मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
--
दोहे
"कौन सुने फरियाद"
कीर्ति भुलाकर कर दिया, अलग-थलग आजाद।
दल-दल के इस खेल में, कौन सुने फरियाद।।
--
सिर्फ नाम का निलम्बन, मंशा है कुछ और।
सभी सयाने कह रहे, फँसा गले में कौर।।
--
कहीं निशाना था मगर, लगा किसी की ओर।
उस पर गिरती गाज है, जो होता कमजोर...
--
--
--
--
--
--
--
कैलेंडर के हर दिन का हिसाब लिख दूँ...
ये साल जा रहा है....
क्यों ना तुम्हारी मुस्कराटे लिख दूँ,
तीन सौ पैसठ दिन की,
सारी शिकायते लिख दूँ....
--
--
पापी कौन है?
भगवान् यीशु एक प्रसंग है कि कुँवारी गर्भवती युवती को पापिन होने की सजा देते हुए समाज के लोग बीच चौराहे पे पत्थर मारने की सजा देते है । इसी बीच यीशु आते है और कहते है कि पहला पत्थर वही मारे जिसने कोई पाप न किया हो। यह सुन पहला पत्थर किसी ने नहीं मारा...
--
--
--
--
राजस्थानी भाषा की
मान्यता को लेकर
साहित्यकार श्री सौभाग्य सिंह जी की चिंता
ज्ञान दर्पण पर Ratan singh shekhawat
--
अभी प्रधानमन्त्री नरेंद्र दामोदर मोदी .....
पाकिस्तान केक खाने गएँ हैं
लकड़ी जल कोयला भई , कोयला जल भई राख ,
मैं बैरन ऐसी जली , कोयला भई न राख।
उक्त पंक्तियाँ भारत के विपक्ष पर खरी उतरती हैं...
Virendra Kumar Sharma
--
--
--
--
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर
केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।