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मंगलवार, दिसंबर 29, 2015

सुखी रहे बिटिया सदा, पाये प्रेम अथाह ; चर्चा मंच 2205



रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 


छिपा क्षितिज में सूरज राजा,
ओढ़ कुहासे की चादर।
सरदी से जग ठिठुर रहा है,
बदन काँपता थर-थर-थर।।
ज्योति-कलश 
Dr (Miss) Sharad Singh 
अनुपमा पाठक 
Naveen Mani Tripathi 


Priti Surana 




Neeraj Kumar Neer 




Krishna Kumar Yadav a




anjana dayal 




haresh Kumar 



प्रवीण पाण्डेय 

"कुछ कहना है"
खाता-पीता घर मिले, यही बाप की चाह |
सुखी रहे बिटिया सदा, पाये प्रेम अथाह |
पाये प्रेम अथाह, हमेशा होय बरक्कत |
करवा देते व्याह, किन्तु दूल्हे की आदत |
रविकर ले सिर पीट, नहीं कोई दिन रीता |
मुर्गा मछली मीट, और वह खाता-पीता ||

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