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मंगलवार, दिसंबर 22, 2015

चर्चा मंच 2198 : ये वही मानसिकता??

जीवन की धूप-छाँव से गुजरते हुए
ऊसर जमीन में हमउपहार बो रहे हैं
हम गीत  और ग़ज़ल के उद्गार ढो रहे हैं !! 
***
प्रीत और मनुहार लेकर आ रहे हैं !
हम हृदय में प्यार लेकर आ रहे हैं !! 
***
      हिंदी ब्लॉग जगत् अर्थात् हिंदी चिट्ठा जगत में जनवरी 2009 से प्रतिदिन अपनी उपस्थित दर्ज़ कराने वाले अनेकानेक लोगों के परम प्रिय डॉ. रूपचंद्र शास्त्री मयंक’ की पुस्तक सुख का सूरज को पढ़ने का अनुभव कुछ ऐसा ही है जैसे कि जाड़े के मौसम में कई दिनों तक कोहरा छाए रहने के उपरांत आपको एकाएक ही एक दिन कुनकुनी धूप में देरों तक बैठने का सुख मिल जाए...

सृजन मंच ऑनलाइन


Yashwant Yash 

देवेन्द्र पाण्डेय 
गगन शर्मा, कुछ अलग सा 
Prabodh Kumar Govil 
Randhir Singh Suman 
Dr.jagdish vyom 
kuldeep thakur 
Dr (Miss) Sharad Singh 
गौतम राजरिशी 
नीरज गोस्वामी 
Kajal Kumar 
मन का सुमन हमेशा गाये, अभिनव मंगल गान। 
अपनी कुटिया बन जाएगी, फिर से विमल-वितान।।

उगें नये पौधे बगिया मेंमिले खाद और पानी,
शिक्षा के भण्डार भरे होंनर-नारी हों ज्ञानी,
तुलसीसूरकबीर सुनाएँ, राम कृष्ण की तान।
अपनी कुटिया बन जाएगी, फिर से विमल-वितान... 
उच्चारण पर रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 

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