वक्त ठहर जाता है
दुख दर्द गम जाने सब किधर जाता है...
काव्य सुधा पर Neeraj Kumar Neer
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प्रधानमन्त्री जनसुरक्षा योजना:
एक कदम और चलना होगा .....
विगत सप्ताह अपने IDBI Bank खाते के माध्यम से प्रधानमन्त्री जानसुरक्षा योजना से जुड़ने का अवसर प्राप्त हुआ। बैंक के कर्मचारियों ने बेहद सक्रियता इस योजना के जुड़ने में सहयोग किया। योजना के तहत 12 रुपये में २ लाख का दुर्घटना बीमा और ३२३ रुपये मात्र में 2 लाख का जीवन बीमा ( जीवन ज्योति बीमा ) किया जा रहा है। IDBI बैंक में ऑनलाइन नामित होने की सुविधा भी उपलब्ध है। कुल मिला कर इस योजना को एक अच्छी शुरुआत कहा जा सकता है...
बुलबुला पर Vikram Pratap singh
शीर्षकहीन
गम सहा उफ़ न की अक्ल से काम लेते लेते,
आखिरी सांसें गिन रहे हैं तेरा नाम लेते लेते...
mere man पर
rajinder sharma "raina"
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पूरा दिन - गुलजार
मुझे खर्ची में पूरा एक दिन, हर रोज़ मिलता है
मगर हर रोज़ कोई छीन लेता है,
झपट लेता है, अंटी से
कभी खीसे से गिर पड़ता है तो गिरने की
आहट भी नहीं होती...
ज़िन्दगीनामा
मुझे खर्ची में पूरा एक दिन, हर रोज़ मिलता है
मगर हर रोज़ कोई छीन लेता है,
झपट लेता है, अंटी से
कभी खीसे से गिर पड़ता है तो गिरने की
आहट भी नहीं होती...
ज़िन्दगीनामा
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भरी दुपहरी में चिंता पर छोटा सा चिंतन
भरी दुपहरी में मौसम को गरियाते हुए
श्रीमतीजी को बाइक पर बिठा कर चला जा रहा था.
अचानक ऐसा लगा कि
कोई ‘रुको! रुको!’ की आवाज दे रहा है.
मैं इधर-उधर देख ही रहा...
अ-शब्द
भरी दुपहरी में मौसम को गरियाते हुए
श्रीमतीजी को बाइक पर बिठा कर चला जा रहा था.
अचानक ऐसा लगा कि
कोई ‘रुको! रुको!’ की आवाज दे रहा है.
मैं इधर-उधर देख ही रहा...
अ-शब्द
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मैं फूल तू बागीचा..
तेरे दिल के बागीचे में*
*वहीँ पे कहीं हाँ नीचे में*
मैं गिर गया*
गिर के सूख गया*
कोई नया खिला*
जिसपे तेरा रुख गया*
मैं फूल था*
तू ज़मीन-ए-बागीचा* ...
Itz me Dp's.........:)
मैं फूल तू बागीचा..
तेरे दिल के बागीचे में*
*वहीँ पे कहीं हाँ नीचे में*
मैं गिर गया*
गिर के सूख गया*
कोई नया खिला*
जिसपे तेरा रुख गया*
मैं फूल था*
तू ज़मीन-ए-बागीचा* ...
Itz me Dp's.........:)
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गीत "सबकी कुछ मजबूरी होगी"
दबी हुई कस्तूरी होगी।
दिल की बात नहीं कह पाये,
कुछ तो बात जरूरी होगी।।
सूरज-चन्दा जगमग करते,
नीचे धरती, ऊपर अम्बर।
आशाओं पर टिकी ज़िन्दग़ी,
अरमानों का भरा समन्दर।
कैसे जाये श्रमिक वहाँ पर,
जहाँ न कुछ मजदूरी होगी।
कुछ तो बात जरूरी होगी...
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