मित्रों।
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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जीवन और आशा
(१)
जीवन है तो गति है
गति है तो घर्षण है
घर्षण है तो संघर्ष है
संघर्ष है तो शुष्कता है
शुष्कता है तो भंगुरता है
कुछ चिर परिचित से
नहीं लगते ये शब्द
अगर हाँ तो क्या
ये जीवन है
ये संबंध है
ये रिश्ते हैं
या ये रिसते हैं
(२)
जीवन है तो गति है
गति है तो घर्षण है
घर्षण है तो ऊष्मा है
ऊष्मा है तो उर्जा है
उर्जा है तो
उर्जावान पंचतत्व
पंचतत्व है तो आरंभ है
आरंभ है तो अंत है
अंत है तो
नए जीवन की आशा है
आशा है तो जीवन है
रचना रवीन्द्र
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गीत "कुटी बनायी नीम पर"
पहले छाया बौर, निम्बौरी अब आयीं है नीम पर।
शाखाओं पर गुच्छे बनकर, अब छायीं हैं नीम पर।।
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देवदास के मैं तुम में निशाँ ढूँढ रही हूँ
जाने क्या यहाँ-वहाँ ढूँढ रही हूँ
शायद इक छोटा जहाँ ढूँढ रही हूँ
ग़ुम हो आतिशे-नफ़रत में कहीं तुम
आवाज़ दो मैं जाने-जहाँ ढूँढ रही हूँ...
शायद इक छोटा जहाँ ढूँढ रही हूँ
ग़ुम हो आतिशे-नफ़रत में कहीं तुम
आवाज़ दो मैं जाने-जहाँ ढूँढ रही हूँ...
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तेरे क़दमों पे शमाओं को गिला है तुझसे
ये खलल दिल में हुआ जो भी मिला है तुझसे |
ये महफिलें तो हुईं सच में तुझी से रौशन,
जब से आने का पता तेरा चला है तुझसे...
Harash Mahajan
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मैं..
तेरी आँखों का प्यारा सा.. अदना ख़्वाब सही, मैं..
तेरी नज़्मों का रूठा हुआ हिस्सा
कोई, न गीत..न कहानी.. बस किस्सा कोई, मैं..
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मधु शाला 5 दोहो मे-जी पी पारीक
मधुशाला मे शोर है, गणिका गाये राग!!
जाम भरा ले हाथ मे, पीने से अनुराग!!1!!
चषक लिये है साकिया, इतराती है चाल!!
सब पीकर है नाचते, ठुमकत दे दे ताल!!2...
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प्रेम अपना
परिचयी आकाश में, हर रोज तारे टूटते हैं,
लोग थोड़ा साथ चलते और थकते, छूटते हैं,
किन्तु फिर भी मन यही कहता,
तुम्हारे साथ जीवन, प्रेम के चिरपाश में बँध,
क्षितिज तक चलता रहेगा ।।१...
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