मित्रों।
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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पैसा दे या प्रेम दे
पैसा दे या प्रेम दे, जितना जिसके पास।
इक तोड़े विशवास को, इक जोड़े विश्वास।।
रिश्ते हों या दूध फिर, तब होते बेकार।
गर्माहट तो चाहिए, समय समय पर यार...
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"लीची के गुच्छे मन भाए"
हरी, लाल और पीली-पीली!
लीची होती बहुत रसीली!!
गायब बाजारों से केले।
सजे हुए लीची के ठेले...
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कभी तो दिल की महफ़िल में
सलाम-ए-इश्क फरमाइए
हमें ईजाद करना है कलाम-ए-इश्क चले आइये | .
तुझे बस देखकर लफ्ज़ी तलाफुज़ भूल जाता हूँ ,
अहसासों की शहादत हो रही अब तो चले आइये...
Harash Mahajan
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घुटता हुआ समय
अभी अभी मैं मिल कर आया हूँ
एक पागल विज्ञानिक से
जो देश के एक प्रयोगशाला में
बनाता हुआ एक तकनीक चुक गया
और सात समंदर पार से आकर
एक बाज छा गया देश पर...
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टेढ़ी नज़र पर सीधा चश्मा
पिछले कई दिनों से एक चश्मे ने
गुल-गपाड़ा मचा रखा है।
बात, बात न रह कर बतंगड़ बन गयी है।
अपने यहां की परिपाटी के अनुसार
बात चाहे सही हो या गलत उ
स के पक्ष-विपक्ष में लोग खड़े हो कर
जाने कहां-कहां के दबे मुर्दे उखाड़ने लगते हैं...
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा
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अच्छे दिन ...!
आ गये है।
दूरदर्शन पे पहले दिखाते थे
कि अच्छे दिन आने वाले है।
आजकल दिखा रहे है की अच्छे दिन आ गये है।
अच्छे दिन .....आ गये है।
उसी चक्कर में कौआ काँव-काँव कर रहा होगा...
बुलबुला पर Vikram Pratap singh
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ढाई आखर में छिपा, जीवन का विज्ञान।
माँगे से मिलता नहीं, कभी प्यार का दान।।
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प्यार नहीं है वासना, ये तो है उपहार।
दिल से दिल का मिलन ही, होता है आधार।।
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