मित्रों।
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के लिंक।
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वह एक शहर जाना अनजाना सा...
उस शहर से पहली बार नहीं मिल रही थी मैं, बचपन का नाता था. न जाने कितनी बार साक्षात्कार हुआ था. उस स्टेशन से, विधान सभा रोड से और उस एक होटल से. यूँ तब इस शहर से मिलने की वजह पापा के कामकाजी दौरे हुआ करते थे जो उनके लिए अतिरिक्त काम का और हमारे लिए एक छोटे से पहाड़ी शहर से इतर एक बड़े से मैदानी शहर में छुट्टियों का सबब हुआ करता था. स्कूल से दूर कुछ दिन एक बड़े शहर में वक़्त बिताना इतना रोमांचकारी हुआ करता था कि...
स्पंदन पर shikha varshney
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हे श्रेष्ठ युग सम्राट सृजन के
हे श्रेष्ठ युग सम्राट
सृजन के नमन अनेकों
विराट कलम के लेखों के सुन्दर मधुवन में
सीखों के अनुपम उपवन में
मधुर विवेचन संचित बन के नमन अनेकों...
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Quickly translate selected text in firefox
using this extension
दोस्तों इस पोस्ट में , में आपके लिए एक एक्सटेंशन लाया हूँ जिससे आप कोई भी वर्ड सेलेक्ट करके उसे जल्दी से गूगल ट्रांसलेटर में ट्रांसलेट कर सकते हैं फायरफॉक्स का उपयोग तो हर कोई करता ही है और उसमे गूगल ट्रांसलेटर का उपयोग भी करते होंगे कई बार हमें कोई वर्डट्रांसलेट करना हो तो उसे कॉपी करके गूगल ट्रांसलेटर में पेस्ट करते हैं या फिर उसे गूगल ट्रांसलेटर में खुद से लिखते हैं लेकिन इस एक्सटेंशन की मदद से आप कोई वर्ड को सेलेक्ट करके डायरेक्ट ही गूगल ट्रांसलेटर तक पहुंचा सकते हैं इस एक्सटेंशन की डिफ़ॉल्ट भाषा अंग्रेजी है जिसे आप इस एक्सटेंशन के ऑप्शन में जाकर बदल सकते हैं...
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दुःख
दुःख की नही कोई परिभाषा,
वह है पत्तो की तरह !
आता है बसन्त की तरह,
जाता है पतझड़ की तरह...
हिन्दी कविता मंच पर ऋषभ शुक्ला
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हो गये पागल बेचारे मिस्टर किशोर
''तनु वेड्ज़ मनु रिटर्न्ज़ ''
फिल्म के एक दृश्य से प्रेरित हो कर
मैने यह हास्य व्यंग रच दिया
त्रस्त पत्नी की बातों से
हो गये आपे से बाहर
इक रोज़...
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...रक़्म लिए बैठे हैं !
कितने नादां हैं, खुले ज़ख़्म लिए बैठे हैं
ख़ुद को बेपर्द, सरे-बज़्म किए बैठे हैं...
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बूँद
बूँदें स्नेह की
मन पर पड़तीं
प्यार जतातीं |
बूंदे जल की
धरा पर बरसीं
पृथ्वी सरसी ...
मन पर पड़तीं
प्यार जतातीं |
बूंदे जल की
धरा पर बरसीं
पृथ्वी सरसी ...
Akanksha पर Asha Saxena
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एक आँख पुरनम
न तुझे पास अपने बुला सके
न तेरी याद को ही भुला सके
एक आस दिल में जगी रही
न जज़्बात को ही सुला सके...
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नपुंसकों का हिस्सा छीनकर
गुंडों को दे दिया
अंबेडकर ने जातिवाद का बीज बोया,
कांग्रेस ने पैसठ साल तक पानी दिया
अब बीजेपी आकर खाद डाल रही है...
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आऊट ऑफ सिलेबस और बोर्ड एक्जाम!!
लड़कियों ने फिर बाजी मार ली है –
ये अखबार की हेड लाईन्स बता रही हैं. जिस बच्ची ने टॉप किया है उसे ५०० में से ४९६ अंक मिले हैं यानि सारे विषय मिला कर मात्र ४ अंक कटे, बस! ये कैसा रिजल्ट है? हमारे समय में जब हम १० वीं या १२ वीं की परीक्षा दिया करते थे तो मुझे आज भी याद है कि हर पेपर में ५ से १० नम्बर तक का तो आऊट ऑफ सिलेबस ही आ जाता था तो उतने तो हर विषय में घटा कर ही नम्बर मिलना शुरु होते थे...
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ये यादें
इन यादों को कहाँ रखूं?
खुशियों में, या ग़मों में?
ये ऐसी जगह पड़ी हैं,
जहाँ कभी धुप पड़ती है,
तो कभी घनी छाया,
कभी सो जातीं हैं,
रात की गहराई में,
तो कभी मचल के उठ जातीं हैं,
बारिश की बूंदों से...
रंग बिरंगी एकता पर anjana dayal
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मेरी आसमानी रगं की डायरी
मुझे पता है तुम कहीं नहीं हो
पर तुम मेरी यादों में हो
तुम मेरी आसमानी रगं की
डायरी के पन्नों में बसे हो...
मेरी स्याही के रंग पर Madhulika Patel
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