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Yashwant Yash
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देवेन्द्र पाण्डेय
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गगन शर्मा, कुछ अलग सा
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Prabodh Kumar Govil
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Randhir Singh Suman
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Dr.jagdish vyom
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kuldeep thakur
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गौतम राजरिशी
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नीरज गोस्वामी
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Kajal Kumar
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मन का सुमन हमेशा गाये, अभिनव मंगल गान।
अपनी कुटिया बन जाएगी, फिर से विमल-वितान।।
उगें नये पौधे बगिया में, मिले खाद और पानी,
शिक्षा के भण्डार भरे हों, नर-नारी हों ज्ञानी,
तुलसी, सूर, कबीर सुनाएँ, राम कृष्ण की तान।
अपनी कुटिया बन जाएगी, फिर से विमल-वितान...
उच्चारण पर रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
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