मित्रों।
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
विनती है तुझसे
कण कण में तेरा वास प्रभू
यही सुना है बचपन से
फिर भी इतना अंतर क्यूं
धनिक और ग़रीबों में...
--
--
बुजुर्गों का भविष्य
लटकती झुर्रियां झूलते हाथ-पांव ,
ढूंढ रहे मुक्ति का रास्ता |
भटक रहा सड़कों पर
बीता हुआ कल...
चांदनी रात पर रजनी मल्होत्रा नैय्यर
--
मन की व्यथा
एक काली रात में
खुद से ही बुदबुदाया गरीब लाचार बाप...
सो जाता हूँ फुटपाथ पर
शायद आ जाये कोई सलमान...
--
--
कोई नादिर, कोई चंगेज़...
तुम्हारी बेनियाज़ी से अगर दिल टूट जाए, तो ?
कोई कमबख़्त दीवाना हमारे सर को आए तो...
--
--
मुझे रंडी के कोठे और पीर की मज़ार
इन दो जगहों से बहुत डर लगता है- मंटो -
अख्तर अली
मंटो जन्मशताब्दी वर्ष
मंटो - नामी कहानियों का बदनाम कथाकार
नई क़लम - उभरते हस्ताक्षर
इन दो जगहों से बहुत डर लगता है- मंटो -
अख्तर अली
मंटो जन्मशताब्दी वर्ष
मंटो - नामी कहानियों का बदनाम कथाकार
नई क़लम - उभरते हस्ताक्षर
--
तोताराम की सेल्फी
आज कोई दस बजे सवेरे तोताराम आया |
सब जानते हैं,आजकल हमारे शेखावाटी इलाके में तापमान ४४-४५ डिग्री चल रहा है |
इस समय तक तो बादे-सबा लू बन जाती है...
झूठा सच - Jhootha Sach
आज कोई दस बजे सवेरे तोताराम आया |
सब जानते हैं,आजकल हमारे शेखावाटी इलाके में तापमान ४४-४५ डिग्री चल रहा है |
इस समय तक तो बादे-सबा लू बन जाती है...
झूठा सच - Jhootha Sach
--
--
--
--
--
उत्तर दो हे सारथि !
मेरा मन-अर्जुन पूछता है
विवेक–सारथि कृष्ण से ,
हे ज्ञान-सारथि ,सुनो !
मुझमें उठ रहे अनंत,अतृप्त जिज्ञासाओं को,
क्या तुम शांत कर सकते हो...
कालीपद "प्रसाद"
--
--
--
"अमीरों - नेताओं का
अदालत,थाने और जेल आना - जाना
ऐसा है, जैसे ससुराल गैंदा फूल हो "??-
पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)
--
--
--
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर
केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।