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शुक्रवार, दिसंबर 04, 2015

"कौन से शब्द चाहियें" (चर्चा अंक- 2180)

मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

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उसे 

खुश रहो आबाद रहो 
सदा कामना करुँगी 
तुम्हारी बददिमागी का सामना करुँगी ----  
साज़िश कर जो चक्रव्यूह तुमने रचा... 
Tere bin पर Dr.NISHA MAHARANA 
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थाली में कुत्ता खा सकता है- आदमी नहीं 

संसद में छुआ-छूत को लेकर बहस चल रही है. एक पक्ष इस बात को लेकर अड़ा हुआ है कि मंदिरों में जातिगत भेदभाव नहीं है. यह बात कहते हुए अच्छा तो लगता है कि सभी जीव एक परमात्मा ने बनाये हैं और सभी आदमी बराबर हैं लेकिन वस्तुस्तिथि यह है कि जिस थाली में कुत्ता खाता है उस थाली को साफ़ कर लोग खाना खा लेते हैं लेकिन उसी थाली में दलित को नहीं खिलाया जा सकता है... 
Randhir Singh Suman 
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गुज़िश्ता प्रेयसी - 

सुधीर मौर्य 

आज कितनी उलझनो के बाद 
कितने मोड मुडने के बाद 
तूं मिली चेहरे पे एक उदासी लिए 
मै समेट लेना चाहता था 
तुम्हारे गम का हर टुकडा 
उस रूमाल मे जिससे पोछे थे तुमने 
न जाने कितनी बार 
मेरे चेहरे से दुखो के बादल... 
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चल मिटा ले फासले 

कुछ गलतफहमियाँ है, 
तेरे मेरे दरमियाँ, 
चल मिटा लें फासले, 
कुछ गुफ़्तगू कर लें... 
Bhoopendra Jaysawal 
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उगते सूरज को सभी, झुक-झुक करें सलाम 
जीवन संध्या में हुआ, यश का भी अवसान ! 

बहती जलधारा कभी, चढ़ती नहीं पहाड़ 
एक चना अदना कहीं, नहीं फोड़ता भाड़... 

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प्रीत की रीत  
चाहत पर होना कुर्बान, प्रीत की रीत है 
इस खेल का हाल अनोखा, हार तो जीत है । 
आँख शरारत करती है 
और सज़ा दिल पाता है 
देता मक़सद जीने का 
पर पागल कहलाता है 
पागल की सुन यार मेरे, यही तो मीत है

दौलत के अंबार लगे 
ख़ुशी रही बनकर सपना 
मतलब के हैं यार बहुत 
नहीं मगर कोई अपना 
हिसाब लगाओ तुम उसका, गई जो बीत है 

दिल सोचे बस प्यारे को 
सूखा हो चाहे सावन 
देह से न जोड़ो इसको 
प्यार सदा होता पावन 
नाचो संग ताल मिलाकर, प्रेम संगीत है 
साहित्य सुरभि 
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‘‘असहिष्णुता‘‘ -  ‘‘सहिष्णुता‘‘,  

आमिर खान + मीडिया’’ 

आज जिस तरह पूरे देश में चारो तरफ सहिष्णुता व असहिष्णुता पर बहस चल रही है, उसकी ‘‘गर्म हवा’’ देश की संसद के दोनो सदन तक वृहस्त चर्चा के माध्यम से पहुॅच चुकी है। ऐसा लग रहा है कि देश की समस्त समस्याओं का एक मात्र कारण व इलाज ‘असहिष्णुता’ - ‘सहिष्णुता’ है। यद्यपि बहस ‘‘असहिष्णुता’’ के नाम पर हो रही है लेकिन सहिष्णुता बताये बगैर असहिष्णुता पर बहस पूरी नहीं हो सकती है... 
Swatantra Vichar पर 
Rajeeva Khandelwal  
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छलना 

तू ही तू नजर आती है के लिए चित्र परिणाम
दृष्टि जहां तक जाती है
तू ही  नज़र आती है
पलकें बंद करते ही
तू मन में उतर जाती है... 
Akanksha पर Asha Saxena 
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स्मॉग से ईंट ! 

स्मॉग (धुँआसा शब्द हो सकता है बिलकुल सही न हो) से ईंट का निर्माण - आश्चर्य मत कीजिये .चीन के एक कलाकार ने वातावरण में छाये प्रदूषण को समेट कर उसे ठोस रूप में सामने ला दिया.हवा में समाये कटु-तिक्त कणों को समेट कर उनकी घनाकार ईंट बना कर प्रत्यक्ष कर दिया. कलाकार का नाम जिंगोऊ ज़ियाँग (मंडारिन भाषा में) पर वह अपने को Brother Nut कहलाना अधिक पसंद करता है. प्रारंभ में वह इससे बचने को सुरक्षा का आवरण ओढ़ता रहा फिर उसे लगा कि इस प्रकार के स्मॉग से छुटकारा संभव नहीं .उस ने विचार किया यद्यपि वह प्रदूषण के PM 2.5 (Particular Matter) के या उसके दुष्प्रभावों को विशेषज्ञ नहीं फिर भी कुछ तो...  
लालित्यम् पर प्रतिभा सक्सेना 
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