मित्रों।
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
--
--
जब सावन सो जाता है .....
जब सावन सो जाता है मधुवन को रोना पड़ता है
जब हाथों से औज़ार गए तब भूखा सोना पड़ता है...
--
हेतु तुम्हारे
संग तुम्हारे राह पकड़ कर,
छोड़ा सब कुछ बीते पथ पर,
मन की सारी उत्श्रंखलता,
सुख पाने की घोर विकलता,
मुक्त उड़ाने, अपने सपने,
भूल आया संसार विगत मैं,
स्वार्थ रूप सब स्वर्ग सिधारे,
हेतु तुम्हारे प्रियतम प्यारे ।।१...
--
--
--
--
--
--
चिड़िया की आँख -
राकेश रोहित
शर संधान को तत्पर
व्यग्र हो रहे हैं धनुर्धर
वे देख रहे हैं केवल चिड़िया की आँख!
यह कैसा कलरव है यह कैसा कोलाहल है?
जो गुरूओं को सुनाई नहीं देता
अविचल आसन में बैठे वे
नहीं दिखाई देता उनको
चिड़िया की आँखों का भय...
--
--
--
--
--
--
मनमोहन सिंह ने PM बनते ही
बुखारी से किया था
जामा मस्जिद को लेकर वादा
--
शीर्षकहीन
बड़ी अजीब बात है भारत में
शाही मस्जिद तो हैं नहीं
शाही इमाम ज़रूर हैं।
पूछा जा सकता है
फिर शाह कौन है...
--
मन की बात
आओ भ्रष्टाचारी भाई
निज मन में तुम झांको
भारत देश है क्यों कर पिछड़ा
मानचित्र में- आंको
--------------------------------
बदहाली बेहाली शिक्षा
अंधकार घर दूर है शिक्षा
टूटी सड़कें ढहे हुए पल
करें इशारा भ्रष्ट काल-कुल...
BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN
--
--
मीत पथ के
1
खूब खिलना
महक ,मुस्कुराना
कोई न डर
कटेगी काली रात
कब होगी सहर ?
2
गुड़िया घर
बना ख़ुद मिटाया
क्या सुख पाया ?
देकर छीन लिया
फिर कैसे मुस्काया ?
3...
त्रिवेणी
--
दोहे "बस्ती में भूचाल"
काट वनों को कोठियाँ, बना रहे सुग्रीव।
बस्ती में आने गये, जंगल के अब जीव।१।
--
बुनने में संलग्न है, मानव अपने जाल।
इसीलिए तो आ रहे, बस्ती में भूचाल...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर
केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।