गीत"जिन्दगी है बस अधूरी ज़िन्दग़ी"(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
हर किसी की ज़िन्दग़ी तो, है अधूरी ज़िन्दग़ी।
बाँध लो बिस्तर जहाँ से, हो चुकी अब बन्दगी।।
इक अधूरी प्यास को, सब साथ लेकर जायेंगे,
प्यार के लम्हें दुबारा, लौट कर नहीं आयेंगे,
काम अच्छे कर चलो, होगी नहीं शरमिन्दगी।
बाँध लो बिस्तर जहाँ से हो चुकी अब बन्दगी...
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रस्सी जैसी जिंदगी, तने तने हालात |
एक सिरे पे ख्वाहिशें, दूजे पे औकात |
दूजे पे औकात, मची है खींचा तानी |
मनु मनई की जात, ख्वाहिशें हुई सयानी |
मथे मथानी मध्य, बनाये जीवन लस्सी |
किन्तु मिले ना स्वाद, होय ना ढीली रस्सी ||
दोहे -
(1)ओवर-कॉन्फिडेंट हैं, इस जग के सब मूढ़ | विज्ञ दिखे शंकाग्रसित, यही समस्या गूढ़ || (2)चौथेपन तक समझ पर, उँगली रही उठाय । माँ पत्नी क्रमश: बहू, किन्तु समझ नहिं आय ॥ |
Mukesh Kumar Sinha
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डॉ. अपर्णा त्रिपाठी
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Priti Surana
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Shalini Kaushik
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Ashok Saluja
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प्रतिभा सक्सेना
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स्वप्न मञ्जूषा
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Rewa tibrewal
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